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'लाफ्टर शेफ्स 2' में फफक कर रोए कृष्णा अभिषेक, दिवंगत मां की जगह जिस मां ने रखा खयाल, उनके लिए फट पड़ा कलेजा

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इस हफ्ते 'लाफ्टर शेफ़्स 2'के सेट पर समर कैंप की उथल-पुथल, बचपन की यादें और इमोशंस का बवंडर देखने को मिलने वाला है। ये सब दिल को छू लेने नजारा 'मदर्स डे' स्पेशल पर दिखेगा। माहौल जोरदार और हंसी से भरा होगा। इस बार दिखने वाला कृष्णा अभिषेक के जिंदगी का वो पहलू जो मां के ग़म से जुड़ा है दिल के अंदर हमेशा से रहा है।इस शो पर 'मदर्स डे' का जादू तब और छा जाता है जब इस शो पर कब्जा होता है कंटेस्टेंट्स की मांओं का। पहली बार कश्मीरा शाह और एल्विश यादव अपनी मां के साथ सेट पर मौजूद हैं।
अभिषेक कुमार और समर्थ जुरैल की मांनिया शर्मा और रीम समीर शेख की मां भी अपनी बेटियों के साथ खाना बनाने में जुट जाती हैं। इसी के साथ पहले कभी न सुनी गई कहानियां सामने आती हैं जो हर किसी को एक पल में हंसाती हैं और दूसरे पल में रुला भी देती है। अभिषेक कुमार की मां उसे (प्यार से!) मम्मा बॉय बताती हैं और समर्थ जुरेल की मां बताती हैं कि वह अभी भी एक बच्चे की तरह अपनी नींद में करवटें बदलते हैं। कृष्णा ने सुनाई दर्द भरी कहानीइन सबके बीच कृष्णा की दर्द भरी कहानी सबके सामने आती है। कृष्णा अपनी दिवंगत मां को याद करते हुए उस मां से मिलवाते हैं जिन्होंने उनकी को पूरा किया। वो कोई और नहीं बल्कि कृष्णा अभिषेक की मां की सबसे अच्छी दोस्त हैं, जिनसे इस शो पर मिलवाते हुए कृष्णा रो पड़ते हैं। कृष्णा ने यहां सबको रुला दियाहमेशा मजेदार रोस्ट और चुटीले चुटकुले सुनाने वाले कृष्णा ने यहां सबको रुला दिया। जहां बाकी कंटेस्टेंट्स ने अपनी-अपनी मां को बुलाया था वहीं कृष्णा अभिषेक मां की दोस्त को बुलाया जिन्हें सबसे मिलाते हुए वे फफक पड़े। 'हमें वह सब दिया जिसकी हमें ज़रूरत थी'कृष्णा ने भावुक होते हुए कहा, 'जब मैं सिर्फ़ दो साल का था, तब मैंने अपनी मां को खो दिया और उन पलों में गीता आंटी ने मेरी मां से वादा किया कि वो हमें पालेगी। उन्होंने सिर्फ़ वह वादा नहीं किया, उन्होंने हर दिन उसे निभाया, हमें वह सब दिया जिसकी हमें ज़रूरत थी, प्यार, देखभाल और सबसे जरूरी ताकत। वह बिना किसी हिचकिचाहट के मेरी मां बन गईं जिसकी मुझे ज़रूरत थी।' 'और कहा- मैंने अपना वादा निभाया'कृष्णा अभिषेक ने आगे कहा, 'जब मेरी बहन आरती की शादी हुई तो उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- मैंने अपना वादा निभाया है। मुझे अब तक उन शब्दों के वज़न का एहसास नहीं हुआ। यह खून के बारे में नहीं है- यह उन लोगों के बारे में है जो आगे बढ़ते हैं, जो बिना किसी शर्त के आपसे प्यार करते हैं और जो वादे करते हैं, उन्हें निभाते हैं, चाहे सफ़र कितना भी मुश्किल क्यों न हो। मेरी मां ने जो कमी छोड़ी है, उसे भरने के लिए मैं इनका आभारी हूं। इन्होंने मुझे ऐसा प्यार दिया जो आपको दर्द से परे, सम्पूर्ण महसूस कराता है।'
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