उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए रिटायर्ड वैज्ञानिक से करोड़ों की ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के गिरोह के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। रविवार को गिरोह के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया, जो इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। इससे पहले 8 जुलाई को इस मामले में चार सदस्यों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है।
क्या है मामला?गिरोह ने एआई और तकनीकी धोखाधड़ी का सहारा लेते हुए एक रिटायर्ड वैज्ञानिक को "डिजिटल अरेस्ट" का झांसा देकर 1.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली थी। उन्हें बताया गया कि उनका नाम एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में आ गया है और उन्हें तत्काल रकम ट्रांसफर करनी होगी, वरना उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
डर और मानसिक दबाव में आकर वैज्ञानिक ने यह मोटी रकम एक निजी कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट में ट्रांसफर कर दी थी, जो बाद में ठगों के नियंत्रण में पाया गया।
एसटीएफ की जांच में पता चला कि इस धोखाधड़ी में शामिल लखनऊ स्थित एक इंफ्रा कंपनी के निदेशक की भी अहम भूमिका थी। कॉरपोरेट अकाउंट का इस्तेमाल साइबर ठगी के पैसे मंगाने के लिए किया जा रहा था, और बदले में आरोपी को क्रिप्टो करेंसी में कमीशन दिया जा रहा था।
रविवार को पकड़े गए आरोपियों की भूमिकारविवार को जिन दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, वे:
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धोखाधड़ी में उपयोग किए गए खातों को ऑपरेट कर रहे थे
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और रकम के स्थानांतरण को छिपाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग चैनल तैयार कर रहे थे।
इन आरोपियों से पूछताछ के बाद गिरोह की अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कड़ियों तक पहुंचने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
STF की तकनीकी टीम ने:
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रुपयों के लेन-देन की ट्रैकिंग
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फोन कॉल रिकॉर्डिंग और डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर आरोपियों की पहचान की।
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इसके बाद लखनऊ और नोएडा में छापेमारी कर गिरोह के इन दो सदस्यों को दबोच लिया गया।
STF के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरोह के कुछ सदस्य विदेश में भी सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। साथ ही रिटायर्ड वैज्ञानिक के खाते में गई रकम में से कुछ राशि को फ्रीज कर वापस दिलाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
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