कोलकाता, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के कार्यों का मूल्यांकन शुरू कर दिया है। जुलाई महीने से ही यह प्रक्रिया राज्य सचिवालय नवान्न के निर्देश पर सख्ती के साथ शुरू की गई है। इस बार न सिर्फ नियमित मूल्यांकन होगा बल्कि कुछ नए मानदंड भी जोड़े गए हैं, जिससे पंचायतों को और अधिक उत्तरदायी और सक्रिय बनाया जा सके।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में पंचायतों ने कितनी योजनाएं पूरी कीं, कितनी आमदनी हुई और वह आमदनी जनहित में कितनी खर्च की गई—इन बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पंचायतों की कुल आमदनी का कम से कम 50 प्रतिशत जनकल्याण पर खर्च होना चाहिए और 2023-24 की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत आमदनी में वृद्धि होनी चाहिए। राज्य सरकार ने समय पर योजनाओं के क्रियान्वयन और आधारभूत संरचनाओं में तेजी लाने के लिए विभिन्न विभागों को निर्देश जारी किए हैं और एक नया पोर्टल भी तैयार किया गया है।
दक्षिण बंगाल के एक जिलाधिकारी ने बताया कि अक्सर पंचायतें राजस्व तो उत्पन्न कर लेती हैं, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से उसे खर्च नहीं कर पातीं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार अब नए तरीके से मूल्यांकन कर रही है। पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा, “हर साल प्रशासनिक रूप से इस मूल्यांकन को ‘इवैल्यूएशन’ कहा जाता है, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया और अधिक सुव्यवस्थित की जा रही है।”
राज्य सरकार की यह पहल केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा मानी जा रही है। पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजों से साफ हुआ कि शहरी क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिली थी, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। इसीलिए विधानसभा चुनाव से पहले गांवों में कामकाज को लेकर सख्त रवैया अपनाया गया है ताकि वहां की सरकार सक्रिय दिखे और जनता का भरोसा बरकरार रखा जा सके।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले राज्य बजट में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के लिए सबसे अधिक राशि आवंटित की गई थी। राज्य सरकार का तर्क है कि 100 दिन के रोजगार और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे कई ग्रामीण योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने फंड जारी नहीं किया है, जिसकी वजह से राज्य को अपने कोष से इन योजनाओं को जारी रखना पड़ रहा है। इस परिस्थिति में राज्य को ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देना आवश्यक हो गया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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