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कहीं तगड़ी सैलरी, तो कहीं भर-भरकर मिलती छुट्टियां...US या यूरोप, वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए बेस्ट कौन?

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US Work-Life Balance: भारत से हर साल हजारों की संख्या में लोग जॉब के लिए विदेश जाते हैं। ज्यादातर भारतीय वर्कर्स यूरोप या अमेरिका का रुख करते हैं। उनका मानना है कि विदेश में वर्क-लाइफ बैलेंस काफी अच्छा है, जिसकी वजह से वह भारत के बजाय यहां काम करना पसंद करते हैं। वैसे भी वर्क-लाइफ बैलेंस चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिका और यूरोप दोनों ही जगह लाखों की संख्या में भारतीय जॉब कर रहे हैं। इस साल भी हजारों भारतीय दोनों ही जगह जॉब की तलाश में जाने वाले हैं।

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हालांकि, अब यहां सवाल उठता है कि क्या सच में यूरोप और अमेरिका में वर्क-लाइफ बैलेंस बेस्ट है? यूरोप-अमेरिका में से किस जगह काम करना ज्यादा अच्छा रहेगा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब हर वो भारतीय जानना चाहता है, जो विदेश में जॉब के लिए अप्लाई कर रहा है। हाल ही में एक रेडिट पोस्ट में एक वर्कर ने दोनों जगहों के वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बात भी की थी। ऐसे में आइए यूरोप और अमेरिका के वर्क-लाइफ बैलेंस की तुलना कर दोनों में से जॉब के लिए बेस्ट जगह के बारे में जानते हैं।



यूरोप और अमेरिका के वर्क-लाइफ बैलेंस की तुलना

दरअसल, अमेरिका को एक ऐसे देश के तौर पर देखा जाता है, जहां हसल कल्चर काफी पॉपुलर है, यानी लोग जॉब के साथ अन्य चीजों पर भी काम करते हैं। ज्यादातर लोग जॉब के साथ बंधे होते हैं। इसके उलट यूरोप में लोगों को ज्यादा आराम का मौका मिलता है। वर्कर्स के अधिकार काफी ज्यादा अच्छे हैं। यूरोप के सुरक्षात्मक श्रम कानून और सांस्कृतिक मूल्य आराम और कल्याण को बढ़ावा देते हैं। इसके उलट अमेरिकी जॉब का माहौल अक्सर व्यक्तिगत समय के बजाय ज्यादा वक्त तक काम करने और प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता देता है। नीचे दोनों जगहों के काम के तरीके की तुलना बताई गई है।



  • पेड लीव: यूरोप में 20 से 30 दिन की छुट्टियां दी जाती हैं। ये यहां काम करने वाले हर वर्कर का अधिकार होता है। इसके उलट अमेरिका में 10 से 14 दिन की छुट्टियां होती हैं, जो अनिवार्य भी नहीं है।
  • ओवरटाइम: यूरोप में ओवरटाइम को प्रोत्साहन नहीं मिलता है और कई जगहों पर ये प्रतिबंधित भी है। अमेरिका में ओवरटाइम को काफी बढ़ावा दिया जाता है और बहुत की कम बार इसके लिए पैसा मिलता है।
  • राइट टू डिसकनेक्ट: ऑफिस का काम खत्म करने के बाद यूरोप में आप वर्कर्स से संपर्क नहीं कर सकते हैं। इसे राइट टू डिसकनेक्ट कहते हैं, जो कुछ देशों में कानून बनाकर लागू किया गया है। अमेरिका में राइट टू डिसकनेक्ट को मान्यता नहीं मिली है।
  • काम की पहचान: यूरोप में काम जिंदगी का हिस्सा है, यानी लोग जॉब तो करते हैं, लेकिन उसमें पूरी तरह से डूबे नहीं रहते हैं। इसके उलट अमेरिका में जॉब तय करती है कि जिंदगी कैसी होगी, यानी लोग काम को जिंदगी से ज्यादा प्राथमिकता देते हैं।
  • हेल्थ कवरेज: यूरोप में सभी को हेल्थ कवरेट मिलता है, जो जॉब से जुड़ा नहीं है। बीमार पड़ने पर सरकारी अस्पताल आपका इलाज करेंगे। अमेरिका में हर कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस देती है, यानी जब तक जॉब रहेगी, तब तक इलाज होगा।

यूरोप या अमेरिका, जॉब के लिए बेस्ट कौन?

अब यहां सवाल उठता है कि यूरोप और अमेरिका में से जॉब के लिए बेस्ट देश कौन सा है। इसका सीधा सा जवाब वैसे तो व्यक्तिगत रुचि से जुड़ा है। हालांकि, अगर आप जिंदगी ज्यादा रिलेक्स तरीके से जीना चाहते हैं, तो फिर यूरोप आपके लिए सबसे बेस्ट जगह है। यहां पर काम के बजाय जीवन को प्राथमिकता दी जाती है। इसके उलट अमेरिका में जॉब को ज्यादा तवज्जो मिलती है। लोग काम करने पर ज्यादा फोकस रखते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसी तरह से ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है। अगर आपको हसल कल्चर पसंद है तो अमेरिका आपके लिए परफेक्ट जगह है।



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