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मेरा गला काट दो, लेकिन असली मतदाताओं का नाम मत हटाओ... SIR को 'वोटबंदी' बता ममता ने चुनाव आयोग से की ये मांग

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ( SIR ) को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस प्रक्रिया को 'वोटबंदी' करार दिया। उन्होंने कहा कि वे मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना गला कटवाने तक से पीछे नहीं हटेंगी। मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से SIR प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर यह काम त्रुटिहीन तरीके से नहीं हुआ तो इसे बंगाल में लागू करना आसान नहीं होगा। ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग को सरकार नहीं, बल्कि जनता के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने आयोग पर केंद्र के इशारों पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोकतंत्र को नष्ट नहीं कर सकते। आयोग के अधिकारी सिर्फ ‘हां सर’ कह रहे हैं। वे बिहार में तो बच निकले, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं होगा। हम हर कदम पर उन्हें जवाब देंगे।


केंद्र सरकार पर '
सुपर इमरजेंसी’ जैसी स्थिति पैदा करने का आरोप
ममता ने केंद्र पर एसआईआर के नाम पर राज्य सरकार के कर्मचारियों को महीनों तक रोके रखने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर 'सुपर इमरजेंसी’ जैसी स्थिति पैदा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि राज्य कर्मचारियों को अगले साल फरवरी तक रोका जा रहा है, जब अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी। उसके बाद चुनावों की घोषणा होगी। राज्य सरकार कब काम करेगी? यह सरकार को तीन महीने तक निष्क्रिय रखने की एक सोची-समझी चाल है। यह ‘एसआईआर’ की आड़ में लागू की गई एक सुपर इमरजेंसी जैसा है। जैसे कुछ मुद्राओं को चलन से बाहर करना ‘नोटबंदी’ थी, वैसे ही एसआईआर ‘वोटबंदी’ है।


'इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही'

उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही। यह बंगाल की जनता का अपमान है। मैं अपने पहले के रुख पर कायम हूं कि निर्वाचन आयोग को यह प्रक्रिया तुरंत रोकनी चाहिए। मतदाता सूची में संशोधन दो या तीन महीनों में पूरा नहीं हो सकता। इसे जबरदस्ती अंजाम दिया जा रहा है। मैंने सुना है कि आठ मतदाताओं वाले घरों में सिर्फ दो गणना प्रपत्र बांटे गए और बाकी छह गायब थे। अब आपको खुद को साबित करना होगा। आपको पता होना चाहिए कि आप कौन हैं। इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है? वे (श्रीमान) दो सालों में ऐसा कर सकते थे। निर्वाचन आयोग को यह तय करने का क्या अधिकार है कि कौन नागरिक है और कौन नहीं?


'आप लोकतंत्र को ध्वस्त नहीं कर सकते'

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन के कार्यकाल के निर्वाचन आयोग का जिक्र करते हुए बनर्जी ने रेखांकित किया कि आयोग के लिए बंगाल में यह काम करना उतना आसान नहीं होगा जितना बिहार में था। बनर्जी ने मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘मुझे याद है जब श्री शेषन चुनाव आयुक्त थे, उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग जनता के लिए है, सरकार के लिए नहीं। मुझे यह देखकर दुख होता है कि इसके वर्तमान प्रमुख केवल ‘जी सर’, ‘जी सर’ कहते रहते हैं। आप बिहार में ऐसा (श्रीमान) कर सकते थे क्योंकि आप इससे बच सकते थे, लेकिन बंगाल में नहीं, जहां हम आपसे हर कदम पर सवाल करेंगे। आप सिर्फ अपने बॉस को संतुष्ट करना चाहते हैं, जनता को नहीं। आप लोकतंत्र को ध्वस्त नहीं कर सकते। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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