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क्या तेजस्वी के 'तेज' से डर गई कांग्रेस? बिहार चुनाव से पहले CM चेहरे पर दिया ऐसा बयान, जिससे मच गया बवाल

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बिहार की राजनीति में चुनाव आने से महीनों पहले ही शतरंज की बिसात बिछने लगती है,और हर मोहरे की चाल के गहरे मायने होते हैं। अभी चुनाव में वक्त है,लेकिन विपक्षी खेमे में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर एक ऐसी दरार दिखने लगी है,जो आने वाले तूफान का संकेत दे रही है।हमेशा से यही माना जा रहा था कि बिहार में विपक्ष का मतलब तेजस्वी यादव हैं,और महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम ही सबसे आगे होगा। लेकिन अब,इस'तय'बात पर उन्हीं के सबसे बड़े साथी,यानीकांग्रेस पार्टीने एक ऐसा बयान दे दिया है,जिसनेRJDके खेमे में हलचल मचा दी है।कांग्रेस ने क्यों खींचे अपने हाथ?कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को सीधे-सीधे विपक्ष का मुख्यमंत्री चेहरा मानने से इनकार कर दिया है। पार्टी के आला नेताओं का कहना है, "चुनाव के बाद सभी विधायक मिलकर यह तय करेंगे कि उनका नेता कौन होगा।"यह सिर्फ एक सामान्य बयान नहीं है,बल्कि इसके पीछे एक बहुत गहरा और सोचा-समझा राजनीतिक दांव है। आइए समझते हैं कांग्रेस के इस बयान का असली मतलब क्या है:"हम सिर्फ फॉलोअर नहीं हैं":कांग्रेस अब बिहार मेंRJDकी'छोटी बहन'या'पिछलग्गू'बनकर नहीं रहना चाहती। यह बयान देकर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह भी इस गठबंधन में एक बराबर की हिस्सेदार है और मुख्यमंत्री कौन बनेगा,यह फैसलाकरने में उसकी भी सुनी जाएगी।मोल-भाव की राजनीति:चुनाव से पहले ही किसी एक नाम पर मुहर लगाने का मतलब होता है अपनी मोल-भाव करने की ताकत को कम कर देना। कांग्रेस अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती। वह देखना चाहती है कि चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं,और नतीजों के बाद ही वह अपना अगला कदम उठाएगी।क्या कोई और चेहरा भी है नजर में?कांग्रेस का यह कहना कि "विधायक तय करेंगे",इस बात की ओर भी इशारा करता है कि शायद उनकी नजर में तेजस्वी के अलावा भी कोई और विकल्प हो सकता है। यहRJDपर दबाव बनाने की एक बहुत ही कारगर रणनीति है।यह बयान उस दोस्ती में पड़ी पहली गांठ की तरह है,जिसे अगर समय रहते नहीं सुलझाया गया,तो यह चुनाव में विपक्ष की नाव डुबो सकती है। एक तरफ जहांNDAनीतीश कुमार और बीजेपी के नेतृत्व में एकजुट दिखने की कोशिश कर रहा है,वहीं दूसरी तरफ विपक्ष में'नेता'को लेकर ही लड़ाई शुरू हो गई है।अब देखना यह है कि क्या तेजस्वी यादव अपनी'स्वाभाविक दावेदारी'को मनवा पाते हैं,या फिर कांग्रेस का यह दांव बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण पैदा करेगा।
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