News India Live, Digital Desk: दीपावली का पावन पर्व रोशनी, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का त्योहार है. इसी पांच दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन 'नरक चतुर्दशी' मनाई जाती है, जिसे हम सभी 'छोटी दिवाली' या 'रूप चौदस' के नाम से भी जानते हैं. यह दिन सिर्फ रोशनी जलाने का नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत और यमराज की पूजा से अकाल मृत्यु का भय दूर करने का भी खास महत्व रखता है. साल 2025 में, नरक चतुर्दशी 29 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है.नरक चतुर्दशी 2025: तिथि और मुहूर्तदिनांक: 29 अक्टूबर, 2025, बुधवारनरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त: (कृपा ध्यान दें: यहां मैं 2025 के लिए विशिष्ट पंचांग का डेटा प्राप्त नहीं कर सकता। लेकिन सामान्यतः पूजा मुहूर्त प्रदोष काल में होता है। पूजा का सही समय पंचांग के अनुसार देखना चाहिए।)नरक चतुर्दशी का महत्व और पौराणिक कथा:यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर राक्षस के वध का प्रतीक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राग्ज्योतिषपुर का राक्षस राजा नरकासुर इतना बलवान हो गया था कि उसने सभी देवताओं और 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था. तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और सभी को उसकी कैद से आजाद कराया. इसी जीत की खुशी में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन शाम के समय यमराज की पूजा करके अकाल मृत्यु से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है और 'अभ्यंग स्नान' (स्नान के पहले तेल मालिश) का विशेष महत्व है.नरक चतुर्दशी पूजन सामग्री:मूर्ति (गणेश जी, माता लक्ष्मी)चौकी/पाटकलावाफूल (गेंदा, गुलाब)कुंकुमादि तेल (या कोई भी सुगन्धित तेल)सुगन्धित उबटन (घर का बना या बाजार का)हल्दी, कुमकुमदीपक (मिट्टी के दीये), बाती, तेलघी, रुई की बातीमिठाई, फल, पंचामृतअक्षत (चावल), गंगाजलगुड़, बताशेनई झाड़ू (खासकर छोटी दिवाली पर नई झाड़ू खरीदने की परंपरा है)नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) पूजा विधि:अभ्यंग स्नान: नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर सुगंधित तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. यह माना जाता है कि ऐसा करने से सौंदर्य और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नरक यातनाओं से मुक्ति मिलती है.दीये जलाना: शाम के समय, सूर्यास्त के बाद, अपने घर के हर कोने, बालकनी, खिड़की और दरवाजे पर दीये जलाएं. यह घर को रोशन करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक है. एक दीया यमराज के नाम से भी जलाया जाता है, जिसे मुख्य द्वार पर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है.यमराज की पूजा: यमराज के लिए दीया जलाने के साथ-साथ, कुछ घरों में यमदेवता की विशेष पूजा भी की जाती है. यह अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने और स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए होता है.मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा: कई घरों में छोटी दिवाली के दिन भी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. दीपक जलाने के बाद साफ-सफाई करें. एक चौकी पर गणेश जी और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. रोली, चंदन, अक्षत, फूल अर्पित करें. मिष्ठान और फल का भोग लगाएं.आरती और प्रार्थना: पूजा के बाद पूरे परिवार के साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और यमराज की आरती करें. सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करें.नई झाड़ू का उपयोग: इस दिन एक नई झाड़ू खरीदना और उससे घर की साफ-सफाई करना बहुत शुभ माना जाता है. यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालने का प्रतीक है.छोटी दिवाली हमें अपने जीवन से बुराइयों, आलस्य और अंधकार को मिटाकर प्रकाश और सकारात्मकता को अपनाने का संदेश देती है.
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