मंडी, 29 जून (Udaipur Kiran) । मंडी जिला के सरकाघाट और धर्मपुर उपमंडल की सीमा पर गासीयां खड्ड पर निर्माणाधीन पुल 23 जून को ढह गया था और उसके बाद प्रशासन और मौर्थ विभाग के अधिकारी कुछ सक्रिय हुए थे और बीते कल मंडी में समीक्षा बैठक भी की गई जिसमें धर्मपुर और सरकाघाट के विधायक भी शामिल हुए। लेक़िन मीटिंग में घरों की सुरक्षा, नालियों, कलवर्ट इत्यादि के कार्य को सितंबर माह तक पूरा करने के लिए कंपनी को कहा गया। पांच दिन पहले हुई बारिश से गासियां खड्ड में पानी जमा हो गया था जिससे गासियां माता मंदिर और मोक्षधाम डूब गया था।
रविवार सुबह हुई भारी बारिश से एक बार फिर वहीं मंजर सामने आया है। गासियां खड्ड में फ़िर से जल भराव हुआ है। जबकि खड्ड में डाली गई मिट्टी, मलवा बहने से धर्मपुर तक खतरा पैदा हो गया था। पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने बताया कि किसान सभा ने तुरंत मलवा उठाने की मांग को लेकर 25 जून को वहां पर प्रदर्शन किया था और अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी मंडी डॉ. मदन कुमार को मांगपत्र सौंपा था। जिसके चलते उन्होंने 24 घंटे में खड्ड के रुके पानी की निकासी सुनिश्चित करने और एक सप्ताह में सारा मलवा उठाने के निर्देश कंपनी और मौर्थ विभाग के अधिकारियों को दिए थे। कंपनी ने बीच में से मिट्टी काटकर छोटी खाई निकाल कर पानी की निकासी सुनिश्चित करने का कार्य किया है। लेकिन पिछली शाम से हो रही बारिश से दोनों तरफ की कच्ची मिट्टी गिरने से पानी की निकासी फ़िर से रुक गई है। इसके अलावा कंपनी ने सारी मिट्टी और मलवा वहां से उठा कर सौ मीटर निचली ओर खड्ड किनारे फेंका जा रहा है जो पानी से नीचे की ओर ही बह रहा है ।
उन्होंने कहा कि नियमानुसार इसे निर्धारित डंम्पिंग साईट पर फेंका जाना है और वहां मिट्टी रोकने के लिए रोक लगानी होती है। हिमाचल किसान सभा के खंड अध्यक्ष रणताज़ राणा और पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भुपेंद्र सिंह ने इस बारे पहले ही प्रशासन को आगाह किया है कि कम्पनी ने खड्ड में जो अवैध डंपिंग की है उसे वहां से उठा कर ऐसी जगह फैंका जाए जहां से वो दोबारा खड्ड में न जाए लेक़िन ऐसा नहीं हो रहा है और सारा मलवा खड्ड किनारे ही फेंका जा रहा है और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।
भूपेंद्र सिंह ने मांग की है कि मलवा उठा कर ऐसी जगह फेंका जाए जहां से वो पानी में बह कर आगे न जाए। उनका कहना है कि इस स्थिति को टाला जा सकता था यदि धर्मपुर के विधायक और प्रशासन पहले जाग जाते क्योंकि हिमाचल किसान सभा ने इसके बारे में मार्च महीने से बोलना शुरू कर दिया था और 16 अप्रैल को वहां पर धरना प्रदर्शन और रास्ता रोक कर इस अवैध डंपिंग और घटिया किस्म के निर्माण कार्य के बारे में आवाज़ उठाई थी।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
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