लखनऊ: जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का एक बयान काफी चर्चा में है। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे पर राजा भैया को घेरना शुरू कर दिया है। वहीं जनसत्ता दल की तरफ से इस पर सपा को तीखा जवाब आया है।
राजा भैया ने यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान भी कहा कि दुनिया के तमाम देशों में समय, काल, परिस्थिति के अनुसार संविधान में संशोधन होते रहते हैं। लेकिन क्या किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना बदली गई है? उन्होंने कहा कि विश्व में एक भी देश ऐसा नहीं है। लेकिन हमारे यहां बाबा साहेब अंबेडकर सहित तमाम विद्वानों ने संविधान की प्रस्तावना तैयार की। उस प्रस्तावना को, जब देश में इमरजेंसी थी, लोकतंत्र नहीं था, बदल दिया गया।
इस बात को राजा भैया ने एक पॉडकास्ट के दौरान भी दोहराया। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और सेक्युलर शब्द हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन विद्वानों ने संविधान की रचना की, उन्होंने समाजवाद और सेक्युलर शब्दों को शामिल नहीं किया। 1976 में इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रस्तावना में संशोधन कर दिया।
राजा भैया के बयान पर समाजवादी पार्टी हमलावर हो गई। सपा मीडिया सेल के एक्स एकाउंट से पोस्ट की गई, जिसमें कहा गया कि बीजेपी नेता लल्लू सिंह ने भी संविधान परिवर्तन की बात की थी। अब बीजेपी समर्थक प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी विधायक भी यही बात कह रहे हैं। बीजेपी खुद जो बात करना चाहती है वो पहले अपने विधायकों से कहलवा रही थी और अब अपने समर्थित लोगों से कहलवा रही है।
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सपा के इस हमले का अब राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की तरफ से जवाब आया है। एक्स पर पार्टी के आधिकारिक हैंडल से लिखा गया, "सबसे पहले ये बतायें कि संविधान शिल्पी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल अधिक बुद्धिमान और देश प्रेमी थे या इमरजेंसी थोपने वाली इंदिरा गांधी?"
उसके पूर्व ये बताइये कि इमरजेंसी क्या आपके दल व नेताओं के लिए स्वर्णिम काल था ? उसके बाद ये भी बता दीजियेगा कि इमरजेंसी में क्यों माननीय स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव जी को जेल जाना पड़ा था?
आपको हिन्दुओं से नफरत है, राजा भइया जी हिन्दुत्व की बात करते हैं इसलिए आपको पसंद नहीं आते हैं, इसका मतलब ये थोड़े है कि देश का या आपके दल का या दल को बनाने वालों का इतिहास बदल जायेगा? राजा भइया से इतनी दिक्कत है कि उनके विरुद्ध मुलायम सिंह यादव को जेल भेजने वाली इंदिरा और उनकी ‘इमरजेंसी’ से आपको इतना प्रेम हो गया है।
राजा भैया ने यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान भी कहा कि दुनिया के तमाम देशों में समय, काल, परिस्थिति के अनुसार संविधान में संशोधन होते रहते हैं। लेकिन क्या किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना बदली गई है? उन्होंने कहा कि विश्व में एक भी देश ऐसा नहीं है। लेकिन हमारे यहां बाबा साहेब अंबेडकर सहित तमाम विद्वानों ने संविधान की प्रस्तावना तैयार की। उस प्रस्तावना को, जब देश में इमरजेंसी थी, लोकतंत्र नहीं था, बदल दिया गया।
इस बात को राजा भैया ने एक पॉडकास्ट के दौरान भी दोहराया। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और सेक्युलर शब्द हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन विद्वानों ने संविधान की रचना की, उन्होंने समाजवाद और सेक्युलर शब्दों को शामिल नहीं किया। 1976 में इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रस्तावना में संशोधन कर दिया।
राजा भैया के बयान पर समाजवादी पार्टी हमलावर हो गई। सपा मीडिया सेल के एक्स एकाउंट से पोस्ट की गई, जिसमें कहा गया कि बीजेपी नेता लल्लू सिंह ने भी संविधान परिवर्तन की बात की थी। अब बीजेपी समर्थक प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी विधायक भी यही बात कह रहे हैं। बीजेपी खुद जो बात करना चाहती है वो पहले अपने विधायकों से कहलवा रही थी और अब अपने समर्थित लोगों से कहलवा रही है।
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सपा के इस हमले का अब राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की तरफ से जवाब आया है। एक्स पर पार्टी के आधिकारिक हैंडल से लिखा गया, "सबसे पहले ये बतायें कि संविधान शिल्पी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल अधिक बुद्धिमान और देश प्रेमी थे या इमरजेंसी थोपने वाली इंदिरा गांधी?"
उसके पूर्व ये बताइये कि इमरजेंसी क्या आपके दल व नेताओं के लिए स्वर्णिम काल था ? उसके बाद ये भी बता दीजियेगा कि इमरजेंसी में क्यों माननीय स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव जी को जेल जाना पड़ा था?
आपको हिन्दुओं से नफरत है, राजा भइया जी हिन्दुत्व की बात करते हैं इसलिए आपको पसंद नहीं आते हैं, इसका मतलब ये थोड़े है कि देश का या आपके दल का या दल को बनाने वालों का इतिहास बदल जायेगा? राजा भइया से इतनी दिक्कत है कि उनके विरुद्ध मुलायम सिंह यादव को जेल भेजने वाली इंदिरा और उनकी ‘इमरजेंसी’ से आपको इतना प्रेम हो गया है।
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