भोपाल: मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव जुलाई के पहले हफ्ते में होने की संभावना है। केंद्रीय चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में यह चुनाव कराए जाने की तैयारी है। संभावना है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की कमान आदिवासी या महिला के हाथों में सौंपी जा सकती है, जिसके लिए प्रदेश परिषद के 345 सदस्य मिलकर नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेंगे।
अभी जारी नहीं हुआ है कार्यक्रम
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पिछले छह माह से चल रही अटकलों को जुलाई के प्रथम सप्ताह में विराम लग सकता है। एक से तीन जुलाई के बीच पार्टी के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आ सकते हैं। प्रधान की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने की तैयारी है। हालांकि केंद्रीय चुनाव अधिकारी की ओर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर जारी नहीं हुआ है और न ही प्रधान के आने का कार्यक्रम तय हुआ है।
एक दो दिन में होगी घोषणा
प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उम्मीदवार के नामांकन दाखिल करने, स्क्रूटनी और नाम वापसी के साथ ही निर्वाचन की घोषणा का पूरा कार्यक्रम घोषित होगा। बता दें कि छह माह पहले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति बन पाने के कारण चुनाव टल गया। फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी परिस्थितियों के कारण चुनाव टल गया। अब स्थिति सामान्य है, ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई जा सकती है।
जातिगत समीकरण बड़ा फैक्टर
प्रदेश में सामान्य वर्ग से वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं ओबीसी मुख्यमंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग से उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की कमान आदिवासी या महिला के हाथों में सौंपी जा सकती है। हालांकि यह केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा। प्रदेश में भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा के साथ ही प्रदेश परिषद के सदस्य भी चुने गए थे।
ऐसे तय होगा प्रदेश अध्यक्ष
दो विधानसभा क्षेत्र पर एक क्लस्टर बनाकर प्रदेश परिषद का सदस्य चुना गया। प्रदेश में जितनी विधानसभा सीट एससी या एसटी के लिए आरक्षित हैं, उतनी संख्या में उसी वर्ग के सदस्य प्रदेश परिषद के लिए चुने गए। कुल 345 प्रदेश परिषद सदस्यों के चयन में महिला, एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का भी ध्यान रखा गया। अब यह प्रदेश परिषद के सदस्य मिलकर नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेंगे।
ज्यादातर सर्वसम्मति से हुआ है फैसला
मध्य प्रदेश में अधिकतर बार सर्वसम्मति से ही प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। अपवाद के रूप में केवल दो बार संगठन चुनाव में मतदान की स्थिति बनी है। पहली बार 1990 के दशक में पार्टी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय प्रत्याशी लखीराम अग्रवाल के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी संगठन चुनाव में खड़े हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था। इसमें विक्रम वर्मा ने शिवराज सिंह चौहान को हरा दिया था।
इसलिए टल रहा था चुनाव
बता दें कि छह माह पहले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति बन पाने के कारण चुनाव टल गया। फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी परिस्थितियों के कारण चुनाव टल गया। अब स्थिति सामान्य है, ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई जा सकती है।
अभी जारी नहीं हुआ है कार्यक्रम
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पिछले छह माह से चल रही अटकलों को जुलाई के प्रथम सप्ताह में विराम लग सकता है। एक से तीन जुलाई के बीच पार्टी के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आ सकते हैं। प्रधान की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने की तैयारी है। हालांकि केंद्रीय चुनाव अधिकारी की ओर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर जारी नहीं हुआ है और न ही प्रधान के आने का कार्यक्रम तय हुआ है।
एक दो दिन में होगी घोषणा
प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उम्मीदवार के नामांकन दाखिल करने, स्क्रूटनी और नाम वापसी के साथ ही निर्वाचन की घोषणा का पूरा कार्यक्रम घोषित होगा। बता दें कि छह माह पहले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति बन पाने के कारण चुनाव टल गया। फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी परिस्थितियों के कारण चुनाव टल गया। अब स्थिति सामान्य है, ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई जा सकती है।
जातिगत समीकरण बड़ा फैक्टर
प्रदेश में सामान्य वर्ग से वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं ओबीसी मुख्यमंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग से उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की कमान आदिवासी या महिला के हाथों में सौंपी जा सकती है। हालांकि यह केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा। प्रदेश में भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा के साथ ही प्रदेश परिषद के सदस्य भी चुने गए थे।
ऐसे तय होगा प्रदेश अध्यक्ष
दो विधानसभा क्षेत्र पर एक क्लस्टर बनाकर प्रदेश परिषद का सदस्य चुना गया। प्रदेश में जितनी विधानसभा सीट एससी या एसटी के लिए आरक्षित हैं, उतनी संख्या में उसी वर्ग के सदस्य प्रदेश परिषद के लिए चुने गए। कुल 345 प्रदेश परिषद सदस्यों के चयन में महिला, एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का भी ध्यान रखा गया। अब यह प्रदेश परिषद के सदस्य मिलकर नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेंगे।
ज्यादातर सर्वसम्मति से हुआ है फैसला
मध्य प्रदेश में अधिकतर बार सर्वसम्मति से ही प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। अपवाद के रूप में केवल दो बार संगठन चुनाव में मतदान की स्थिति बनी है। पहली बार 1990 के दशक में पार्टी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय प्रत्याशी लखीराम अग्रवाल के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी संगठन चुनाव में खड़े हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था। इसमें विक्रम वर्मा ने शिवराज सिंह चौहान को हरा दिया था।
इसलिए टल रहा था चुनाव
बता दें कि छह माह पहले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति बन पाने के कारण चुनाव टल गया। फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी परिस्थितियों के कारण चुनाव टल गया। अब स्थिति सामान्य है, ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई जा सकती है।
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