मीरजापुर, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . आचार्य रामचंद्र शुक्ल स्मारक शिक्षण संस्थान के तत्वावधान में मंगलवार को हिंदी साहित्य के महर्षि आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 141वीं जयंती एवं महर्षि वाल्मीकि जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालू’, राज्य मंत्री (Uttar Pradesh सरकार), तथा विशिष्ट अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरी मंचासीन रहे. अध्यक्षता डॉ. अनुज प्रताप सिंह, पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर (हिंदी विभाग) ने की, जबकि संचालन आनंद अमित ने किया.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल व महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर किया गया. आचार्य शुक्ल के पौत्र राकेश चंद्र शुक्ल ने अतिथियों को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया. इस अवसर पर गाजीपुर के प्रखर साहित्यकार माधव कृष्ण को “आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान–2025” से नवाजा गया, जो प्रतिवर्ष आलोचना साहित्य में विशेष योगदान देने वाले साहित्यकार को दिया जाता है.
मुख्य अतिथि दयाशंकर मिश्र ने कहा कि “आचार्य शुक्ल का जन्म भले ही बस्ती में हुआ, लेकिन मीरजापुर उनकी कर्मभूमि रही. उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज को नैतिकता, विवेक और आदर्श का मार्ग दिखाया.”
डॉ. अनुज प्रताप सिंह ने कहा कि “आचार्य शुक्ल ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हिंदी साहित्य का इतिहास रचकर अमर योगदान दिया.”
नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरी ने कहा कि “यह मीरजापुर का गौरव है कि इतने महान साहित्यकार ने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया.”
कार्यक्रम में लालब्रत सिंह, डॉ. नीरज त्रिपाठी और भोलानाथ कुशवाहा ने भी आचार्य शुक्ल के साहित्यिक जीवन पर अपने विचार रखे. अंत में प्रबंधक राकेश शुक्ल ने विश्वविद्यालय का नाम आचार्य रामचंद्र शुक्ल विश्वविद्यालय रखने एवं उनकी जयंती को बाल्मीकि जयंती के साथ राज्यस्तरीय उत्सव के रूप में जोड़ने का ज्ञापन मुख्य अतिथि को सौंपा.
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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
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