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31 अगस्त को शी जिनपिंग से मिलेंगे पीएम मोदी...चीन में SCO शिखर सम्मेलन से अलग यह मुलाकात क्यों है खास

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 31 अगस्त को मुलाकात होगी। दोनों नेताओं की यह भेंट एससीओ (SCO summit) शिखर सम्मेलन के दौरान ही अलग से होगी। एससीओ शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन शहर में आयोजित हो रहा है। पीएम मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात लगभग एक साल बाद होने वाली है। पिछले साल अक्टूबर में दोनों मिले थे। उसी मुलाकात के बाद भारत और चीन दोनों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने को लेकर बातचीत में प्रगति की घोषणा की थी। पीएम मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में रहेंगे। उससे पहले वे 29 अगस्त को जापान की दो दिवसीय यात्रा पर टोक्यो पहुंच रहे हैं।



सात साल बाद चीन यात्रा पर जा रहे पीएम

पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर भी चीन गए थे। 2020 में गलवाल घाटी के हिंसक संघर्ष के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा थी। भारत और चीन के रिश्ते उसी सैन्य संघर्ष की वजह से बहुत खराब हो गए थे। पीएम मोदी की सात वर्षों में यह पहली चीन यात्रा होने वाली है। पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात पिछले साल रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर (BRICS summit) सम्मेलन में हुई थी।



चीन के विदेश मंत्री भी आ चुके हैं भारत

हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी भारत की यात्रा की है। इस दौरान उनकी विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात हुई। इन मुलाकातों के बाद कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इनमें दोनों मुल्कों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करना शामिल है। इसके अलावा दोनों देश पर्यटकों, कारोबारियों, मीडिया और अन्य लोगों के लिए वीजा को आसान बनाने पर भी सहमत हुए।



क्यों खास है पीएम मोदी का चीन दौरा

विदेश मंत्री की जुलाई में चीन यात्रा से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए डोभाल भी एससीओ की बैठकों के सिलसिले में चीन का दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी ऐसे समय में पहले जापान और फिर चीन की यात्रा पर जा रहे हैं, जब डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50% टैरिफ थोपे जाने की वजह से अमेरिका के साथ रिश्तों में दूरी आ चुकी है। लेकिन, चीन ने इस मसले पर भारत के हक में सकारात्मक संदेश दिए हैं। इसलिए पीएम मोदी की इस चीन यात्रा को दोनों मुल्कों के आपसी संबंधों से आगे बढ़कर देखा जा रहा है, जिससे वैश्विक कूटनीति में बदलाव देखने को भी मिल सकता है। (एजेंसी इनपुट के साथ)



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