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खादी उत्सव 2025 में कॉलेज के छात्रों ने पेश किया फैशन शो

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New Delhi, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . दिल्ली में भारत की पारंपरिक हैंडलूम और खादी विरासत का उत्सव ‘खादी उत्सव 2025 (वस्त्रकथा 2.0)’ आईएनए दिल्ली हाट में मनाया गया. खादी उत्सव 15 अक्टूबर तक चलेगा. इसमें 100 से अधिक स्टॉल पर हस्तनिर्मित परिधान, कालीन, ज्वेलरी, सजावटी वस्तुएं, और पारंपरिक खाद्य उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं.

दिल्ली खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित इस उत्सव में दिल्ली के मिरांडा हाउस, हिन्दू कॉलेज, खालसा कॉलेज और अपैरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर (एटीडीसी) के छात्रों ने खादी पर आधारित फैशन शो पेश किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “खादी हमारे देश की आत्मा है. यह सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि मेहनतकश लोगों की इज़्ज़त और ग्रामीण भारत की धड़कन है. हर मीटर खादी पहनना मतलब अपने कारीगरों के हाथ मजबूत करना और धरती की रक्षा करना है. फैशन इंडस्ट्री दुनिया की दूसरी प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री मानी जाती है, जबकि खादी हाथ से बनी, टिकाऊ और प्रकृति के अनुकूल है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वदेशी अपनाओ अभियानों की वजह से देश में फिर से खादी के प्रति गर्व और आत्मनिर्भरता की भावना जागी है और मार्केट से चाइनीज सामान कम हो रहे हैं. जब हम खादी को बढ़ावा देते हैं, तो हम रोजगार और पर्यावरण—दोनों का चयन करते हैं.”

सिरसा ने कहा कि यह उत्सव देश की आत्मनिर्भरता और ‘स्वदेशी गौरव’ की भावना का प्रतीक है. उन्होंने कहा, “हम युवाओं और छात्रों के साथ मिलकर एक नया व्यवहारिक बदलाव ला रहे हैं, ताकि लोग विदेशी चीज़ों की बजाय स्वदेशी उत्पाद अपनाएं. विदेशी सामान लेना हमारी पहचान को कमजोर करता है, जबकि Indian चीज़ें खरीदना उसे और मजबूत बनाता है.”

दिल्ली में खादी आंदोलन के पुनरुत्थान पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा, “कभी दिल्ली खादी बोर्ड की स्थिति ऐसी थी कि साल भर में एक लाख रुपए का भी काम नहीं होता था. लेकिन अब पहली बार चार दशकों में दिल्ली सरकार ने खादी को अपनी औद्योगिक नीति के केंद्र में रखा है. Chief Minister रेखा गुप्ता के नेतृत्व में हम इसे दोबारा खड़ा कर रहे हैं — कारीगरों के लिए नए अवसर बना रहे हैं और स्किल डेवलपमेंट व सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जैसे कार्यक्रम चला रहे हैं.”

कार्यक्रम में एटीडीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश वैद और महानिदेशक डॉ. विजय माथुर भी मौजूद रहे, जिन्होंने मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ मिलकर छह थीम आधारित फैशन प्रस्तुतियों की रचनात्मक टीमों को सम्मानित किया.

एटीडीसी की “धरोहर – द हेरिटेज वीव”, मिरांडा हाउस की “ईस्ट टू वेस्ट – फ्यूज़न ऑफ ट्रडिशन एंड एम्पावरमेंट”, खालसा कॉलेज की “खादी बियॉन्ड बाउंड्रीज़”, हिन्दू कॉलेज की “फैब्रिक ऑफ इंडिया”, और एटीडीसी की “जोड़” और “ब्लैक एंड व्हाइट सागा” प्रस्तुतियां कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण रहीं.

कार्यक्रम के दौरान सिरसा ने कारीगरों से हस्तनिर्मित शॉल, कश्मीरी पश्मीना और दीये खरीदकर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया. उन्होंने भुगतान डिजिटल तरीके से यूपीआई के जरिए किया, जिससे डिजिटल इंडिया और स्वदेशी दोनों की भावना को एक साथ सशक्त किया गया.

मंत्री सिरसा ने कहा,“इस दिवाली हम सब ‘स्वदेशी वाली दिवाली’ मनाएं. जब हम अपने कारीगरों से सामान खरीदते हैं, तो असल में हम एक घर से दूसरे घर में उजाला फैलाते हैं. स्वदेशी कोई पुरानी सोच नहीं — यह आज के भारत की नई शान और आत्मविश्वास की पहचान है.”

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

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