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भारत की वैदिक परंपरा और सतत साधना का प्रतीक है डीएवी और हंसराज कॉलेज : गजेंद्र सिंह शेखावत

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नई दिल्ली, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में शुक्रवार को 78वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि केंद्र सरकार में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत की वैदिक परंपरा की सतत साधना और गरिमा के प्रतीक हंसराज कॉलेज और डीएवी का शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है।

उन्होंने कहा कि इस देश को आजादी के बाद से आगे बढ़ाने में सरकारों के साथ ही संस्थाओं एवं संस्थानों की भी बड़ी भूमिका रही है और हंसराज कॉलेज उनमें अग्रणी रहा है। हंसराज कॉलेज की उपलब्धियां और 78 वर्षों की यात्रा गर्व करने योग्य हैं।

इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि भारत के वास्तविक इतिहास के गौरवपूर्ण पृष्ठों से लोगों को अनभिज्ञ रखा गया और साजिश के तहत हमें हमारी जड़ों से, हमारे ज्ञान विज्ञान, हमारी उन्नत संस्कृति और हमारी सांस्कृतिक चेतना से हमें जोड़ने का गंभीर प्रयास नहीं हुआ। अकादमिक क्षेत्र के लोगों का इस दिशा में बड़ा दायित्व है और उन्हें भारत के उद्भव के लिए कार्य करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा संस्थाओं में देश प्रेम की कमी है और इन संस्थाओं में इसकी प्रतिष्ठा अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल आदि महापुरुषों को स्मरण करते हुए कहा कि इनके प्रति इस राष्ट्र के एक-एक नागरिक को कृतज्ञ होना चाहिए और यह प्रकट भी होना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि लेखक, क्रिकेट कमेंटेटर एवं हंसराज कॉलेज के पूर्व छात्र नीलेश कुलकर्णी ने कहा कि हंसराज कॉलेज आरंभ से ही अपनी विशिष्टताओं के लिए जाना जाता रहा है। उन्होंने लोगों के बीच संवाद की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि संवाद और स्वाध्याय आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया।

डीएवी प्रबंधकर्त्री समिति के उपाध्यक्ष एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एस. के. सोपोरी ने कहा कि संस्कृति और शिक्षा एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और हंसराज कॉलेज अपने संस्कृति बोध के लिए जाना जाता है।

स्थापना दिवस के अवसर पर कुछ वरिष्ठ प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थी को सम्मानित भी किया गया।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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