आयुर्वेद में कंटकारी बहुत उपयोगी जड़ी बूटी है और व्यापक तौर पर इसका इस्तेमाल सर्दी, जुकाम, अस्थमा और ऐसे कई श्वसन मार्ग से जुड़ी स्थितियों के इलाज में किया जाता है। दस जड़ी बूटियों के समूह यानी दशमूल में से एक कंटकारी यानी कटेरी भी है। कंटकारी का मतलब होता है जो गले के लिए अच्छी हो। ये लैरिंजाइटिस और गले में खराश आदि समस्याओं को दूर करने की क्षमता रखती है।आइए जानते हैं ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटी स्वास्थ्य के लिए किस तरह फायदेमंद होती है। कटेरी जड़ी बूटी कितनी मात्रा में लेनी चाहिए
इस जड़ी बूटी का पूरा पौधा, जड़ और फल उपयोग में लाया जाता है। इसका पाउडर 1 से 3 ग्राम, काढ़ा 40 से 80 मि.ली लेना सुरक्षित रहता है। मरीज की स्थिति और बीमारी के आधार पर इस जड़ी बूटी का रूप और खुराक निर्धारित की जाती है।
जब आपके शरीर में इंसुलिन का अधिक उत्पादन होता है तो ओवरी मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का ज्यादा उत्पादन करने लगती है। जिसकी वजह से मासिक धर्म में गड़बड़ी, मुंहासे और बालों के झड़ने की समस्या पैदा होने लगती है। यही नहीं इसकी वजह से मोटापा बढ़ना शुरू हो जाता है, खासकर पेट के आसपास। इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित कर के PCOS के लक्षणों को कम किया जा सकता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से इंसुलिन रेजिस्टेंस और ब्लड शुगर लेवल को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
ज्यादा स्ट्रेस लेने से शरीर कोर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन करता है। जब कोर्टिसोल का स्तर काफी ऊंचा हो जाता है, तो शरीर के बाकी हार्मोन्स का स्तर नीचे चला जाता है और सेल-डैमेजिंग फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ जाती है। अध्ययन बताते हैं कि अश्वगंधा कोर्टिसोल के स्तर को 28% तक कम कर सकता है। इसे लेने से नींद की गड़बड़ी भी ठीक होती है जो कि स्ट्रेस को कम करने के लिए फायदेमंद है।
महिलाओं में बांझपन का सबसे आम कारण PCOS है क्योंकि यह ओवुलेशन को दबा देता है। लेकिन अश्वगंधा का सेवन करने से सफलतापूर्वक ओवुलेशन होता है। यह अनियमित मासिक चक्र को भी ठीक करता है और दर्दनाक माहवारी से भी राहत दिलाता।
अश्वगंधा कोर्टिसोल के स्तर को 28% तक कम करके मूड बूस्ट करने वाले हार्मोन को बढ़ाता है।। इससे तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है।
आयुर्वेद में अश्वगंधा का उपयोग पूरे स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह सुस्ती और थकान दूर करने के लिए आवश्यक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक तरफ यह तनाव को कम करता है और दूसरी ओर यह आपके शरीर को अधिक सक्रिय बनाता है। वे लोग जिनकी नींद बार बार रात में टूटती है उनके लिए अश्वगंधा फायदेमंद साबित होता है।
कटेरी जड़ी बूटी के औषधीय गुण
कटेरी बूटी को रस के रूप में लेने पर इसका स्वाद कसैला और कड़वा होता है। ये हल्की, सूखी और तीक्ष्ण होती है। भोजन कुटुहलम के अनुसार कटेरी का फल स्वाद में कसैला होता है और इसका गर्म प्रभाव रहता है। ये पाचन अग्नि को उत्तेजित करती है और डिस्पेनिया एवं खांसी का इलाज करती है। इससे राइनाइटिस, दर्द, असंतुलित वात एवं कफ दोष और बुखार का इलाज भी होता है।
कटेरी के स्वास्थ्यवर्द्धक लाभ
कंटकारी के रस के साथ शहद लेने पर डिस्युरिया यानी पेशाब करने में दिक्क्त की समस्या का इलाज होता है।
खांसी के इलाज के लिए कंटकारी सबसे बेहतरीन जड़ी बूटी है।
गर्म प्रभाव और कसैले स्वाद के कारण कटेरी कफ और वात को ठीक करने का गुण रखती है। ये प्राकृतिक रूप से पाचन में सुधार लाकर पाचन तंत्र को मजबूत करती है। सांस से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए व्यापक रूप से कटेरी का इस्तेमाल किया जाता है।
एनोरेक्सिया (भूख न लगना), बुखार, वात दोष में असंतुलन के कारण हुए विकारों, अत्यधिक खुजली, त्वचा रोगों, पेट में कीड़े होने, ह्रदय वािकरों, शीघ्रस्खलन आदि समस्याओं के इलाज में कटेरी उपयोगी है।
इसके बीज मासिक धर्म और प्रसव में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
इससे मोटापा घटाने और शरीर में जमा कोलेस्ट्रोल को हटाने में भी सहायता मिलती है।
कंटकारीके नुकसान
चूंकि कंटकारी गर्म होती है इसलिए पित्त विकारों के लिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
बच्चों और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए कटेरी लाभकारी है।
गर्भावस्था के दौरान कटेरी ले सकते हैं लेकिन इससे आपको अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में उल्टी और मतली से बचने के लिए 5-6 किशमिश और 5 ग्राम कटेरी को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोज पीएं।
वहीं अगर आपको लिवर से जुड़ी कोई परेशानी है तो कटेरी का काढ़ा पीने से लिवर में संक्रमण और सूजन कम करने में मदद मिलती है।आयुर्वेद में कंटकारी बहुत उपयोगी जड़ी बूटी है और व्यापक तौर पर इसका इस्तेमाल सर्दी, जुकाम, अस्थमा और ऐसे कई श्वसन मार्ग से जुड़ी स्थितियों के इलाज में किया जाता है। दस जड़ी बूटियों के समूह यानी दशमूल में से एक कंटकारी यानी कटेरी भी है। कंटकारी का मतलब होता है जो गले के लिए अच्छी हो। ये लैरिंजाइटिस और गले में खराश आदि समस्याओं को दूर करने की क्षमता रखती है।आइए जानते हैं ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटी स्वास्थ्य के लिए किस तरह फायदेमंद होती है।
कटेरी जड़ी बूटी कितनी मात्रा में लेनी चाहिए
इस जड़ी बूटी का पूरा पौधा, जड़ और फल उपयोग में लाया जाता है। इसका पाउडर 1 से 3 ग्राम, काढ़ा 40 से 80 मि.ली लेना सुरक्षित रहता है। मरीज की स्थिति और बीमारी के आधार पर इस जड़ी बूटी का रूप और खुराक निर्धारित की जाती है।
जब आपके शरीर में इंसुलिन का अधिक उत्पादन होता है तो ओवरी मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का ज्यादा उत्पादन करने लगती है। जिसकी वजह से मासिक धर्म में गड़बड़ी, मुंहासे और बालों के झड़ने की समस्या पैदा होने लगती है। यही नहीं इसकी वजह से मोटापा बढ़ना शुरू हो जाता है, खासकर पेट के आसपास। इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित कर के PCOS के लक्षणों को कम किया जा सकता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से इंसुलिन रेजिस्टेंस और ब्लड शुगर लेवल को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
ज्यादा स्ट्रेस लेने से शरीर कोर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन करता है। जब कोर्टिसोल का स्तर काफी ऊंचा हो जाता है, तो शरीर के बाकी हार्मोन्स का स्तर नीचे चला जाता है और सेल-डैमेजिंग फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ जाती है। अध्ययन बताते हैं कि अश्वगंधा कोर्टिसोल के स्तर को 28% तक कम कर सकता है। इसे लेने से नींद की गड़बड़ी भी ठीक होती है जो कि स्ट्रेस को कम करने के लिए फायदेमंद है।
महिलाओं में बांझपन का सबसे आम कारण PCOS है क्योंकि यह ओवुलेशन को दबा देता है। लेकिन अश्वगंधा का सेवन करने से सफलतापूर्वक ओवुलेशन होता है। यह अनियमित मासिक चक्र को भी ठीक करता है और दर्दनाक माहवारी से भी राहत दिलाता।
अश्वगंधा कोर्टिसोल के स्तर को 28% तक कम करके मूड बूस्ट करने वाले हार्मोन को बढ़ाता है।। इससे तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है।
आयुर्वेद में अश्वगंधा का उपयोग पूरे स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह सुस्ती और थकान दूर करने के लिए आवश्यक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक तरफ यह तनाव को कम करता है और दूसरी ओर यह आपके शरीर को अधिक सक्रिय बनाता है। वे लोग जिनकी नींद बार बार रात में टूटती है उनके लिए अश्वगंधा फायदेमंद साबित होता है।
कटेरी जड़ी बूटी के औषधीय गुण
कटेरी बूटी को रस के रूप में लेने पर इसका स्वाद कसैला और कड़वा होता है। ये हल्की, सूखी और तीक्ष्ण होती है। भोजन कुटुहलम के अनुसार कटेरी का फल स्वाद में कसैला होता है और इसका गर्म प्रभाव रहता है। ये पाचन अग्नि को उत्तेजित करती है और डिस्पेनिया एवं खांसी का इलाज करती है। इससे राइनाइटिस, दर्द, असंतुलित वात एवं कफ दोष और बुखार का इलाज भी होता है।
कटेरी के स्वास्थ्यवर्द्धक लाभ
कंटकारी के रस के साथ शहद लेने पर डिस्युरिया यानी पेशाब करने में दिक्क्त की समस्या का इलाज होता है।
खांसी के इलाज के लिए कंटकारी सबसे बेहतरीन जड़ी बूटी है।
गर्म प्रभाव और कसैले स्वाद के कारण कटेरी कफ और वात को ठीक करने का गुण रखती है। ये प्राकृतिक रूप से पाचन में सुधार लाकर पाचन तंत्र को मजबूत करती है। सांस से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए व्यापक रूप से कटेरी का इस्तेमाल किया जाता है।
एनोरेक्सिया (भूख न लगना), बुखार, वात दोष में असंतुलन के कारण हुए विकारों, अत्यधिक खुजली, त्वचा रोगों, पेट में कीड़े होने, ह्रदय वािकरों, शीघ्रस्खलन आदि समस्याओं के इलाज में कटेरी उपयोगी है।
इसके बीज मासिक धर्म और प्रसव में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
इससे मोटापा घटाने और शरीर में जमा कोलेस्ट्रोल को हटाने में भी सहायता मिलती है।
कंटकारीके नुकसान
चूंकि कंटकारी गर्म होती है इसलिए पित्त विकारों के लिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
बच्चों और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए कटेरी लाभकारी है।
गर्भावस्था के दौरान कटेरी ले सकते हैं लेकिन इससे आपको अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में उल्टी और मतली से बचने के लिए 5-6 किशमिश और 5 ग्राम कटेरी को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोज पीएं।
वहीं अगर आपको लिवर से जुड़ी कोई परेशानी है तो कटेरी का काढ़ा पीने से लिवर में संक्रमण और सूजन कम करने में मदद मिलती है।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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