नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में डिफेंस फोर्सेज के लिए लंबी दूरी के ड्रोन की सप्लाई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की डील को मंजूरी दी है। इस डील के बाद देश में यूएवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने की तैयारी है। इसमें दो कंपनियां ऑर्डर को बांटने के लिए तैयार हैं। इससे अलग-अलग प्रोडक्शन लाइनें बनाई जा सकेंगी जो एक्सपोर्ट के अलावा भविष्य में बड़े ऑर्डरों को पूरा कर सकेंगी।
MALE ड्रोन खरीद को मंजूरी
डिफेंस एक्यूजीशन काउंसिल ने हाल ही में 87 मध्यम ऊंचाई वाले, लंबी दूरी तक मार करने वाले (MALE) ड्रोन खरीदने की मंजूरी दे दी है। इन ड्रोन्स का निर्माण स्वदेशी तौर पर किया जाएगा। ये ड्रोन टोही, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सटीक मिसाइल हमलों जैसे कार्यों को अंजाम देंगे। डिफेंस फोर्स जल्द ही भारतीय कंपनियों को इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगाने के लिए आमंत्रित करते हुए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी करेंगे। इसके बाद कॉमर्शियल बातचीत के अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले टेस्ट किए जाएंगे।
देश में बनेगा ड्रोन का इंजन, होगी टेस्टिंग
इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में दो अलग-अलग MALE विनिर्माण लाइनें होंगी। इससे जरूरत पड़ने पर कम समय में प्रोडक्शन बढ़ाने की सुविधा मिलेगी। बोली लगाने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एयरोस्ट्रक्चर और मुख्य पुर्जे स्थानीय स्तर पर बनाए जाएं। इसके अलावा ड्रोन का इंजन भी भारत में ही असेंबल और टेस्ट किया जाए।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के पार्ट्स भी स्वदेशी रूप से बनाए जाने चाहिए। इससे सप्लाई चेन की स्थिरता और सबसे महत्वपूर्ण सैन्य उपयोग के पार्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
MALE ड्रोन खरीद को मंजूरी
डिफेंस एक्यूजीशन काउंसिल ने हाल ही में 87 मध्यम ऊंचाई वाले, लंबी दूरी तक मार करने वाले (MALE) ड्रोन खरीदने की मंजूरी दे दी है। इन ड्रोन्स का निर्माण स्वदेशी तौर पर किया जाएगा। ये ड्रोन टोही, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सटीक मिसाइल हमलों जैसे कार्यों को अंजाम देंगे। डिफेंस फोर्स जल्द ही भारतीय कंपनियों को इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगाने के लिए आमंत्रित करते हुए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी करेंगे। इसके बाद कॉमर्शियल बातचीत के अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले टेस्ट किए जाएंगे।
देश में बनेगा ड्रोन का इंजन, होगी टेस्टिंग
इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में दो अलग-अलग MALE विनिर्माण लाइनें होंगी। इससे जरूरत पड़ने पर कम समय में प्रोडक्शन बढ़ाने की सुविधा मिलेगी। बोली लगाने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एयरोस्ट्रक्चर और मुख्य पुर्जे स्थानीय स्तर पर बनाए जाएं। इसके अलावा ड्रोन का इंजन भी भारत में ही असेंबल और टेस्ट किया जाए।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के पार्ट्स भी स्वदेशी रूप से बनाए जाने चाहिए। इससे सप्लाई चेन की स्थिरता और सबसे महत्वपूर्ण सैन्य उपयोग के पार्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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