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आरक्षण में वर्गीकरण: क्या यूपी में हरियाणा की राह पर बढ़ेगी भाजपा? चुनौतियों के बारे में जान लीजिए

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दीप सिंह, लखनऊ: एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को अपना मत दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें अपने स्तर से वर्गीकरण लागू कर सकती हैं। इसका शुरुआत से अब तक सबसे मुखर विरोध मायावती कर रही हैं। भाजपा पहले इस मुद्दे पर पूरी तरह शांत रही। अब हरियाणा में भाजपा सरकार ने आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला ले लिया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने वर्गीकरण के समर्थन में अपनी प्रतिक्रिया दी है। ऐसे में एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या भाजपा उप-वर्गीकरण के समर्थन में है? क्या वह इस ओर अपने कदम बढ़ा रही है? क्या यूपी सहित अन्य राज्यों में भी भाजपा सरकारें उप-वर्गीकरण लागू कर सकती हैं? भाजपा का शुरुआती मौनजब एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का मत आया तब भाजपा ने इस पर अपनी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी। यहां तक कि मायावती लगातार केंद्र सरकार से यह मांग उठाती रहीं कि इसके खिलाफ संविधान संशोधन बिल लाया जाए। भाजपा के कई दलित सांसद भी प्रधानमंत्री से मिले। उन्होंने यही आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट का यह मत है। बाध्यकारी निर्णय नहीं है। इसे लागू करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। बसपा की लगातार मांग के बावजूद भाजपा ने संविधान संशोधन की कोई बात नहीं की। साथ ही इसके पक्ष या विपक्ष में पार्टी और नेता मौन ही रहे। वे इस मुद्दे पर बयान देने से बचते रहे। हरियाणा में ऐसे हुआ वर्गीकरण का निर्णयजब हरियाणा चुनाव हुआ तो वहां के गैर जाटव समुदाय ने आरक्षण में वर्गीकरण की मांग उठाई। भाजपा ने प्रयोग के तौर पर वहां इसे लागू करने का ऐलान भी कर दिया। यह चुनाव में बड़ा मुद्दा भी बना। हरियाणा में पार्टी की जीत हुई और सरकार बनी। माना जा रहा है कि इसमें आरक्षण में वर्गीकरण मुद्दे की भी अहम भूमिका रही। दलितों को एकतरफा अपनी तरफ करने का कांग्रेस का कार्ड नहीं चला। माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में गैर जाटव वोट भाजपा को गया। वहां जाटव और गैर जाटव वोटर 50-50 फीसदी हैं। इस तरह कहा जा रहा है कि आधे दलित भाजपा के पक्ष में आ गए। सरकार बनने के बाद अब हरियाणा में पहली ही कैबनेट बैठक में इसे लागू करने का ऐलान कर दिया गया है। क्या हैं केशव के बयान के मायने?यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मैं व्यक्तिगत तौर पर हरियाणा सरकार द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण लागू करने का स्वागत करता हूं। आरक्षण का लाभ उन वंचितों तक पहुंचना जरूरी है जो 75 साल बाद भी पीछे रह गए हैं। उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सभी दलों की है। इसका विरोध अस्वीकार्य है। केशव मौर्य ने कहा कि हरियाणा सहित भाजपा सरकारें सबका साथ, सबका विकास के मार्ग पर मोदीजी के नेतृत्व में समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं। केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान को भाजपा शासित सभी राज्यों में आरक्षण का वर्गीकरण लागू करने का इशारा माना जा रहा है। यहीं से सवाल उठ रहा है कि यूपी में इस बारे में भाजपा और सरकार क्या सोच रही हैं? क्या भविष्य में यहां भी ऐसा हो सकता है? दरअसल, सीएम योगी या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हरियाणा में वर्गीकरण के फैसले के बाद इस तरह का बयान परिस्थितियों को भांपने की एक प्रक्रिया हो सकता है। इस पर आगे और लोगों की क्या प्रतिक्रिया आती है और दलितों में इसका क्या रिएक्शन होता है, यह सब भांपने की एक कोशिश है। यूपी में नहीं हैं हरियाणा जैसे समीकरणदरअसल, भाजपा इस पूरे मुद्दे पर बड़े सधे कदम से आगे बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण का निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ा है। यही वजह है कि केंद्र सरकार इस मामले में मौन है और न वह कोई निर्णय लेगी। अब बात हरियाणा के बाद भाजपा शासित अन्य राज्यों की आती है तो इसको लेकर मंथन चल रहा है। दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा काफी समय से प्रयास कर रही है और पिछले चुनावों में वह इसमें कुछ हद तक कामयाब भी रही है। माना जाता है कि दलितों में ज्यादातर गैर जाटव वोट ही भाजपा को मिलते हैं। जाटव मुश्किल से भाजपा की तरफ आते हैं। यूपी की बात की जाए तो करीब 20-21 फीसदी दलित वोटर हैं। हरियाणा की तरह यहां मामला 50-50 फीसदी का नहीं है। दलितों में जाटव 60 प्रतिशत और अन्य दलित 40 प्रतिशत हैं। कई सीटें ऐसी हैं जहां जाटव बहुत ज्यादा हैं। अभी यूपी में उपचुनाव होना है। ऐसे में देखा जाए तो कटेहरी में जाटवों की संख्या ज्यादा है। वहीं मिल्कीपुर में अन्य दलितों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल यूपी में इस तरह का कोई निर्णय लेना मुश्किल है। जहां तक भविष्य की बात है तो इसका भी आकलन किया जाएगा कि कितनी सीटों को कौन सी जातियां ज्यादा प्रभावित करती हैं।
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