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जहर बन गईं राजस्थान की जीवनरेखाएं! सुप्रीम कोर्ट सख्त, 'निर्णायक रुख' अपनाए भजनलाल सरकार

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जयपुर: राजस्थान की जोजरी, लूणी और बांदी नदियों में बढ़ते भयानक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने अत्यंत गंभीर रुख अपनाया है। लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे इस पर्यावरणीय संकट पर चिंता जताते हुए, अदालत ने राज्य सरकार को केवल एक सप्ताह के भीतर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और अब सरकार को इस पर निर्णायक रुख अपनाना होगा।


एनजीटी जुर्माने पर भी होगा विचार, कोर्ट ने मांगा जवाबन्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा को निर्देश दिया कि वे यह स्पष्ट करें कि क्या राज्य की सरकारी एजेंसियां, जिन्होंने 2022 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा दिए गए प्रदूषण नियंत्रण संबंधी आदेश के खिलाफ अपीलें दायर की थीं, उन्हें वापस लेने पर विचार कर रही हैं या नहीं। पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी याद दिलाया कि एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही बरतने के लिए राज्य की एजेंसियों पर ₹2 करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना भी लगाया था। इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि 'यह उचित कार्रवाई थी, और हम इस पर विचार करेंगे।'



₹2 करोड़ का जुर्माना और अपीलें, क्या होगा सरकार का रुख?यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में 'In Re: 2 Million Lives at Risk Jojari River Contamination in Rajasthan' शीर्षक से चल रही स्वप्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया। राज्य सरकार की एजेंसियां, जिनमें आरआईआईसीओ, बालोतरा नगर परिषद, पाली नगर परिषद और जोधपुर नगर निगम शामिल हैं, उन्होंने 25 फरवरी 2022 के एनजीटी के सख्त आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने एएजी शर्मा को निर्देश दिया है कि वे आरआईआईसीओ और अन्य संबंधित निकायों से परामर्श करके एक सप्ताह में यह रिपोर्ट पेश करें कि क्या राज्य इन अपीलों को जारी रखेगा या प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए उन्हें वापस लेने का साहसिक निर्णय लिया गया है।
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