आज की तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धा से भरी ज़िंदगी में मानसिक थकान, चिंता और डिप्रेशन जैसी भावनाएं एक आम चुनौती बन चुकी हैं। ऑफिस की डेडलाइंस, पारिवारिक ज़िम्मेदारियां और निजी उलझनों के बीच कई बार हम खुद को मानसिक रूप से थका हुआ, खोया हुआ या उदास महसूस करते हैं। ऐसे समय में लोग मेडिटेशन, एक्सरसाइज़, योगा या दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन हर किसी पर ये उपाय एक जैसा असर नहीं करते।
ऐसे में हाल ही में हुई एक इंटरनेशनल रिसर्च (Ref) ने एक चौंकाने वाली लेकिन उम्मीद जगाने वाली बात सामने रखी है—हमारे पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया, जिन्हें प्रोबायोटिक्स कहा जाता है, हमारे मूड को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये प्रोबायोटिक्स न सिर्फ पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं, बल्कि गट-ब्रेन कनेक्शन के ज़रिए मेंटल हेल्थको भी संतुलित करते हैं। यह खोज उन लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है जो लंबे समय से मानसिक तनाव या उदासी से जूझ रहे हैं।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे ताज़ा दही, किमची, कांजी, सौंठ वाला अचार या फर्मेंटेड ड्रिंक्स को अपने डेली डाइट में शामिल करने से न केवल पेट साफ और पाचन ठीक रहता है, बल्कि हमारा मूड भी पॉज़िटिव रहता है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि प्रोबायोटिक्स न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता महसूस होती है। यानि अगर आप मानसिक रूप से हल्का और खुश महसूस करना चाहते हैं, तो अपने पेट की देखभाल करना भी उतना ही ज़रूरी है जितना दिल और दिमाग की। (photo Credit) : iStock
प्रोबायोटिक्स क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं
प्रोबायोटिक्स ऐसे सूक्ष्मजीव होते हैं जिन्हें "गुड बैक्टीरिया" कहा जाता है। ये हमारे शरीर, खासकर पाचन तंत्र में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करने और खराब बैक्टीरिया को नियंत्रित रखने का काम करते हैं। लेकिन इनका एक कम जाना-पहचाना फ़ायदा यह है कि ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर डालते हैं। प्रोबायोटिक्स शरीर में ऐसे केमिकल्स जैसे सेरोटोनिन (जो मूड बेहतर करता है) और गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड (जो चिंता को कम करता है) के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। इस तरह ये सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि मन को भी हल्का और खुश रखने में मदद करते हैं।
गट-ब्रेन कनेक्शन क्या है
डॉ. गीता श्रॉफ, निदेशक, नुबेला सेंटर फॉर वुमेन हेल्थ, नई दिल्ली के अनुसार हमारे पेट और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है, जिसे गट-ब्रेन एक्सिस कहते हैं। दरअसल, हमारी आंतें और दिमाग आपस में निरंतर संवाद करते रहते हैं। पेट में मौजूद बैक्टीरिया सीधे तौर पर न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित करते हैं — ये वो केमिकल्स हैं जो हमारे मूड, सोच और भावना को नियंत्रित करते हैं। जब आंतों में प्रोबायोटिक्स संतुलन में होते हैं, तो ये इंफ्लेमेशन (सूजन) को कम करते हैं और तनाव के प्रभाव को घटाते हैं। इसके विपरीत, आंतों की गड़बड़ी या बैलेंस बिगड़ने से व्यक्ति चिड़चिड़ा, थका हुआ या उदास महसूस कर सकता है। इसलिए कहा जाता है — "Gut feeling" कोई मज़ाक नहीं, बल्कि साइंस है।
किन फूड्स में मिलते हैं नेचुरल प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स के लिए आपको महंगे सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं, बल्कि रसोई में मौजूद आम खाद्य पदार्थों में ही ये भरपूर मात्रा में मिलते हैं।-दही: सबसे आम और शक्तिशाली प्रोबायोटिक स्रोत।-कांजी: काले गाजर से बनी यह पारंपरिक ड्रिंक प्रोबायोटिक्स का बेहतरीन स्त्रोत है।-किमची और सॉरक्रॉट: फर्मेंटेड वेजिटेबल्स जो कोरियन और वेस्टर्न डाइट का हिस्सा हैं।-अचार (घर का बना, सिरके या कैमिकल्स के बिना): इनमें फायदेमंद बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं।-इडली-डोसा का बैटर: फर्मेंटेड होने के कारण इसमें भी प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स होते हैं। इन फूड्स को रोज़ की डाइट में शामिल करना आसान है और यह आपके पेट को संतुलन में रखने के साथ-साथ मूड भी स्थिर रख सकते हैं।
रिसर्च में क्या निकला नया
NIH के मुताबिक (Ref) में यह पता चला कि प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेने वाले लोगों ने न केवल अपने पाचन में सुधार महसूस किया, बल्कि उनका मूड भी पहले से बेहतर हुआ। वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रोबायोटिक्स लेने वाले प्रतिभागियों में तनाव, चिंता और उदासी के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई। यहां तक कि कुछ प्रतिभागियों ने अपने सोचने-समझने की क्षमता और नींद की गुणवत्ता में भी सुधार दर्ज किया। इस शोध से यह संकेत मिला कि प्रोबायोटिक्स केवल फिजिकल हेल्थ नहीं, बल्कि इमोशनल वेल-बीइंग में भी योगदान दे सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इस दिशा में और रिसर्च की ज़रूरत है, लेकिन अब तक के परिणाम उत्साहजनक हैं।
क्या प्रोबायोटिक्स से साइड इफेक्ट हो सकते हैं
नेचुरल प्रोबायोटिक्स आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, लेकिन किसी भी बदलाव से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, खासकर अगर आप किसी हेल्थ कंडीशन से जूझ रहे हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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