– एचएएल को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक जीई एयरोस्पेस से 12 इंजन मिलने की उम्मीद
नई दिल्ली, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क 1ए लड़ाकू विमान के लिए अमेरिका से दूसरा जीई-404 इंजन मिल गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 12 जीई-404 इंजन मिलने की उम्मीद है। ये इंजन एलसीए मार्क 1ए लड़ाकू विमानों में लगाए जाएंगे। भारतीय वायु सेना ने 83 एलसीए मार्क 1ए लड़ाकू विमानों के ऑर्डर दिए हैं और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद 97 और ऐसे विमान खरीदने का प्रस्ताव अंतिम चरण में है।
भारत ने फरवरी 2021 में एचएएल के साथ 48 हजार करोड़ का एक समझौता किया था। इस अनुबंध में 73 तेजस मार्क 1ए जेट और 10 प्रशिक्षक विमान शामिल थे। भारतीय वायु सेना को 2024 में पहली खेप मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसी बीच अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस (जीई) ने एफ-404 इंजन का उत्पादन बंद कर दिया। भारतीय वायु सेना के साथ फरवरी, 2021 में अनुबंध होने के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इसी साल मार्च से नए विमान की आपूर्ति होनी थी, लेकिन इसमें लगने वाले इंजन की अमेरिका से आपूर्ति में देरी की वजह से इंतजार लंबा हो गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मार्च में वाशिंगटन यात्रा के दौरान इंजन आपूर्ति में देरी का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद विक्रेता-संबंधी व्यवधानों को दूर करने के बाद जीई ने उत्पादन फिर से शुरू कर दिया। आखिरकार एयरोस्पेस ने भारत के स्वदेशी लड़ाकू जेट एलसीए मार्क-1ए के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इंजन की आपूर्ति शुरू कर दी। कंपनी ने इसी साल 26 मार्च को पहला इंजन वितरित किया। इसके बाद 13 जुलाई को जीई ने दूसरा इंजन भेजा। इस डिलीवरी के साथ कंपनी ने अपनी उत्पादन प्रक्रिया में स्थिरता का संकेत दिया है। कंपनी अब मासिक रूप से दो इंजन वितरित करने की योजना बना रही है।
अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने एक बयान में कहा है कि एफ-404 इंजनों की आपूर्ति अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का विकास करके भारत की सेना के लिए एक मजबूत भविष्य सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। जीई एयरोस्पेस का भारत में सैन्य जेट प्रणोदन सहयोग का एक मजबूत इतिहास है। एचएएल के साथ 40 साल के संबंधों और देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं को बढ़ाते हुए 1980 के दशक में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के साथ सहयोग करने के बाद जीई एयरोस्पेस के एफ-404 इंजन को 2004 में सिंगल-इंजन तेजस के लिए चुना गया था। यह इंजन भारत के एकल इंजन वाले लड़ाकू विमान के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।
जीई एयरोस्पेस से लगातार इंजन मिलने से तेजस एमके1ए का उत्पादन नियमित हो सकेगा। हाल ही में एचएएल की साझा की गई तस्वीरों में टेल नंबर एलए-5041 तक के ढांचे दिखाई दिए हैं। पहले विमान का ढांचा नंबर एलए-5033 था और इस सीरियल नंबर के अनुसार कम से कम 9 एयरफ्रेम तैयार हैं। एचएएल ने पहले प्रति वर्ष 16 विमान बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन इंजन की आपूर्ति में तेजी आने से प्रतिवर्ष 24 विमानों की आपूर्ति की जा सकती है। इससे तेजस एमके1ए के उत्पादन में हुई देरी की भरपाई करके एचएएल वायु सेना को आपूर्ति शुरू करेगा। इंजन वितरण में देरी के कारण एचएएल को वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन अब सब कुछ पटरी पर लौटता दिख रहा है।——————-
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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