जयपुर, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News). Rajasthan पुलिस ने एक बार फिर अपनी सेवा, संवेदना और समर्पण की मिसाल पेश की है. Monday देर रात अलवर शहर में एक दिल को छू लेने वाली घटना में 4 साल की मासूम बच्ची को मौत के मुंह से निकालने के लिए कांस्टेबल हजारीलाल ने अपनी जान जोखिम में डाल दी. बच्ची करीब 25 फीट ऊँचे बंद मकान में फँस गई थी, जिसे पुलिस टीम ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया.
राज्य के डीजीपी राजीव कुमार शर्मा ने इस बहादुर कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि यह पुलिस की “सेवा और संवेदना का जीवंत उदाहरण” है.
अलवर एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि शहर की संकरी गलियों में स्थित एक मकान की पहली मंजिल से रात में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. स्थानीय लोगों और बच्ची की मां निशा राजपूत ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी कि 4 साल की निधि राठौड़ घर के अंदर बंद है और बिजली भी नहीं है.
सूचना मिलते ही थानाधिकारी विजयपाल सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची. मकान चारों ओर से बंद था और बच्ची अंदर बुरी तरह डरी हुई थी. पुलिस ने बच्ची को समझाया और उसे झरोखे तक आने को कहा.
बिजली के तारों के बीच जान पर खेली बहादुरीबिना देर किए पुलिस टीम ने बचाव कार्य शुरू किया. कांस्टेबल हजारीलाल (बेल्ट नंबर 1594) ने बिना किसी हिचक के 30 फीट लंबी सीढ़ी पर चढ़ाई शुरू की, जबकि ऊपर बिजली के नंगे तार झूल रहे थे. उन्होंने करीब 25 मिनट तक जोखिम भरा रेस्क्यू ऑपरेशन किया.
हजारीलाल ने बच्ची को प्यार से पुकारकर उसका डर दूर किया और धीरे-धीरे उसे झरोखे तक लाया. फिर उन्होंने एक हाथ से बच्ची को थामे रखा और दूसरे हाथ से सीढ़ी पर संतुलन बनाते हुए नीचे उतर आए. बच्ची को सुरक्षित उसकी मां निशा देवी के सुपुर्द किया गया.
मां की भावुक कहानीनिशा देवी ने बताया कि उनके पति का इसी साल मार्च में निधन हो गया था और वे सब्ज़ी बेचकर घर का खर्च चलाती हैं. उस दिन बच्ची घर में अकेली रह गई थी, जब यह हादसा हुआ.
डीजीपी ने की प्रशंसाडीजीपी राजीव शर्मा ने कांस्टेबल हजारीलाल और पूरी पुलिस टीम की सराहना करते हुए कहा,
“Rajasthan पुलिस सिर्फ कानून की रक्षक नहीं, बल्कि समाज की संरक्षक भी है. कांस्टेबल हजारीलाल का यह कार्य सेवा, संवेदना और बहादुरी का जीवंत प्रतीक है.”
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