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सिर्फ 1 मिनिट में देखें शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या नहीं ?

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हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है. हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है, क्योंकि इस रात चांद पूरी तरह से चमकता है यानी कि चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है.

शरद पूर्णिमा तिथि

पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. इस दिन चन्द्रोदय शाम को 05 बजकर 04 मिनट पर होगा.

शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें: चंद्रमा को जल अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें.
  • मां लक्ष्मी की पूजा करें: मां लक्ष्मी की पूजा करें और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें.
  • दीपक जलाएं: घर में दीपक जलाएं इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
  • मंत्रों का जाप करें: मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.
  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें: धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें.
  • दान करें: जरूरतमंदों को दान करें.
शरद पूर्णिमा के दिन क्या न करें
  • नकारात्मक विचार: मन में नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए.
  • झगड़ा: किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए.
  • गुस्सा करना: गुस्सा नहीं करना चाहिए.
  • असत्य बोलना: झूठ नहीं बोलना चाहिए.
इन बातों का रखें खास ध्यान

शरद पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न करें. इस दिन लहसुन, प्याज का सेवन भी निषेध माना गया है. उपवास रखें तो ज्यादा बेहतर होगा. शरीर के शुद्ध और खाली रहने से आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति कर पाएंगे. इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें. और न ही काले रंग के कपड़े पहनें. चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा.

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