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चार साल से लंबित बदनी मीणा का अनुग्रह अनुदान भुगतान, सांसद डॉ. मन्नालाल रावत के हस्तक्षेप से फाइल आगे बढ़ी

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जनसुनवाई से मिलने लगे सुखद परिणाम, सांसद ने प्रशासनिक लापरवाही पर जताया दुःख

उदयपुर, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News). सरकार ने राजकीय कर्मचारियों की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिवारों को राहत देने के लिए अनुग्रह अनुदान भुगतान की व्यवस्था की है, लेकिन कई बार प्रशासनिक लापरवाही और बजट की आड़ में ये सहायता राशि वर्षों तक अटकी रह जाती है. ऐसा ही एक मामला वन विभाग से जुड़ा हुआ सांसद डॉ. मन्नालाल रावत की जनसुनवाई में सामने आया, जिसमें चार साल से एक आदिवासी महिला को सहायता राशि नहीं मिल पाई थी.

यह मामला बदनी मीणा का है, जिनके पति स्व. मनजी मीणा की राजकीय सेवा में रहते मृत्यु हो गई थी. सरकार की नीति के अनुसार बदनी मीणा को ₹20 लाख का अनुग्रह अनुदान मिलना था, लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें यह राशि नहीं दी गई. पीड़ित परिवार ने जनसुनवाई में अपनी समस्या सांसद डॉ. रावत के सामने रखी.

सांसद डॉ. रावत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उप वन संरक्षक, उदयपुर से सीधे बात की और उन्हें तत्काल राहत राशि जारी करने के निर्देश देते हुए एक पत्र भेजा. उन्होंने कहा कि —
“कोष में पर्याप्त बजट होने के बावजूद फाइलों को लटकाना और पीड़ित महिला को चक्कर लगवाना अनुचित है. यह सरकार की नीति नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार आदिवासी क्षेत्रों व उनके लोगों के कल्याण के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है.”

सांसद के पत्र के बाद उप वन संरक्षक ने संभागीय मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर बदनी मीणा के अनुग्रह अनुदान भुगतान हेतु बिल पारित करने की अनुमति मांगी है.

उप वन संरक्षक के पत्र के अनुसार, श्रीमती बदनी मीणा के लिए ₹20 लाख का बिल अक्टूबर 2022 और फरवरी 2023 में कोषालय शाखा, उदयपुर को भेजा गया था, लेकिन उस समय “पर्याप्त बजट नहीं होने” के कारण भुगतान रोका गया. वर्ष 2025-26 में एफएमएस पूल बजट में राशि उपलब्ध होने के बावजूद, सितंबर 2025 में पुनः भेजे गए बिल पर भी यही आपत्ति लगाई गई.

अब सांसद डॉ. रावत के हस्तक्षेप के बाद, इस फाइल को आगे बढ़ाया गया है और भुगतान प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की उम्मीद जताई जा रही है.

सांसद सेवा केंद्र, जिला परिषद उदयपुर में हुई जनसुनवाई के इस प्रकरण ने एक बार फिर साबित किया है कि संवेदनशील जनप्रतिनिधि की सक्रिय पहल से आमजन के अटके हुए कार्यों को गति मिल सकती है.

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