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सीहोरः कुबेरेश्वरधाम में जन्माष्टमी पर हुआ विशेष अनुष्ठान, छह क्विंटल से फलहारी प्रसादी का लगाया भोग

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सीहोर, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के सीहोर जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वरधाम में हर साल की तरह इस साल भी जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां शनिवार सुबह जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष अनुष्ठान किया गया। इस दौरान छह क्विंटल से अधिक फलहारी प्रसादी का भोग लगाया गया और यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया गया।

विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा सहित अन्य ने यहां पर श्रद्धालुओं को साबूदाने की खिचड़ी, छाछ और मोरधन आदि की प्रसादी का वितरण किया गया। इसके अलावा महाराष्ट्र से आने वाले बड़ी संख्या में कांवड यात्रियों का स्वागत किया। इन दिनों महाराष्ट्र के श्रद्धालु प्रतिदिन बड़ी संख्या में आ रहे है और शहर के सीवन नदी के तट से धाम पर पहुंच रहे हैं।

विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि धाम पर प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के निर्देशानुसार जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया गया। इस मौके पर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।

दीक्षित ने बताया कि जहां कृष्ण हैं वहां आनंद है और जहां आनंद है वहां कृष्ण हैं। जन्म से लीला संवरण तक भले ही उनका जीवन संघर्षों की अनंत कथा है, मगर उनके अधरों पर हमेशा मधुर मुस्कान खिली रही। हमारे जीवन में कान्हा के होने का अर्थ है, हर पल प्रसन्नता से भरा हुआ है। अपने जीवन को सफल, सार्थक और उन्हीं की भांति यशस्वी बना सकते हैं। संसार की रणभूमि में अपने जीवन की महाभारत में जय के लिए कृष्ण के जीवन सूत्र ही लक्ष्य सिद्धि के कारगर मंत्र हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन प्रेम का पर्याय है। वे मां, पिता, भाई बलराम, सखा अर्जुन और गोपियों सहित प्रकृति मात्र, यहां तक कि पशु-पक्षियों से भी सदैव प्रेम करते हैं। कवि रसखान ने कृष्ण के प्रेम को अभिव्यक्त करते हुए लिखा है कि शेषनाग, सहित सभी जिनकी महिमा का निरंतर गान करते हुए जिन्हें अनादि, अनंत, अखण्ड, अछेद व अभेद्य बताते हैं, वेद से नारद तक और शुकदेव से व्यास तक सारे ज्ञानी और साधक जिनके स्वरूप को जानने का प्रयत्न करते रहते हैं मगर जान नहीं पाते; ऐसे परम परमात्मा जब मानव रूप में श्रीकृष्ण अवतार ग्रहण करते हैं तो ग्राम्य बालाएं महज़ एक दोना भर छाछ के बदले उनसे नाच नचवाती हैं और प्रेम के वशीभूत कृष्ण उनके समक्ष नाचने लगते हैं।

(Udaipur Kiran) तोमर

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