भारत की पावन भूमि पर अनेक मंदिर हैं जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। बिहार राज्य के गया जिले में स्थित विष्णुपद मंदिर भी ऐसा ही एक अलौकिक स्थल है, जो न केवल हिंदू धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पूजनीय है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है।
मंदिर की पौराणिक मान्यताविष्णुपद मंदिर से जुड़ी मान्यता महाभारत काल से भी पुरानी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने गयासुर नामक राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था। कहा जाता है कि गयासुर को वरदान प्राप्त था कि जब तक उसके शरीर को कोई न दबाए, वह मोक्ष नहीं पाएगा। तब भगवान विष्णु ने अपने पैर का दबाव देकर गयासुर को पाताल लोक में भेज दिया और उसे मोक्ष प्रदान किया। भगवान के पदचिह्न जहाँ अंकित हुए, वहीं विष्णुपद मंदिर की स्थापना हुई। आज भी मंदिर के गर्भगृह में 40 सेंटीमीटर लंबा भगवान विष्णु का पदचिह्न एक चट्टान पर उकेरा हुआ है, जो श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का मुख्य केंद्र है।
वास्तुकला और विशेषताएंविष्णुपद मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है। यह मंदिर पूर्णतः काले बेसाल्ट पत्थरों से बना हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट है। मंदिर की छत अष्टकोणीय है, जिसे आठ विशाल स्तंभ सहारा देते हैं। इस मंदिर का पुनर्निर्माण मराठा महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा 1787 ईस्वी में करवाया गया था। मंदिर परिसर में एक पवित्र कुआँ भी है, जिसे फल्गु नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी अधिकतर समय सूखी रहती है, लेकिन इसकी पवित्रता के कारण श्रद्धालु यहाँ पिंडदान करते हैं।
पिंडदान का महत्त्वगया और विष्णुपद मंदिर विशेष रूप से पिंडदान के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष पितृपक्ष के दौरान लाखों श्रद्धालु यहाँ अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार को शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस परंपरा का वर्णन स्कंद पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।
मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं की आस्थामंदिर का प्रशासन गया पंचायतन ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है, जिन्हें गयावाल पंडित भी कहा जाता है। ये पुजारी मंदिर की पूजा-पद्धति और पिंडदान की प्रक्रिया को विधिवत संपन्न कराते हैं। देशभर से आने वाले श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर में गहरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आते हैं और मंदिर के वातावरण में अलौकिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
निष्कर्षविष्णुपद मंदिर न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग भी है। गया की भूमि, जहाँ भगवान विष्णु ने गयासुर को मोक्ष प्रदान किया, आज भी लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र बनी हुई है। यदि आप धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी यात्रा करना चाहते हैं, तो विष्णुपद मंदिर अवश्य आपके दर्शन स्थलों की सूची में होना चाहिए।
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