यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा में एक OYO होटल को लेकर भारी बवाल मच गया। स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं ने होटल में अवैध और संदिग्ध गतिविधियों का आरोप लगाते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। गुस्साए लोगों ने होटल का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर चार युवकों और चार युवतियों को हिरासत में लिया। स्थानीय समुदाय का कहना है कि इस होटल की वजह से इलाके का माहौल खराब हो रहा है, और बच्चों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता: बच्चों की सुरक्षा खतरे मेंस्थानीय निवासियों का आरोप है कि होटल में बाहरी जोड़े आते हैं और यहां देह व्यापार जैसी गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं। लोगों का कहना है कि होटल के आसपास अश्लील सामग्री फेंकी जाती है, जिससे बच्चों का सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। गुस्साई महिलाओं ने होटल को बंद करने की मांग की और प्रदर्शन के दौरान पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की। उनका कहना है कि यह होटल न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य के लिए भी खतरा बन चुका है।
पुलिस की कार्रवाई और विवादसूचना मिलने पर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन बिना कोई कार्रवाई किए लौट गई, जिससे स्थानीय लोगों का गुस्सा और भड़क गया। कई घंटों बाद कोतवाली पुलिस ने होटल में छापेमारी की और आठ लोगों को हिरासत में लिया। युवतियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जबकि युवकों को कोतवाली ले जाया गया। हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस पिछले एक साल से शिकायतों को नजरअंदाज कर रही है। कुछ लोगों ने तो पुलिस और होटल संचालक के बीच सांठगांठ का भी आरोप लगाया।
विवाद ने तब और तूल पकड़ा जब स्थानीय लोगों ने एक सत्ताधारी दल के नेता पर होटल को संरक्षण देने का आरोप लगाया। लोगों का कहना है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण ही होटल बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है। गुस्साए निवासियों ने साफ कहा कि वे किसी भी कीमत पर अपने इलाके का माहौल खराब नहीं होने देंगे। इस घटना ने न केवल होटल के संचालन पर सवाल उठाए, बल्कि स्थानीय नेताओं और पुलिस की जवाबदेही पर भी चर्चा छेड़ दी है।
पुलिस की निष्क्रियता और मीडियाकर्मियों पर दबावहोटल में छापेमारी के दौरान कोतवाली प्रभारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठे। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रभारी बिना महिला पुलिसकर्मियों के होटल पहुंचे, जिसके कारण कार्रवाई में देरी हुई। इस बीच, कोतवाली प्रभारी ने मीडियाकर्मियों को कवरेज करने से रोकने की कोशिश की और उन्हें मौके से हटने का आदेश दिया। हालांकि, पत्रकारों ने निष्पक्ष पत्रकारिता का हवाला देते हुए इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर मीडिया ने दबाव नहीं बनाया होता, तो पुलिस इस मामले में लीपापोती कर देती।
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