कोलकाता, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को एक अहम आदेश में स्पष्ट किया कि स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) की नई भर्ती प्रक्रिया में ‘चिह्नित अयोग्य’ अभ्यर्थी शामिल नहीं हो सकेंगे। न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की एकल पीठ ने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इन अभ्यर्थियों को पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ऐसे किसी व्यक्ति ने पहले ही आवेदन कर दिया है, तो उसे तत्काल निरस्त किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने एक बार फिर से नई भर्ती विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और स्कूल सर्विस कमीशन की ओर से यह दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह नहीं कहा है कि ‘चिह्नित अयोग्य’ अभ्यर्थी नई भर्ती में शामिल नहीं हो सकते। आयोग के अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ उम्र में छूट न देने की बात कही है, लेकिन भविष्य में भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से नहीं रोका है।
हालांकि, न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी व्याख्या आयोग से अपेक्षित नहीं थी। उन्होंने पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इतनी बड़ी भर्ती अनियमितता को लेकर टिप्पणी की है और वेतन लौटाने का आदेश दिया है, तो क्या इन लोगों को फिर से मौका देना उचित होगा?
कल्याण बनर्जी ने कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है, दोष साबित नहीं हुए हैं, और ऐसे में दोबारा इन्हें रोकना कानूनन गलत होगा। इस पर कोर्ट ने पलटकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां नौकरी रद्द करने से भी अधिक गंभीर हैं। यदि इनकी नौकरी भ्रष्टाचार के आरोप में रद्द की गई है, तो फिर क्या इन्हें अनुभव का लाभ (अतिरिक्त अंक) दिया जा सकता है?
राज्य सरकार ने भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा कि ‘चिह्नित अयोग्य’ लोग भविष्य में किसी भी भर्ती में हिस्सा नहीं ले सकते। साथ ही यह भी कहा गया कि इन लोगों की शिक्षक के रूप में कार्य करने का अनुभव छीना नहीं गया है।
इन सभी दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भर्ती प्रक्रिया से ‘चिह्नित अयोग्य’ व्यक्तियों को पूरी तरह बाहर किया जाए और अगर उन्होंने आवेदन किया है, तो उसे अवैध माना जाए। इस फैसले के बाद स्वाभाविक रूप से स्कूल सर्विस कमीशन असहज स्थिति में आ गया है।
यह मामला 2016 की शिक्षक भर्ती में हुए कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें सैकड़ों नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अपने आदेश में इन ‘चिह्नित अयोग्य’ अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी और वेतन भी वापस लेने का निर्देश दिया था। अब हाई कोर्ट के निर्देश से साफ है कि उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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