Cheap Steel : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है, जो हर भारतीय को चौंका सकती है। यह चिंता किसी बाहरी हमले या प्राकृतिक आपदा से नहीं, बल्कि विदेशों से आने वाले सस्ते स्टील (Cheap Steel) से जुड़ी है। आरबीआई ने अपने ताजा लेख में खुलासा किया है कि दुनिया के पांच बड़े देशों से हो रहे सस्ते इस्पात के आयात ने भारतीय बाजार को मुश्किल में डाल दिया है।
इस डंपिंग (Dumping) की वजह से भारत को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं, यह हमारे अपने स्टील उद्योग के लिए भी संकट बन गया है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
आरबीआई का खुलासा
केंद्रीय बैंक ने अपने अक्टूबर बुलेटिन में एक लेख प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है “Steel Under Siege: Understanding the Impact of Dumping on India” यानी ‘इस्पात पर संकट: भारत पर डंपिंग के प्रभाव को समझना’। यह शीर्षक ही बयां करता है कि हालात कितने गंभीर हैं।
आरबीआई ने साफ कहा है कि वैश्विक उत्पादकों द्वारा सस्ते स्टील की डंपिंग (Dumping) से भारत के घरेलू इस्पात उद्योग को सीधा खतरा है। यह सस्ता स्टील न सिर्फ हमारे बाजार को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारतीय स्टील कंपनियों को भी कमजोर कर रहा है।
सस्ता स्टील, लेकिन नुकसान भारी
आम तौर पर हमें लगता है कि सस्ता सामान मिलना तो अच्छी बात है। लेकिन आरबीआई का कहना है कि यह सस्ता स्टील (Cheap Steel) भारत के लिए बेहद महंगा पड़ रहा है। साल 2023-24 और 2024-25 में भारतीय इस्पात उद्योग को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
इसका सबसे बड़ा कारण है विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में सस्ते स्टील की डंपिंग (Dumping)। डंपिंग का मतलब है कि दूसरे देश अपने स्टील को लागत से भी कम कीमत पर भारत में बेच रहे हैं, ताकि वे भारतीय बाजार पर कब्जा कर सकें।
इसका नुकसान दोहरा है। पहला, जब विदेशी स्टील इतना सस्ता होगा, तो भारतीय कंपनियों का स्टील कौन खरीदेगा? इससे हमारे घरेलू स्टील उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है। दूसरा, जब हमारा स्टील उद्योग कमजोर होगा, तो भारत का निर्यात क्षेत्र भी प्रभावित होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। आरबीआई ने बताया कि सस्ते आयात की कीमतों के कारण ही इस्पात आयात में इतनी तेजी आई है।
कौन से देश डाल रहे हैं सस्ता स्टील?
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में भारत के इस्पात आयात में 22% की भारी बढ़ोतरी हुई, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टील की कीमतें कम थीं। भारत अपने कुल इस्पात आयात का करीब 45% हिस्सा सिर्फ पांच देशों से लेता है। इनमें सबसे ऊपर है दक्षिण कोरिया, जो भारत के कुल आयात का 14.6% स्टील सप्लाई करता है। इसके बाद चीन (9.8%), अमेरिका (7.8%), जापान (7.1%) और ब्रिटेन (6.2%) का नंबर आता है।
इसके अलावा, 2024-25 में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से सस्ते स्टील के आयात में खतरनाक वृद्धि देखी गई। यह दिखाता है कि कई बड़े देश अपने अतिरिक्त स्टील को भारतीय बाजार में डंप कर रहे हैं, जिससे हमारा घरेलू इस्पात उद्योग (Domestic Steel Industry) संकट में है।
स्टील की मांग बढ़ी, लेकिन नुकसान क्यों?
आरबीआई के मुताबिक, भारत में स्टील की खपत अप्रैल 2022 से नवंबर 2024 तक औसतन 12.9% की दर से बढ़ी है। यानी देश में बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों के लिए स्टील की मांग (Steel Demand) लगातार बढ़ रही है। लेकिन 2022 से एक खतरनाक रुझान देखने को मिला। भारत की स्टील खपत और घरेलू उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ने लगा। वैश्विक और घरेलू बाजारों में स्टील की कीमतें कम होने का फायदा उठाकर विदेशी कंपनियों ने सस्ता स्टील भारत भेजना शुरू कर दिया।
नतीजा यह हुआ कि हमारी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने की बजाय, सस्ता आयात बाजार में छा गया। यह स्थिति किसी भी देश के औद्योगिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। सस्ते स्टील की यह बाढ़ भारतीय अर्थव्यवस्था और घरेलू इस्पात उद्योग (Domestic Steel Industry) के लिए खतरे की घंटी है।
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