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भाई दूज के दिन सिर्फ भाई को तिलक नहीं, इनकी पूजा भी ज़रूरी है, वरना रह जाएंगे पीछे

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Chitragupta Puja 2025: दिवाली का पांच दिनों का जगमगाता त्योहार खत्म होता है भाई दूज के साथ। भाई-बहन के इस प्यारे से त्योहार के बारे में तो हम सब जानते हैं,लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी दिन एक और बहुत ही खास और महत्वपूर्ण पूजा होती है?यह पूजा है हमारे कर्मों का हिसाब-किताब रखने वाले,यमराज के सहायक,भगवान चित्रगुप्तकी।खासकर कायस्थ समाज के लिए तो यह उनके कुलदेवता का सबसे बड़ा दिन होता है,जिसे वे बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाते हैं।कौन हैं भगवान चित्रगुप्त और क्यों है इनकी पूजा इतनी ज़रूरी?मान्यताओं के अनुसार,भगवान चित्रगुप्त हमारी ज़िंदगी की किताब लिखते हैं। हम जो भी अच्छा-बुरा काम करते हैं,उसका पूरा लेखा-जोखा वे अपनी कलम और दवात से दर्ज करते हैं। इसी वजह से इनकी पूजा में कलम-दवात का विशेष महत्व होता है। यह एक तरह से अपनी बुद्धि,विद्या और विवेक के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन है।तो कब है यह खास दिन?इस साल यह पावन पर्वगुरुवार, 23अक्टूबर, 2025को मनाया जाएगा।द्वितीया तिथि शुरू होगी: 22अक्टूबर,रात08:16बजेद्वितीया तिथि खत्म होगी: 23अक्टूबर,रात10:46बजेपूजा का सबसे शुभ मुहूर्त:दोपहर01:13से दोपहर03:28तक।कैसे करें पूजा? (एक सरल विधि)सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें।पूजा की जगह को साफ करें और भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।उनके सामने घी का दीया जलाएं और उन्हें फूल,फल,मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।अब आती है सबसे खास रस्म-कलम और दवात की पूजा।कलम-दवात की पूजा: सबसे ज़रूरी रस्मपूजा करते समय अपने सामने एक सादा कागज़,कलम और दवात ज़रूर रखें।उस कागज़ पर रोली-घी से स्वास्तिक बनाएं। सबसे ऊपर'श्री गणेशाय नमः'लिखें और फिर'ॐ चित्रगुप्ताय नमः'का जाप करें।इसके बाद अपनी आय-व्यय का ब्योरा लिखें,अपने मन की इच्छा लिखें और आखिर में देवी-देवताओं के नाम लिखकर इसे भगवान चित्रगुप्त को अर्पित कर दें।यह दिन सिर्फ पूजा का ही नहीं,बल्कि अपने कर्मों पर विचार करने और आने वाले साल में अच्छे कर्म करने का संकल्प लेने का भी है।
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