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क्या होती है विसरा रिपोर्ट? जिससे सुलझेगी शेफाली जरीवाला की मौत की गुत्थी

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कांटा लगा गाने और बिग बॉस 13 फेम मशहूर एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की 28 जून को अचानक हुई मौत ने सभी को चौंका दिया है। वह महज 42 साल की थीं। इस वजह से उनकी मौत ने फैंस और सेलेब्स को सदमे में डाल दिया है। शेफाली 'कांटा लगा' गाने से फेमस हुईं और उनके पति पराग त्यागी के साथ उनकी लव स्टोरी भी काफी चर्चा में रही, लेकिन उनकी मौत की खबर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई, लेकिन अभी कुछ भी निश्चित नहीं है। पुलिस अब हर एंगल से जांच कर रही है। उनकी मौत से परिवार और फैंस परेशान हैं और अब सबकी निगाहें विसरा रिपोर्ट पर टिकी हैं।

क्या होती है विसरा रिपोर्ट?

विसरा रिपोर्ट एक खास तरह की फोरेंसिक जांच होती है, जिससे मौत की असल वजह पता चलती है। जब किसी की मौत संदिग्ध लगती है या पोस्टमार्टम से मौत की वजह साफ नहीं होती तो अंदरूनी अंगों (जैसे लिवर, पेट, किडनी) के सैंपल लिए जाते हैं। इन्हें 'विसरा' कहते हैं। इन नमूनों को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है, जहां वैज्ञानिकों की टीम रासायनिक और रेडियोलॉजिकल जांच करती है। इससे पता चलता है कि मौत जहर, बीमारी या किसी और कारण से हुई है। इस रिपोर्ट को कोर्ट में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सुरक्षित रखा गया है

शेफाली जरीवाला की मौत के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही मौत की असली वजह जानने के लिए विसरा के नमूने लैब भेजे गए हैं। एक अधिकारी ने बताया, "पोस्टमार्टम में कुछ भी साफ नहीं हुआ है, इसलिए विसरा रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।" अभी तो यही लग रहा है कि यह स्वाभाविक मौत हो सकती है, लेकिन रिपोर्ट आने पर ही इसकी पुष्टि हो पाएगी। अगर रिपोर्ट में कार्डियक अरेस्ट, जहर या कुछ और बात सामने आती है, तो जांच उसी हिसाब से आगे बढ़ेगी। शेफाली के घर पर पूजा के दौरान उपवास और एंटी-एजिंग दवाओं के इस्तेमाल की बात भी सामने आई है, जिससे शक और गहरा गया है।

कैसे काम करती है विसरा रिपोर्ट?

लैब पहुंचने के बाद डॉक्टर और वैज्ञानिक कई तरह से नमूनों की जांच करते हैं। पहला रासायनिक परीक्षण है, जिसमें क्रोमैटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों का उपयोग करके जहर या दवाओं का पता लगाया जाता है। फिर कोशिकाओं की जांच माइक्रोस्कोप से की जाती है, जहां बीमारी या क्षति के लक्षण पाए जा सकते हैं। टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट में, विशेष मशीनें नमूने में मौजूद रसायनों को अलग करती हैं और उनकी मात्रा को मापती हैं, ताकि जहर की मात्रा और उसके प्रभाव को समझा जा सके। साथ ही, हिस्टोपैथोलॉजी में, अंगों में किसी भी बदलाव (जैसे सूजन) को प्रकट करने के लिए नमूने के पतले हिस्सों का अध्ययन किया जाता है। जांच पूरी होने के बाद, एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें मौत का कारण बताया जाता है।

इसमें कितना समय लगता है?

आमतौर पर विसरा रिपोर्ट बनने में 15 दिन से 1 महीने का समय लगता है, लेकिन अगर मामला बहुत जटिल है, तो इसमें अधिक समय लग सकता है।

विसरा रिपोर्ट की चुनौतियाँ

विसरा रिपोर्ट हमेशा सटीक नहीं होती है। अगर सैंपल को ठीक से स्टोर नहीं किया जाता है या जांच में देरी होती है, तो परिणाम गलत हो सकता है। कोर्ट ने कहा है कि जहर से मौत के मामले में विसरा जांच जरूरी है। अगर शेफाली के मामले में भी कोई गलती पाई जाती है तो यह रिपोर्ट अहम होगी।

सेल्फ मेडिकेशन कर रही थी शेफाली

जांच में पुलिस को पता चला है कि शेफाली कई सालों से सेल्फ मेडिकेशन कर रही थी। पुलिस ने उसके घर की तलाशी ली तो वहां से 2 डिब्बे दवाइयां मिली हैं। सूत्रों के मुताबिक शेफाली की मौत वाले दिन उसने एक दिन पुराना खाना खाया था और उसके बाद उसने एंटी एजिंग दवाइयां भी ली थीं। डॉक्टरों का मानना है कि सेल्फ मेडिकेशन की वजह से ही शेफाली को कार्डियक अरेस्ट हुआ होगा। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को जांच में पता चला है कि जिस दिन शेफाली की मौत हुई, उस दिन उसका बीपी लो हो गया था। जिसकी वजह से वह बेहोश हो गई थी। शेफाली को उसके पति पराग, माता-पिता और घर के नौकर अस्पताल ले गए थे।

पुलिस ने 10 लोगों के बयान दर्ज किए हैं

शेफाली की मौत के मामले में पुलिस ने अब तक करीब 10 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। उसके पति पराग ने पुलिस को बताया है कि शेफाली और उसके बीच काफी अच्छे संबंध थे। वे दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे। शेफाली की मौत से उन्हें गहरा सदमा लगा है। पराग और परिवार का भी यही कहना है कि शेफाली खुद ही दवाइयां लेती थी।

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