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वरुथिनी एकादशी 2025: जानें इस व्रत की 10 महत्वपूर्ण बातें...

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2025 Varuthini Ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। वर्ष 2025 में, यह तिथि गुरुवार, 24 अप्रैल को पड़ेगी। धार्मिक ग्रंथों में यह तिथि विशेष महत्व की मानी गई है। वरुथिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से अनेक प्रकार के पुण्य फल प्राप्त होते हैं और यह कई पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।ALSO READ:

आइए यहां जानते हैं इस तिथि की श्रेष्ठता के बारे में...

वरुथिनी एकादशी का महत्व इस प्रकार है:

1. पापों से मुक्ति: मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, खासकर अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।

2. पुण्य फल की प्राप्ति: इस व्रत को दस हजार वर्षों तक तपस्या करने के समान फलदायी माना गया है।

3. धन और समृद्धि: वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।

4. कष्टों से निवारण: यह व्रत जीवन में आने वाले दुखों और कष्टों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

5. मानसिक शांति: इस व्रत को करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

6. शुभ फलदायी: इस एकादशी को बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है।

7. दान का महत्व: इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है और ऐसा माना जाता है कि इससे कई वर्षों की तपस्या के बराबर फल मिलता है।

8. भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

9. मोक्ष की प्राप्ति: कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।

10. आध्यात्मिक उन्नति: इस तरह वरुथिनी एकादशी का व्रत आध्यात्मिक उन्नति, पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ:

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