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भारत ने लिया चीन का नाम तो पाकिस्तान को लगी मिर्ची, मुल्ला मुनीर ने 'कैंप पॉलिटिक्स' बता उगला जहर

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इस्लामाबाद: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन-पाकिस्तान गठजोड़ की पोल क्या खोली, दोनों देश भड़क उठे हैं। इस बार भारत के हाथों पिटी पाकिस्तानी सेना के मुखिया फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने जहर उगलने का ठेका लिया है। मुल्ला मुनीर के नाम से कुख्यात पाकिस्तानी फील्ड मार्शल ने भारत के बयान पर जमकर भड़ास निकाली है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के संघर्ष के दौरान चीन से मिली सहायता के दावे को "कैंप पॉलिटिक्स का प्रयास" बताकर खारिज किया है।





भारत के खिलाफ मुनीर ने उगला जहरमुल्ला मुनीर ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (एनडीयू) में राष्ट्रीय सुरक्षा और युद्ध पाठ्यक्रम के ग्रेजुएट अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "पूरी तरह से द्विपक्षीय सैन्य संघर्ष में अन्य देशों को भागीदार के रूप में नामित करना भी कैंप पॉलिटिक्स खेलने का एक "घटिया" प्रयास है और यह कोशिश करना कि भारत एक क्षेत्र में तथाकथित शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में बड़े भू-राजनीतिक प्रतियोगिता का लाभार्थी बना रहे।"





मुल्ला मुनीर ने भारत पर लगाए झूठे आरोपइस संबोधन में मुल्ला मुनीर ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत घोषित सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने में असमर्थ रहा। उन्होंने यहां तक दावा किया कि यह भारत की परिचालन तत्परता और रणनीतिक दूरदर्शिता की कमी को दर्शाता है। उन्होंने अपने दावे में कहा, "पाकिस्तान के "सफल" ऑपरेशन बनयान-उम-मर्सोस में बाहरी समर्थन के बारे में आरोप गैर-जिम्मेदाराना और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और दशकों के रणनीतिक विवेक से विकसित स्वदेशी क्षमता और संस्थागत लचीलेपन को स्वीकार करने की पुरानी अनिच्छा को दर्शाते हैं।"





भारत के उप सेना प्रमुख ने क्या कहा थाभारत के उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि चीन ने मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय सशस्त्र संघर्ष को विभिन्न हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए एक “ प्रयोगशाला” की तरह इस्तेमाल किया और “दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर” दुश्मन को मारने की प्राचीन सैन्य रणनीति के अनुरूप, इस्लामाबाद को हरसंभव सहायता प्रदान की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जहां सिर्फ “सामने का चेहरा” था, वहीं चीन अपने सदाबहार मित्र को हरसंभव सहायता दे रहा था, और तुर्किये भी इस्लामाबाद को सैन्य साजोसामान की आपूर्ति करके प्रमुख भूमिका निभा रहा था। उन्होंने कहा कि सात से 10 मई के बीच हुए संघर्ष के दौरान भारत वास्तव में कम से कम तीन शत्रुओं से निपट रहा था।
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