सूर्य कर्क राशि में प्रवेश कर चुके हैं और अब सूर्य इस राशि में अगले 30 दिन तक गोचर करेंगे। प्रतिवर्ष सूर्य के 12 राशियों में प्रवेश के समय की कुंडली मेदिनी ज्योतिष में आर्थिक, सामाजिक, कृषि, मौसम, वस्तुओं की तेजी मंदी आदि की भविष्यवाणी के लिए प्रयोग की जाती है। सूर्य जब विशेष रूप से चर संज्ञक राशियों मेष, कर्क, तुला और मकर में प्रवेश करता है तो उस समय की कुंडली इस भविष्यकथन में अधिक महत्व रखती है। सूर्य के राशि प्रवेश के समय को 'संक्रांति' कहा जाता है, जिसकी तिथि, योग, चन्द्रमा से सूर्य की स्थिति, चंद्र मास आदि के संदर्भ में तथा ग्रह स्थिति के द्वारा भविष्यवाणी में उपयोग किया जाता है। इस वर्ष की कर्क संक्रांति श्रावण कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि, बुधवार, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, अतिगंड योग तथा वणिज करण में है हुआ है। भविष्यफल भास्कर के अनुसार बुधवार के दिन कर्क संक्रांति हो तो वर्षा अच्छी हो और धान्य (अनाज) सस्ते हों और परदेस से मनुष्य को सुख मिलता है। वर्तमान में मंगल के सिंह राशि में गोचर और शनि के मीन राशि में गोचर से बन रहा षडाष्टक संबध राजनेताओं के लिए विशेषरूप से बड़े सत्ताधारी नेताओं के लिए बहुत शुभ नहीं है। बड़े नेताओं की सुरक्षा के लिए अगस्त का महीना कुछ संवेदनशील हो सकता है। साथ कर्क संक्रांति का प्रभाव राशियों पर भी दिखेगा।
वक्री शनि के कारण होगी असामान्य वर्षा
इस महीने 13 जुलाई को शनि मीन राशि में मार्गी से वक्री गति में आ गए हैं और आगामी 28 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे। सूर्य से अधिक दूरी होने पर ग्रह की गोचर में गति कम होती है जिससे पृथ्वी से देखने पर वह भ-चक्र में तारों के बीच पश्चिम की ओर यानी पीछे चलता हुआ दिखाई देता है जिसे वक्री ग्रह कहा जाता है। मेदिनी ज्योतिष में शनि के वक्री होने और ठीक उसी समय गुरु के अतिचारी होने पर असामान्य वर्षा, भूकंपन, राजाओं का पतन और प्राकृतिक उत्पातों से जन-धन की हानि होने के फल कहे गए हैं। वर्तमान में गुरु सूर्य से पिछली राशि में गोचर करने के चलते अतिचारी यानि तेज गति में हैं और शनि सूर्य से नवम भाव में दूर गोचर करने से वक्री यानि प्रतिगामी (धीमी) चाल में हैं। इस गोचर के फल से अगले 30 दिनों में कुछ पहाड़ी राज्यों में बादल फटने आदि की घटनाओं से जन-धन की हानि होने की आशंका है। वही कन्या राशि से प्रभावित दक्षिण भारत में वर्षा कुछ कम रहेगी। 28 जुलाई को मंगल के कन्या राशि में प्रवेश के बाद उत्तर भारत के कुछ राज्यों में वर्षा में कुछ कमी आ सकती है।
बढ़ेगी राजनीतिक उथल-पुथल
सूर्य संक्रांति के समय भारतीय समयानुसार धनु लग्न उदय रहा है। संक्रांति कुंडली में दशमेश (राजसत्ता) बुध का शत्रु राशि कर्क में होकर नवमेश सूर्य के साथ अष्टम में होना राजनीतिक उठा-पटक का योग है। भारत में केंद्र सरकार के बड़े नेताओं में परस्पर विवाद और तनाव हो सकता है। 28 जुलाई को मंगल के कन्या राशि में प्रवेश के बाद अगस्त के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी उनकी पार्टी की ओर से कुछ दबाव आ सकता है। राजनीतिक क्षेत्र में कुछ उठापटक की स्थिति बन सकती है।
वैश्विक राजनीति पर सूर्य गोचर का प्रभाव
मध्य पूर्व एशिया में ईरान और इजराइल में एक बार फिर से तनाव अगस्त के महीने में बढने की आशंका रहेगी। कन्या लग्न की इजराइल की कुंडली में चल रही राहु की महादशा और गोचर में शनि-मंगल का समसप्तक योग इजराइल पर यमन के हूती विद्रोहियों और ईरान की ओर से अगस्त के महीने में किसी हमले का ज्योतिषीय संकेत दे रहा है। अगस्त के महीने में पेट्रोल-डीजल के दाम कुछ बढ़ सकते हैं। स्टॉक मार्किट में 28 जुलाई के बाद से कुछ उथल-पुथल दिखाई दे रही है।
अगस्त के महीने में, विशेषकर 9 अगस्त की पूर्णिमा, गुरु मिथुन राशि में शनि मीन राशि में और मंगल कन्या राशि में द्विस्वभाव राशियों में होकर परस्पर केंद्र में होंगे। यह योग भूकंपन और युद्ध से जन-धन की हानि का योग है। रूस-यूक्रेन में युद्ध के तेज़ होने से अमेरिका इस क्षेत्र में नाटो सैन्य गठबंधन के माध्यम से दखल दे सकता है। कन्या राशि से प्रभावित ग्रीस और तुर्की में बड़े भूकंपन के योग 9 अगस्त की पूर्णिमा के आस-पास बन रहे हैं।
वक्री शनि के कारण होगी असामान्य वर्षा
इस महीने 13 जुलाई को शनि मीन राशि में मार्गी से वक्री गति में आ गए हैं और आगामी 28 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे। सूर्य से अधिक दूरी होने पर ग्रह की गोचर में गति कम होती है जिससे पृथ्वी से देखने पर वह भ-चक्र में तारों के बीच पश्चिम की ओर यानी पीछे चलता हुआ दिखाई देता है जिसे वक्री ग्रह कहा जाता है। मेदिनी ज्योतिष में शनि के वक्री होने और ठीक उसी समय गुरु के अतिचारी होने पर असामान्य वर्षा, भूकंपन, राजाओं का पतन और प्राकृतिक उत्पातों से जन-धन की हानि होने के फल कहे गए हैं। वर्तमान में गुरु सूर्य से पिछली राशि में गोचर करने के चलते अतिचारी यानि तेज गति में हैं और शनि सूर्य से नवम भाव में दूर गोचर करने से वक्री यानि प्रतिगामी (धीमी) चाल में हैं। इस गोचर के फल से अगले 30 दिनों में कुछ पहाड़ी राज्यों में बादल फटने आदि की घटनाओं से जन-धन की हानि होने की आशंका है। वही कन्या राशि से प्रभावित दक्षिण भारत में वर्षा कुछ कम रहेगी। 28 जुलाई को मंगल के कन्या राशि में प्रवेश के बाद उत्तर भारत के कुछ राज्यों में वर्षा में कुछ कमी आ सकती है।
बढ़ेगी राजनीतिक उथल-पुथल
सूर्य संक्रांति के समय भारतीय समयानुसार धनु लग्न उदय रहा है। संक्रांति कुंडली में दशमेश (राजसत्ता) बुध का शत्रु राशि कर्क में होकर नवमेश सूर्य के साथ अष्टम में होना राजनीतिक उठा-पटक का योग है। भारत में केंद्र सरकार के बड़े नेताओं में परस्पर विवाद और तनाव हो सकता है। 28 जुलाई को मंगल के कन्या राशि में प्रवेश के बाद अगस्त के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी उनकी पार्टी की ओर से कुछ दबाव आ सकता है। राजनीतिक क्षेत्र में कुछ उठापटक की स्थिति बन सकती है।
वैश्विक राजनीति पर सूर्य गोचर का प्रभाव
मध्य पूर्व एशिया में ईरान और इजराइल में एक बार फिर से तनाव अगस्त के महीने में बढने की आशंका रहेगी। कन्या लग्न की इजराइल की कुंडली में चल रही राहु की महादशा और गोचर में शनि-मंगल का समसप्तक योग इजराइल पर यमन के हूती विद्रोहियों और ईरान की ओर से अगस्त के महीने में किसी हमले का ज्योतिषीय संकेत दे रहा है। अगस्त के महीने में पेट्रोल-डीजल के दाम कुछ बढ़ सकते हैं। स्टॉक मार्किट में 28 जुलाई के बाद से कुछ उथल-पुथल दिखाई दे रही है।
अगस्त के महीने में, विशेषकर 9 अगस्त की पूर्णिमा, गुरु मिथुन राशि में शनि मीन राशि में और मंगल कन्या राशि में द्विस्वभाव राशियों में होकर परस्पर केंद्र में होंगे। यह योग भूकंपन और युद्ध से जन-धन की हानि का योग है। रूस-यूक्रेन में युद्ध के तेज़ होने से अमेरिका इस क्षेत्र में नाटो सैन्य गठबंधन के माध्यम से दखल दे सकता है। कन्या राशि से प्रभावित ग्रीस और तुर्की में बड़े भूकंपन के योग 9 अगस्त की पूर्णिमा के आस-पास बन रहे हैं।
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