मुंबई: महाराष्ट्र विधान भवन में BJP और शरद पवार गुट के विधायक समर्थकों में हाथापाई मारपीट की घटना के बाद विजिटर्स के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। इस मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद दो लोगों को अरेस्ट भी किया गया है। शुक्रवार को विधान भवन में मारपीट की घटना के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सत्र के दौरान विधान भवन में प्रवेश के नए निर्देश जारी किए हैं। सत्र के दौरान विधान भवन में विजिटर्स के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। केवल मंत्रियों, विधायकों, आधिकारिक तौर पर नामित उनके निजी सचिवों और सरकारी अधिकारियों को ही विधान भवन के अंदर जाने की अनुमति होगी। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर और विधान परिषद के सभापति राम शिंदे विचार विमर्श करने के बाद एक सप्ताह के भीतर आचार समिति का गठन किया जाएगा। मनासून सत्र के बाद अब शीतकालीन सत्र 8 दिसंबर से नागपुर में आयोजित किया जाएगा।
अंतिम दिन हुई थी मारपीट
मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि गुरुवार शाम 5.45 बजे यह घटना हुई। उन्होंने विधान भवन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी से रिपोर्ट भी तलब की है। अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि अब सत्र के दौरान विजिटर्स को विधान भवन के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। केवल मंत्रियों, विधायकों, उनके आधिकारिक तौर पर नियुक्त निजी सचिवों और सरकारी अधिकारियों को ही प्रवेश दिया जाएगा। विधानमंडल परिसर में अब मंत्रियों को आधिकारिक बैठक और विजिटर्स से मिलने की अनुमति नहीं होगी। मंत्रियों को अपनी आधिकारिक ब्रीफिंग और बैठक मंत्रालय या फिर सचिवालय में ही करनी होंगी। विधानसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि संबंधित विधायकों को उनके साथ आए व्यक्तियों के आचरण के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। पडलकर और आव्हाड दोनों ने अपने समर्थकों के बीच हुई झड़प को लेकर सदन में खेद व्यक्त किया था। विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने संसद की तर्ज पर एक आचार समिति गठित करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि आचार समिति को सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार होगा।
देशमुख-टकले पर विशेषाधिकार हनन
विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि विधान भवन परिसर में विधायक जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के सहयोगी नितिन देशमुख और सरजेराव टकले शामिल थे। दोनों को राज्य विधानमंडल के सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया था। दोनों को सदन के विशेषाधिकार हनन के आरोप का सामना करना पड़ेगा। नार्वेकर के मुताबिक देशमुख ने दावा किया है कि वह आव्हाड के समर्थक हैं, जबकि टकले ने कहा कि वह विधायक पडलकर के चचेरे भाई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि देशमुख और टकले को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके साथ छह-सात अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने सदन में कहा कि दोनों, विधायकों के साथ अधिकृत पास के बिना विधानमंडल परिसर में दाखिल हुए थे। नार्वेकर ने कहा कि संबंधित विधायक अब अपने साथ आने वाले लोगों के आचरण के लिए जिम्मेदार होंगे।
आव्हाड को पुलिस ने बलपूर्वक हटाया
गुरुवार की घटना के बाद अपने समर्थक पर किए गए कार्रवाई के विरोध में जितेंद्र आव्हाड ने पुलिस वाहन को रोककर देशमुख की रिहाई की मांग की तथा कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पक्षपात पूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। देर रात पुलिस ने प्रदर्शन स्थल से बलपूर्वक हटाया। आव्हाड ने आरोप लगाया कि गुरुवार को हुई हाथापाई के बाद, पुलिस ने दोनों पक्षों के समर्थकों को हिरासत में लिया। विधानसभा अध्यक्ष ने मुझे बताया था कि जैसे ही सदन की कार्यवाही समाप्त होगी, वह पुलिस को मेरे समर्थकों को रिहा करने का निर्देश देंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। वहीं, पडलकर के समर्थकों को पुलिस द्वारा वड़ा पाव और तंबाकू भी दिया जा रहा है।
पुलिस वाहन के सामने बैठे
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब उनके समर्थक को पुलिस थाने ले जाया जा रहा था तो आव्हाड विधान भवन में पुलिस वाहन के सामने बैठ गए। उन्होंने बताया कि जब बार-बार अनुरोध के बाद भी वे नहीं हटे तो पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बलपूर्वक हटाया। उन्होंने बताया कि विधायक के खिलाफ मरीन ड्राइव पुलिस थाने में लोक सेवकों के कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है। इस बीच विधायक रोहित पवार नितिन देशमुख से मिलने के लिए आव्हाड के साथ पुलिस थाने गए और वहां पुलिस के एक अधिकारी के साथ उनकी तीखी बहस हुई। बाद में विधान भवन में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने दावा किया कि पुलिस ने उचित जानकारी नहीं दी और कथित तौर पर ऊंची आवाज में बात की, जिसके कारण बहस हुई। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में पवार पुलिस के अधिकारी से ऊंची आवाज में बात करते नजर आए। बहस के दौरान उन्हें यह कहते सुना गया कि अपनी आवाज मत उठाओ, अगर तुम बोलने में सक्षम नहीं हो तो मत बोलो। एक अधिकारी ने बताया कि पवार और आव्हाड पूछताछ के लिए पुलिस थाने आए थे। बाद में उन्होंने सरकारी जे.जे. अस्पताल में देशमुख से मुलाकात की।
पडलकर बोले-मैंने माफी मांग ली है
इस घटनाक्रम पर बीजेपी के विधायक पडलकर ने जितेंद्र आव्हाड के कदम को 'गुंडागर्दी' करार दिया। पत्रकारों से बात करते हुए पडलकर ने कहा कि मैंने विधानसभा अध्यक्ष से माफी मांगी है। मेरे समर्थकों ने गलती की है और मैंने अध्यक्ष से उन्हें सख्त चेतावनी देने का अनुरोध किया है। समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के सभापति और विधानसभा अध्यक्ष विधान भवन में सर्वोच्च हैं। वह उनके निर्णय पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन वह उसका सम्मान करते हैं। हाथापाई शुरू होने से पहले के क्षणों के बारे में पूछे जाने पर पडलकर ने दावा किया कि मैं नितिन देशमुख को जानता तक नहीं हूं। मैं 15 मिनट तक विधान भवन की सीढ़ियों पर था। मैंने पूरा दिन सदन में बिताया। इस घटना के लिए मेरे समर्थकों पर मामला दर्ज किया गया है और मैं इसका सम्मान करता हूं। हम अदालत में इस मामले का सामना करेंगे। मेरे वकील अदालत में उनका प्रतिनिधित्व करेंगे।
विधायक ने दिया दो घंटे तक धरना
विधान परिषद में अजित पवार की पार्टी एनसीपी के सदस्य अमोल मिटकरी के निजी सचिव को विधान भवन में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस पर मिटकरी भड़क गए। इससे नाराज होकर मिटकरी ने विधान भवन के प्रवेश द्वार पर धरना दिया। नाराज विधायक ने इस घटना को "शर्मनाक" बताते हुए भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि गंभीर आरोपों का सामना करने वालों को पूर्व में विधान मंडल परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई, लेकिन उनके निजी सहायक को आधिकारिक दस्तावेज होने के बावजूद रोक दिया गया। मिटकरी ने दो घंटे से ज्यादा समय तक धरना दिया और कहा कि वह अपने सहायक के बिना भवन में प्रवेश नहीं करेंगे। बाद में मिटकरी ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया और सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विधान भवन के अंदर चले गए।
अंतिम दिन हुई थी मारपीट
मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि गुरुवार शाम 5.45 बजे यह घटना हुई। उन्होंने विधान भवन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी से रिपोर्ट भी तलब की है। अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि अब सत्र के दौरान विजिटर्स को विधान भवन के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। केवल मंत्रियों, विधायकों, उनके आधिकारिक तौर पर नियुक्त निजी सचिवों और सरकारी अधिकारियों को ही प्रवेश दिया जाएगा। विधानमंडल परिसर में अब मंत्रियों को आधिकारिक बैठक और विजिटर्स से मिलने की अनुमति नहीं होगी। मंत्रियों को अपनी आधिकारिक ब्रीफिंग और बैठक मंत्रालय या फिर सचिवालय में ही करनी होंगी। विधानसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि संबंधित विधायकों को उनके साथ आए व्यक्तियों के आचरण के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। पडलकर और आव्हाड दोनों ने अपने समर्थकों के बीच हुई झड़प को लेकर सदन में खेद व्यक्त किया था। विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने संसद की तर्ज पर एक आचार समिति गठित करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि आचार समिति को सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार होगा।
देशमुख-टकले पर विशेषाधिकार हनन
विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि विधान भवन परिसर में विधायक जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के सहयोगी नितिन देशमुख और सरजेराव टकले शामिल थे। दोनों को राज्य विधानमंडल के सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया था। दोनों को सदन के विशेषाधिकार हनन के आरोप का सामना करना पड़ेगा। नार्वेकर के मुताबिक देशमुख ने दावा किया है कि वह आव्हाड के समर्थक हैं, जबकि टकले ने कहा कि वह विधायक पडलकर के चचेरे भाई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि देशमुख और टकले को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके साथ छह-सात अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने सदन में कहा कि दोनों, विधायकों के साथ अधिकृत पास के बिना विधानमंडल परिसर में दाखिल हुए थे। नार्वेकर ने कहा कि संबंधित विधायक अब अपने साथ आने वाले लोगों के आचरण के लिए जिम्मेदार होंगे।
आव्हाड को पुलिस ने बलपूर्वक हटाया
गुरुवार की घटना के बाद अपने समर्थक पर किए गए कार्रवाई के विरोध में जितेंद्र आव्हाड ने पुलिस वाहन को रोककर देशमुख की रिहाई की मांग की तथा कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पक्षपात पूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। देर रात पुलिस ने प्रदर्शन स्थल से बलपूर्वक हटाया। आव्हाड ने आरोप लगाया कि गुरुवार को हुई हाथापाई के बाद, पुलिस ने दोनों पक्षों के समर्थकों को हिरासत में लिया। विधानसभा अध्यक्ष ने मुझे बताया था कि जैसे ही सदन की कार्यवाही समाप्त होगी, वह पुलिस को मेरे समर्थकों को रिहा करने का निर्देश देंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। वहीं, पडलकर के समर्थकों को पुलिस द्वारा वड़ा पाव और तंबाकू भी दिया जा रहा है।
पुलिस वाहन के सामने बैठे
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब उनके समर्थक को पुलिस थाने ले जाया जा रहा था तो आव्हाड विधान भवन में पुलिस वाहन के सामने बैठ गए। उन्होंने बताया कि जब बार-बार अनुरोध के बाद भी वे नहीं हटे तो पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बलपूर्वक हटाया। उन्होंने बताया कि विधायक के खिलाफ मरीन ड्राइव पुलिस थाने में लोक सेवकों के कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है। इस बीच विधायक रोहित पवार नितिन देशमुख से मिलने के लिए आव्हाड के साथ पुलिस थाने गए और वहां पुलिस के एक अधिकारी के साथ उनकी तीखी बहस हुई। बाद में विधान भवन में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने दावा किया कि पुलिस ने उचित जानकारी नहीं दी और कथित तौर पर ऊंची आवाज में बात की, जिसके कारण बहस हुई। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में पवार पुलिस के अधिकारी से ऊंची आवाज में बात करते नजर आए। बहस के दौरान उन्हें यह कहते सुना गया कि अपनी आवाज मत उठाओ, अगर तुम बोलने में सक्षम नहीं हो तो मत बोलो। एक अधिकारी ने बताया कि पवार और आव्हाड पूछताछ के लिए पुलिस थाने आए थे। बाद में उन्होंने सरकारी जे.जे. अस्पताल में देशमुख से मुलाकात की।
पडलकर बोले-मैंने माफी मांग ली है
इस घटनाक्रम पर बीजेपी के विधायक पडलकर ने जितेंद्र आव्हाड के कदम को 'गुंडागर्दी' करार दिया। पत्रकारों से बात करते हुए पडलकर ने कहा कि मैंने विधानसभा अध्यक्ष से माफी मांगी है। मेरे समर्थकों ने गलती की है और मैंने अध्यक्ष से उन्हें सख्त चेतावनी देने का अनुरोध किया है। समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के सभापति और विधानसभा अध्यक्ष विधान भवन में सर्वोच्च हैं। वह उनके निर्णय पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन वह उसका सम्मान करते हैं। हाथापाई शुरू होने से पहले के क्षणों के बारे में पूछे जाने पर पडलकर ने दावा किया कि मैं नितिन देशमुख को जानता तक नहीं हूं। मैं 15 मिनट तक विधान भवन की सीढ़ियों पर था। मैंने पूरा दिन सदन में बिताया। इस घटना के लिए मेरे समर्थकों पर मामला दर्ज किया गया है और मैं इसका सम्मान करता हूं। हम अदालत में इस मामले का सामना करेंगे। मेरे वकील अदालत में उनका प्रतिनिधित्व करेंगे।
विधायक ने दिया दो घंटे तक धरना
विधान परिषद में अजित पवार की पार्टी एनसीपी के सदस्य अमोल मिटकरी के निजी सचिव को विधान भवन में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस पर मिटकरी भड़क गए। इससे नाराज होकर मिटकरी ने विधान भवन के प्रवेश द्वार पर धरना दिया। नाराज विधायक ने इस घटना को "शर्मनाक" बताते हुए भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि गंभीर आरोपों का सामना करने वालों को पूर्व में विधान मंडल परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई, लेकिन उनके निजी सहायक को आधिकारिक दस्तावेज होने के बावजूद रोक दिया गया। मिटकरी ने दो घंटे से ज्यादा समय तक धरना दिया और कहा कि वह अपने सहायक के बिना भवन में प्रवेश नहीं करेंगे। बाद में मिटकरी ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया और सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विधान भवन के अंदर चले गए।
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