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भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, पाकिस्तान को पानी रोकने के लिए तीन स्तर की रणनीति बनाई

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भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, पाकिस्तान को पानी रोकने के लिए तीन स्तर की रणनीति बनाई

पाकिस्तान स्थित आतंकियों द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करते हुए सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी है। भारत ने स्पष्ट किया कि अब सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी बर्बाद नहीं होगी और न ही पाकिस्तान को दी जाएगी।

जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने जानकारी दी कि पानी के संरक्षण और उपयोग के लिए ठोस इंतजाम किए जाएंगे। इसके तहत सरकार ने तीन स्तरों पर – अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई हैं। सूत्रों के अनुसार, सिंधु बेसिन की नदियों के किनारे मौजूद बांधों की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि ज्यादा पानी को संग्रहित किया जा सके।

सरकार ने पाकिस्तान को भेजी औपचारिक अधिसूचना

भारत सरकार ने सिंधु जल संधि निलंबन को लागू करने के लिए एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की है, जिसे पाकिस्तान को सौंप दिया गया। इस अधिसूचना में कहा गया है कि अब दोनों देशों के सिंधु आयुक्तों के बीच बैठकें, डेटा साझा करना और नई परियोजनाओं की जानकारी देना जैसे सभी संधि दायित्व प्रभावी रूप से निलंबित कर दिए गए हैं।

सरकारी पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया कि, “किसी भी संधि का पालन सद्भावना पर आधारित होता है, लेकिन पाकिस्तान ने सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देकर जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाया है। ऐसे में भारत को मजबूरी में यह कठोर कदम उठाना पड़ा है।”

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारत के इस कदम का विरोध करते हुए इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि संधि के तहत उसके पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को वह “युद्ध की कार्रवाई” (Act of War) के रूप में मानेगा। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर 1960 में समझौता हुआ था, जिसका उद्देश्य सीमा पार बहने वाली नदियों के जल प्रबंधन को लेकर विवादों का समाधान करना था

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