नई दिल्ली। देश की अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। झारखंड हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों में 3 साल की देरी के मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि कुछ जज चाय पीने, कॉफी पीने, ये ब्रेक, वो ब्रेक कहकर उठ जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर जज सिर्फ लंच ब्रेक लें, तो उनकी परफॉर्मेंस और नतीजे बेहतर होंगे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि प्रस्ताव करते हैं कि ये देखा जाए देशभर के हाईकोर्ट का आउटपुट क्या है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम सिस्टम पर कितना खर्च कर रहे हैं और नतीजे में क्या मिल रहा है। अदालत ने ये भी कहा कि परफॉर्मेंस का स्तर क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये भी देखना चाहिए कि क्या बेंचमार्क होना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि हम कुछ जजों के बारे में जानते हैं जो बहुत मेहनत करते हैं। हमें उनके कामकाज पर गर्व होता है, लेकिन कुछ जज ऐसे हैं, जो हमें निराश करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ इस तरह की बातें हम सुन रहे हैं। इस मामले में हम बहुत स्पष्ट हैं कि उन मुद्दों से निपटा जाए जो गैरजरूरी तौर पर हाईकोर्ट के कामकाज के बारे में फैसला सुनाने का न्योता दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने मंगलवार को 4 दोषियों की याचिका आई थी। इन सभी की आपराधिक मामलों में अपील दाखिल करने पर 2-3 साल पहले झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित किया और इसे सुनाया नहीं था। जब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, तो हाईकोर्ट ने 3 दोषियों को बरी और चौथे पर विभाजित फैसला सुनाया। झारखंड हाईकोर्ट ने सभी को रिहा करने का भी आदेश दे दिया। अब सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से उम्मीद है कि हाईकोर्ट में तेजी से मामलों पर विचार और फैसला सुनाए जाने की प्रक्रिया देखने को मिलेगी।
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