रामबाबू मित्तल, मेरठ: यूपी के मेरठ में अवैध हथियारों की सबसे बड़ी बरामदगी से सनसनी फैल गई थी। 17 बंदूकें और 700 कारतूस बरामद होने के मामले में अब कोर्ट में बड़ी कार्रवाई हुई है। यूपी एसटीएफ ने इस कुख्यात नेटवर्क से जुड़े 11 आरोपियों के खिलाफ एक हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। आरोपियों में बागपत, मुजफ्फरनगर, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब तक फैले तस्कर शामिल हैं। गिरोह में दरोगा के बेटे से लेकर एयरफोर्स के पूर्व कर्मचारी तक शामिल हैं।
दरोगा का बेटा निकला हथियारों का सौदागर
23 नवंबर 2024 को एसटीएफ ने मेरठ के कंकरखेड़ा इलाके से रोहन को गिरफ्तार किया था। रोहन के पिता यूपी पुलिस में दरोगा हैं। रोहन के पास से 17 बंदूकें और 700 कारतूस बरामद हुए थे। यह खुलासा चौंकाने वाला था कि एक पुलिसकर्मी का बेटा ही अवैध हथियारों की तस्करी कर रहा था। अदालत से जमानत मिलने के बाद रोहन इस समय जेल से बाहर है।
एयरफोर्स कर्मी से बना हथियार तस्कर
20 दिसंबर 2024 को एसटीएफ ने इस गिरोह के अहम सदस्य अनिल बंजी को भी धर दबोचा। मुजफ्फरनगर के सिसौली निवासी अनिल वर्ष 1989 में एयरफोर्स में भर्ती हुआ था और 2009 में वीआरएस ले लिया। उसके बाद उसने अवैध हथियारों की दुनिया में कदम रख दिया। गिरफ्तारी के समय अनिल के पास से तीन विदेशी राइफलें और कई कारतूस मिले।
पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए आती थी खेप
पूरे गिरोह की जांच में चौंकाने वाला सच सामने आया। आरोपियों ने कबूल किया कि पाकिस्तान से पिस्टल और कारतूस ड्रोन के जरिए मंगवाए जाते थे। बॉर्डर पर गिराए गए हथियारों को तस्कर उठाकर आगे सप्लाई करते थे। इस नेटवर्क के तार न केवल यूपी बल्कि पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान तक फैले हुए थे।
पंजाब के गन हाउस से मिली मदद
एसटीएफ ने इस मामले में पंजाब के अमृतसर से मरहट्टा गन हाउस के मालिक शेजपाल सिंह और धनधन बाबा दीप सिंह गन हाउस के संचालक गुरविंदर जीत सिंह को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि इन लोगों ने फर्जी बिल बुक और फर्जी लाइसेंस नंबरों के सहारे हथियार और कारतूस बेचे थे। इससे गिरोह को सप्लाई चेन बनाने में आसानी मिली।
नामी गिरोहों तक पहुंची सप्लाई
अनिल बंजी और उसके साथियों ने कई कुख्यात गिरोहों को हथियार पहुंचाए। इनमें लॉरेंस बिश्नोई गैंग, नीरज बवाना गैंग, सुशील फौजी गिरोह और गुरुग्राम का सन्नी गैंग शामिल था। इसके अलावा यूपी, हरियाणा और दिल्ली के कई बदमाशों को भी यह गिरोह हथियार सप्लाई करता था।
इनमें दादूपुर दनकौर के आजाद और अमर उर्फ अवध बिहारी, गुराना का कपिल प्रधान उर्फ ताऊ, गंगानगर का बंटी सलारपुर, वाजिदपुर का सुधीर प्रधान, दिल्ली नजफगढ़ का मोंटी उर्फ निखिल, लोहड्डा के राजीव और नितिन दीक्षित, लालूखेड़ी का अमरपाल और बागपत का अक्षय शामिल थे।
आर्मी कनेक्शन भी आया सामने
गिरोह से जुड़े हरियाणा के मंगलोरा निवासी रोहित का भाई राहुल आर्मी में तैनात था। जांच में सामने आया कि वही पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार मंगवाने की कड़ी था। इसके बाद यह अवैध हथियार तस्करी नेटवर्क देशभर के गैंगस्टरों तक पहुंच जाता था।
एसटीएफ का दावा: पुख्ता सबूत
एसटीएफ के एएसपी बृजेश सिंह का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत जुटा लिए गए हैं। एक हजार पन्नों की चार्जशीट में विस्तृत साक्ष्य और गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। फिलहाल रोहन जमानत पर बाहर है जबकि बाकी आरोपी जेल में हैं।
दरोगा का बेटा निकला हथियारों का सौदागर
23 नवंबर 2024 को एसटीएफ ने मेरठ के कंकरखेड़ा इलाके से रोहन को गिरफ्तार किया था। रोहन के पिता यूपी पुलिस में दरोगा हैं। रोहन के पास से 17 बंदूकें और 700 कारतूस बरामद हुए थे। यह खुलासा चौंकाने वाला था कि एक पुलिसकर्मी का बेटा ही अवैध हथियारों की तस्करी कर रहा था। अदालत से जमानत मिलने के बाद रोहन इस समय जेल से बाहर है।
एयरफोर्स कर्मी से बना हथियार तस्कर
20 दिसंबर 2024 को एसटीएफ ने इस गिरोह के अहम सदस्य अनिल बंजी को भी धर दबोचा। मुजफ्फरनगर के सिसौली निवासी अनिल वर्ष 1989 में एयरफोर्स में भर्ती हुआ था और 2009 में वीआरएस ले लिया। उसके बाद उसने अवैध हथियारों की दुनिया में कदम रख दिया। गिरफ्तारी के समय अनिल के पास से तीन विदेशी राइफलें और कई कारतूस मिले।
पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए आती थी खेप
पूरे गिरोह की जांच में चौंकाने वाला सच सामने आया। आरोपियों ने कबूल किया कि पाकिस्तान से पिस्टल और कारतूस ड्रोन के जरिए मंगवाए जाते थे। बॉर्डर पर गिराए गए हथियारों को तस्कर उठाकर आगे सप्लाई करते थे। इस नेटवर्क के तार न केवल यूपी बल्कि पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान तक फैले हुए थे।
पंजाब के गन हाउस से मिली मदद
एसटीएफ ने इस मामले में पंजाब के अमृतसर से मरहट्टा गन हाउस के मालिक शेजपाल सिंह और धनधन बाबा दीप सिंह गन हाउस के संचालक गुरविंदर जीत सिंह को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि इन लोगों ने फर्जी बिल बुक और फर्जी लाइसेंस नंबरों के सहारे हथियार और कारतूस बेचे थे। इससे गिरोह को सप्लाई चेन बनाने में आसानी मिली।
नामी गिरोहों तक पहुंची सप्लाई
अनिल बंजी और उसके साथियों ने कई कुख्यात गिरोहों को हथियार पहुंचाए। इनमें लॉरेंस बिश्नोई गैंग, नीरज बवाना गैंग, सुशील फौजी गिरोह और गुरुग्राम का सन्नी गैंग शामिल था। इसके अलावा यूपी, हरियाणा और दिल्ली के कई बदमाशों को भी यह गिरोह हथियार सप्लाई करता था।
इनमें दादूपुर दनकौर के आजाद और अमर उर्फ अवध बिहारी, गुराना का कपिल प्रधान उर्फ ताऊ, गंगानगर का बंटी सलारपुर, वाजिदपुर का सुधीर प्रधान, दिल्ली नजफगढ़ का मोंटी उर्फ निखिल, लोहड्डा के राजीव और नितिन दीक्षित, लालूखेड़ी का अमरपाल और बागपत का अक्षय शामिल थे।
आर्मी कनेक्शन भी आया सामने
गिरोह से जुड़े हरियाणा के मंगलोरा निवासी रोहित का भाई राहुल आर्मी में तैनात था। जांच में सामने आया कि वही पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार मंगवाने की कड़ी था। इसके बाद यह अवैध हथियार तस्करी नेटवर्क देशभर के गैंगस्टरों तक पहुंच जाता था।
एसटीएफ का दावा: पुख्ता सबूत
एसटीएफ के एएसपी बृजेश सिंह का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत जुटा लिए गए हैं। एक हजार पन्नों की चार्जशीट में विस्तृत साक्ष्य और गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। फिलहाल रोहन जमानत पर बाहर है जबकि बाकी आरोपी जेल में हैं।
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