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अनूपपुर: सावन का पहला दिन:बोल बम के साथ मां नर्मदा उद्गम जल से जालेश्वर धाम महादेव का हुआ जलाभिषेक

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अनूपपुर, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । भगवान शंकर के भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत ही पावन होता है। भक्त पूरे मास भगवान की विशेष उपासना करते हैं। शिव आराधना का श्रावण मास शुक्रवार से प्रारंभ हो गया है। लोग भगवान शिव की पूजा लोगों ने पवित्र जल,दूध,दही,घी से अभिषेक कर धतूरा,बेल व ऑक के फूल चढ़ाकर भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास किया। मंदिरों में बोल बम के जयघोष लगते रहे। जिले के पवित्र नगरी अमरकंटक में भी श्रद्धालुओं ने शिव अर्चना व अभिषेक के लिए पहुंचे। मां नर्मदा जल से शिवजी का अभिषेक किया गया। कावरिएं यहां जल लेने पहुंचे थे। यहां के शिव धाम अमरेश्वर तथा जालेश्वर में शिव लिंग के अभिषेक हेतु भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। पहला सोमवार लोगों ने आस्था के साथ शिव की पूजा करते हुए व्यतीत किया। अधिकांश महिलाओं एवं अविवाहित युवतियों ने वृत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना की।

कावडियों न नर्मदा जल ले जालेश्वर में चढ़ाया

मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सावन मास में हजारो शिवभक्तों की भीड़ दर्शन और जलाभिषेक के लिए शिव और मां नर्मदा के जयघोष से गुंजायमान करते हुए कावडि़ए नर्मदा स्नान और कुंड से जलभराव कर जालेश्वर में जल चढ़ा पुन: अमरकंटक नर्मदा मंदिर पहुंचें, जहां जलभर कर जलेश्वभर महादेव मंदिर के लिए रवाना हुए। इसके लिए नर्मदा मंदिर समिति सहित प्रशासन ने तैयारी पूरी पहले ही कर ली थी। नर्मदा मंदिर समिति ने बताया कि सावन के उपलक्ष्य में यहां देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन इनमें कर्वधा, राजनंदगांव सहित छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों व मप्र के स्थानीय भक्तों की संख्या अधिक होती है।

भजन-कीर्तन और रूद्राभिषेक किए गए

जिले भर के देवालयों में अलसुबह से भक्तों का तांता लग गया था। देर शाम तक शिवमंदिरों में लोगों का मत्था टेकने का सिलसिला बना रहा। नगर के तमाम शिव मंदिरों में आवश्यक तैयारियां की गई हैं। जगह-जगह भजन-कीर्तन और रूद्राभिषेक के आयोजन किए जा रहे हैं। बताया गया सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था जन कल्याण के लिए भगवान शिव ने विषपान कर उसे गले में रख लिया था। विष काफी तेज होने के कारण देव-दानव सभी ने भगवान का जलाभिषेक कर उन्हें ठंडक पहुंचायी थी। जिस पर भगवान शिव सब पर प्रसन्न हुए थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने सावन में ही प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं से भगवान भोलेनाथ की अर्चना की थी और व्रत किया था।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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