राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत इन दिनों जोधपुर दौरे पर हैं, और उनके बयान लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। शुक्रवार को गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए संजीवनी घोटाले से जुड़े एक अहम सवाल पर विस्तार से अपनी राय रखी। गहलोत ने इस मामले में कुछ गंभीर बातें की और साथ ही एक नई पहल की बात भी कही।
संजीवनी घोटाले पर गहलोत का बयान:
गहलोत ने संजीवनी घोटाले के संदर्भ में कहा कि अब केस वापसी का वक्त आ चुका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को और अधिक बढ़ाने की बजाय, अब समाधान की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। गहलोत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को विशेष रूप से निशाने पर लिया और उनसे एक महत्वपूर्ण अपील की। गहलोत ने कहा, "शेखावत को चाहिए कि वे पीड़ितों की संघर्ष समिति के साथ बैठकर बात करने के लिए आगे आएं। यह मामला केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे सुलझाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।"
क्या है संजीवनी घोटाला?
संजीवनी घोटाला राजस्थान में एक चर्चित मामला है, जिसमें आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित संजीवनी स्कीम के तहत गलत तरीके से धन की निकासी की गई। इस घोटाले में कई अधिकारी और राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल बताए गए हैं। हालांकि, घोटाले की जांच चल रही है, लेकिन इस पर अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हो पाई है। गहलोत ने इसे लेकर शेखावत से सीधे संवाद का आह्वान किया और कहा कि अब समय आ चुका है कि सभी पक्ष मिलकर इस मुद्दे को हल करें।
राजनीतिक खेल और गहलोत की रणनीति:
गहलोत के इस बयान से यह साफ है कि वे इस मामले में सुलह की ओर बढ़ने की पक्षधर हैं, और उनका जोर इस बात पर है कि राजनीति से ऊपर उठकर वास्तविक पीड़ितों की मदद की जाए। गहलोत ने संकेत दिया कि यह मुद्दा न केवल राजनीति से जुड़ा हुआ है, बल्कि जनता के हित से भी संबंधित है, और इसे सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
क्या शेखावत देंगे जवाब?
गहलोत के बयान के बाद अब यह देखना होगा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वे गहलोत की अपील पर कोई ठोस कदम उठाने के लिए तैयार होते हैं। अगर शेखावत इस मामले में बातचीत के लिए आगे आते हैं, तो यह राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
यह बयान और उसके बाद के घटनाक्रम राज्य में राजनीतिक हलचल को और बढ़ा सकते हैं, क्योंकि संजीवनी घोटाला एक अहम मुद्दा है और इस पर कोई निर्णायक कार्रवाई प्रदेश के राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकती है।
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