नई दिल्ली, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांगता के चलते सैन्य संस्थानों से बाहर किए गए कैडेटों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार और सभी सेना प्रमुखाें से पूछा है कि क्या ऐसे कैडेट्स को इलाज के बाद सेना में किसी दूसरी वैकल्पिक जॉब दी जा सकती है। मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।
न्यायालय ने केंद्र और वायु सेना, थल सेना और नौ सेना के प्रमुखों को भी नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को ऐसे कैडेट्स को बीमा कवर देने, आर्थिक सहायता बढ़ाने पर विचार करने का सुझाव दिया। न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दिव्यांगता के शिकार होने वाले कैडेट्स को चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए दी जाने वाली 40 हजार की अनुग्रह राशि को बढ़ाने के संबंध में केंद्र सरकार से निर्देश हासिल करें। न्यायालय ने इन दिव्यांग उम्मीदवारों के पुनर्वास के लिए एक योजना पर भी विचार करने को कहा, ताकि उनका इलाज पूरा होने पर उन्हें रक्षा सेवाओं से संबंधित किसी दूसरे काम में वापस लिया जा सके।
उच्चतम न्यायालय ने 12 अगस्त को एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरु की थी। रिपोर्ट के मुताबिक 1985 से अब तक लगभग 500 अधिकारी कैडेट्स को प्रशिक्षण के दौरान हुई विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता के कारण चिकित्सा आधार पर सैन्य संस्थानों से बाहर कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक अकेले एनडीए में ही लगभग 20 ऐसे कैडेट हैं, जिन्हें 2021 से जुलाई 2025 के बीच चिकित्सा आधार पर सेवा से बाहर कर दिया गया।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
You may also like
राजस्थान का थार रेगिस्तान! रेत के टीलों के बीच बसे किले, हवेलियां और रहस्यमयी गाँव, वीडियो में जानें क्यों है पर्यटकों का स्वर्ग
सिर्फ 2 बूंद और गर्म पानी से हो जाएगा चमत्कारˈ मौत को छोड़ हर बीमारी जड़ से हो जाएगी खत्म डॉक्टर भी देख रह गए दंग
Aakash Chopra ने T20 एशिया कप के लिए चुनी Team India की स्क्वाड, Shreyas Iyer को प्लेइंग XI में किया शामिल
वॉर 2: ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर की फिल्म ने तोड़े कई रिकॉर्ड
Skincare Benefits : कच्चे पपीते के पेस्ट के त्वचा के लिए अद्भुत फायदे, लेकिन सावधानियां भी हैं ज़रूरी