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भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर, जहां आज भी खौलता रहते है पानी, जुड़ी है रहस्यमयी कहानी भगवान शिव के क्रोध से

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भारत में भगवान शिव के मंदिर न सिर्फ आस्था, बल्कि रहस्य और चमत्कारों के लिए भी जाने जाते हैं। ऐसे ही एक प्राचीन मंदिर की कहानी बेहद चौंकाने वाली है, जहां आज भी पानी खौलता रहता है। यह कोई सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं मानी जाती, बल्कि इसे भगवान शिव के क्रोध का प्रतीक माना जाता है। स्थानीय मान्यता और पौराणिक कथा इस रहस्यमयी घटना को शिव के गुस्से से जोड़ती है, जिससे यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए और भी अधिक रहस्यपूर्ण और पवित्र बन गया है।

कहां स्थित है यह चमत्कारी मंदिर?

यह अद्भुत मंदिर भारत के एक शांत पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, जहां हर साल हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के गर्भगृह के पास एक जलकुंड या हौज है, जिसमें पानी हमेशा खौलता रहता है। वैज्ञानिक नजरिए से इसकी पूरी जांच की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कारण नहीं मिल सका कि आखिर यह पानी लगातार उबलता क्यों है – खासतौर पर तब, जब आसपास का तापमान सामान्य बना रहता है।

शिव के क्रोध से जुड़ी है कथा

इस चमत्कारी जलकुंड के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि द्वापर युग में एक असुर ने इसी स्थान पर तपस्या शुरू की थी और उसने अपने घोर अत्याचारों से धरती पर त्राहि-त्राहि मचा दी थी। जब उसकी तपस्या पूरी होने वाली थी, तब भगवान शिव ने उसे रोकने के लिए क्रोध में आकर त्रिशूल प्रहार किया। शिव के इसी क्रोध से इस स्थान पर अग्नि और उष्णता की उत्पत्ति हुई, और तभी से यहां का पानी लगातार खौलता आ रहा है।

खौलते पानी में होती है विशेष पूजा

यहां श्रद्धालु खौलते पानी को चमत्कार मानते हुए उसकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस जल से स्नान या उसका स्पर्श करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं, मानसिक तनाव मिटता है और पापों से मुक्ति मिलती है। कुछ भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर इस जल से विशेष अर्घ्य अर्पित करते हैं।

वैज्ञानिकों ने भी मानी बात, लेकिन नहीं मिला स्पष्ट जवाब

हालांकि वैज्ञानिकों ने इस जलकुंड की गहराई, तापमान और भूगर्भीय संरचना की जांच की है, परंतु आज तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि पानी प्राकृतिक रूप से क्यों खौलता है जबकि आसपास गर्म जलस्रोत या ज्वालामुखी जैसी कोई स्थिति नहीं पाई गई। इससे जुड़ी रहस्यमयी कहानी और चमत्कारिक अनुभवों ने इसे एक दिव्य तीर्थस्थल का रूप दे दिया है।

निष्कर्ष

भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि शिव का क्रोध भी एक चेतावनी और एक दैवीय संकेत होता है। खौलते पानी का यह चमत्कार आज भी लोगों को हैरान करता है और उन्हें भोलेनाथ की महिमा का बोध कराता है। जो भी श्रद्धालु यहां आता है, वह इस अद्भुत शक्ति को अनुभव कर भक्ति और विश्वास के साथ लौटता है

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