अनूपपुर, 20 अप्रैल . ईस्टर संडे रविवार को पूरे जिले में बड़े श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया गया. यह दिन प्रभु यीशु मसीह के पुनर्जीवित होने की याद में मनाया जाता है. यह दिन ईसाई समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है. रविवार को जिला मुख्यालय अनूपपुर स्थित चर्च में पास्टर अनिल विक्टर ने प्रभु यीशु के वचन व बताये गये मार्ग में चलने की बात कहीं. पास्टर अनिल विक्टर ने बताया कि यह एक इतिहास और संसार की सब से बड़ी अद्वितिय घटना है. यीशु मसीह गुड फ्राइडे को क्रूस पर चढ़ाये गए थे, उनकी मृत्यु हुई और वह तीसरे दिन जी उठे वह आज भी जीवित है. यीशु का पुनः रुथन हो गया है और यही एस्टर पर्व है और ईसाई समुदाय के विश्वास का मुख्य आधार है . यीशु जीवित होकर आज भी परमेश्वर के स्वर्गीय सिंहासन पर दाहिने और उपस्थित है. प्रभु यीशु का प्रमुख वचन यह है कि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास कर वह नाश न हो परअनंत जीवन पाए. अर्थात विश्वास करने वालो पर पापो की क्षमा और मुक्ति और अनंत जीवन देने के लिए सदा जीवित हैं.
ईसाईयों की मान्यता के अनुसार, प्रभु यीशु मसीह को ईश्वर का पुत्र माना जाता है, वह लोगों को एक-दूसरे की मदद करने, नफरत को त्याग कर प्रेम को अपनाने और ईश्वर में आस्था रखने की सीख देते थे. लेकिन उनकी लोकप्रियता और बढ़ती हुई मान्यता से कुछ लोग चिंतित हो गए और उन्होंने झूठे आरोपों के आधार पर यीशु को सूली पर चढ़ा दिया. यह घटना ‘गुड फ्राइडे’ के दिन हुई, जब प्रभु यीशु को क्रूस पर लटकाया गया था. लेकिन इस दुखद घटना के तीन दिन बाद, रविवार के दिन, एक चमत्कार हुआ प्रभु यीशु पुनर्जीवित हो गए तभी से इस दिन को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है.
ईस्टर संडे का दिन प्रार्थना, भक्ति और उत्सव से भरा होता है. सुबह से ही चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की गई. जिसमें बड़ी इसे मानने वाले लोग शामिल हुए. जिले भर के चर्चों को विशेष रूप से सजाया गया,मोमबत्तियों, फूलों और धार्मिक प्रतीकों से वातावरण को पवित्र बना, प्रार्थना की गई. इसके बाद लोग एक-दूसरे को ईस्टर की शुभकामनाएं देते हैं और प्रभु यीशु के बलिदान एवं पुनरुत्थान की कथा को याद किया. इस त्योहार को कई जगहों पर खजूर इतवार के नाम से भी जाना जाता है.
/ राजेश शुक्ला
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