छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने छिंदवाड़ा के जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद की बैठक व सम्मान समारोह में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं गर्व से कहता हूं कि हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं। यह बात मैं कई सालों से कहता आ रहा हूं।
पौराणिक कथा का हवाला दिया
सिंघार ने आदिवासी समाज की पहचान को रेखांकित करते हुए पौराणिक कथा का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि शबरी, जिन्होंने भगवान राम को जूठा बेर खिलाया था, वह भी आदिवासी थीं। जो आदिकाल से इस धरती पर वास कर रहे हैं, वही आदिवासी हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि आदिवासी समाज को अपनी पहचान स्थापित करने की जरूरत है और किसी भी सरकार को उनके मान-सम्मान की रक्षा करनी होगी।
सियासी गलियारों में हलचल
इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। आदिवासी पहचान और हिंदू धर्म के बीच अंतर को उजागर करने वाले इस बयान से मध्य प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान आदिवासी वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।
हालांकि, इस बयान पर विपक्षी दलों की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में बहस का केंद्र बन सकता है। स्थानीय आदिवासी नेताओं ने सिंघार के बयान का स्वागत किया है, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
छिंदवाड़ा के एक आदिवासी कार्यकर्ता ने कहा कि उमंग जी ने हमारी भावनाओं को आवाज दी है। हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व है। वहीं, कुछ अन्य लोगों का कहना है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं।
यह बयान सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग इसे आदिवासी अस्मिता की मजबूती के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं।
आगे क्या?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमंग सिंघार का यह बयान मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश हो सकती है। छिंदवाड़ा, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ रहा है, में इस बयान के दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
पौराणिक कथा का हवाला दिया
सिंघार ने आदिवासी समाज की पहचान को रेखांकित करते हुए पौराणिक कथा का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि शबरी, जिन्होंने भगवान राम को जूठा बेर खिलाया था, वह भी आदिवासी थीं। जो आदिकाल से इस धरती पर वास कर रहे हैं, वही आदिवासी हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि आदिवासी समाज को अपनी पहचान स्थापित करने की जरूरत है और किसी भी सरकार को उनके मान-सम्मान की रक्षा करनी होगी।
सियासी गलियारों में हलचल
इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। आदिवासी पहचान और हिंदू धर्म के बीच अंतर को उजागर करने वाले इस बयान से मध्य प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान आदिवासी वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।
हालांकि, इस बयान पर विपक्षी दलों की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में बहस का केंद्र बन सकता है। स्थानीय आदिवासी नेताओं ने सिंघार के बयान का स्वागत किया है, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
छिंदवाड़ा के एक आदिवासी कार्यकर्ता ने कहा कि उमंग जी ने हमारी भावनाओं को आवाज दी है। हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व है। वहीं, कुछ अन्य लोगों का कहना है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं।
यह बयान सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग इसे आदिवासी अस्मिता की मजबूती के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं।
आगे क्या?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमंग सिंघार का यह बयान मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश हो सकती है। छिंदवाड़ा, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ रहा है, में इस बयान के दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
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