Chattisgarh, 18 मई . कोरबा नगर के मध्य से निकली हसदेव दर्री बराज के बांयी तट नहर की लाइनिंग पूरी तरह से टूट गई है. 4 से 18 किलोमीटर नहर की लाइनिंग के लिए 23 करोड़ की निविदा जारी की गयी हैं. लेकिन ठेका कंपनियों ने अभी काम करने से ही इंकार कर दिया है. बताया जा रहा हैं की दो ठेका कंपनियों ने तो अभी अनुबंध ही नहीं किया है. इससे खरीफ में सिंचाई पर प्रभाव पड़ सकता है. 1 महीने बाद बारिश का मौसम भी शुरू हो जाएगा. ऐसे में मरम्मत भी नहीं हो पाएगी.
सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हसदेव बांगो बांध की सिंचाई क्षमता 2 लाख 47 हजार हेक्टेयर है. जिसमें से 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर में बांयीं तट नहर से सिंचाई होती है. नहर की लाइनिंग जगह-जगह से टूट गई है. जिसके कारण पिछले 3 साल से सिंचाई प्रभावित हो रही है. दांयीं तट नहर की हालत अच्छी है. कोरबा जिले के तहत 18 किलोमीटर नहर का हिस्सा आता है. इसकी मरम्मत के लिए ही 23 करोड़ की मंजूरी मिली है. तीन अलग-अलग ठेका कंपनियों को यह काम मिला हुआ है. लेकिन रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के कारण मरम्मत का काम ही शुरू नहीं हो पाया.
सिंचाई हेतु 30 अप्रैल तक पानी छोड़ा गया. इस वजह से ठेका कंपनियां कम समय को देखते हुए काम करने से ही अब इंकार कर रही हैं. एक ठेका कंपनी ने खरीफ फसल की सिंचाई के बाद अक्टूबर से काम करने की सहमति देते हुए अनुबंध किया है. दो कंपनियों ने अनुबंध करने से ही मना कर दिया. इससे अब आगे सिंचाई का काम प्रभावित हो सकता है. इससे अधिकारी भी डरे हुए हैं. उनका कहना है कि लाइनिंग में सुधार नहीं होने पर कभी भी नहर टूट सकती है. इससे आसपास की बस्तियों को नुकसान हो सकता है.
बताया जा रहा हैं की वर्ष 2022 में सीतामढ़ी के पास नहर फूटने के कारण आसपास की बस्तियों में पानी भर गया था. इससे खरीफ फसल की सिंचाई भी प्रभावित हुई थी. इसकी मरम्मत में ही 25 दिन से अधिक का समय लग गया था. इसी कड़ी में वर्ष 2023 में 14 किलोमीटर दूर ढिटोरी के पास नहर फूट गई थी. इससे 50 एकड़ से अधिक की फसल चौपट हो गई थी. इसकी मरम्मत करने में 1 महीने का समय लग गया. साथ ही मार्च 2025 में राताखार के पास नहर में छेद होने से आसपास कॉलोनी में पानी भर गया था. पानी की मात्रा घटने पश्चात इसकी मरम्मत कराई गई. अभी भी वहा पर पूरी तरह सुधार कार्य नहीं हुआ है. जानकारी देते हुए बताया जा रहा हैं की नहर की हालत इतनी खराब है कि पूरी क्षमता के साथ पानी नहीं छोड़ सकते. नहर की क्षमता 4200 क्यूसेक है. लेकिन रबी में सिंचाई के लिए लगभग 3 हजार क्यूसेक ही पानी छोड़ा गया. खरीफ सिंचाई के लिए सबसे अधिक पानी की जरूरत होती है. ऐसे में परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं.
हसदेव बांगो परियोजना के अधीक्षण अभियंता संजय शर्मा का कहना है कि सिंचाई प्रभावित न हो इसके लिए इंतजाम किया जाएगा. सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के पहले सुधार हो जाए इसका प्रयास कर रहे हैं.
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/ हरीश तिवारी
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