अगली ख़बर
Newszop

Guru Nanak Jayanti Quotes 2025 : गुरु नानक देव से सीखें सफलता के 9 मंत्र, ये है सच्चा सौदा, जानें लंगर प्रथा किसने और कैसे शुरू की थी

Send Push
आज 5 नवंबर, बुधवार के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जा रही है। गुरु पर्व शुरू होने से कुछ दिन पहले से ही सुबह के समय प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। वहीं, गुरु नानक जी की जयंती पर विशाल नगर कीर्तन निकलता है। साथ ही, इस दिन शाम के समय विशेष दीपक जलाए जाते हैं और श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार लंगर खिलाते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी ने कई ऐसी सीखें सिखाई हैं, जो किसी मनुष्य का जीवन बदल सकती हैं। वहीं, लंगर खिलाने की प्रथा की शुरुआत होने के पीछे भी बहुत खास वजह है। ऐसे में आइए जानें गुरु नानक देव से ऐसी 9 सीखें, जो आपको सफल बना सकती हैं। साथ ही, जानते हैं कि आखिर लंगर खिलाने की प्रथा कहां से शुरू हुई।

गुरु नानक देव से सीखें सफलता के 9 मंत्र
  • अपने जीवन से लालच और अहंकार को हमेशा दूर रखना चाहिए। अगर आप धन कमाते हैं, तो उसकी सही जगह जेब में होती है। कभी भी धन को हृदय से नहीं लगाना चाहिए। इससे आपके मनुष्य के मन में अहंकार और लालच की भावना बढ़ सकती है।
  • अपना गुरु स्वयं खुद ढूंढना चाहिए। यानी अपने जीवन में सही मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए हमें हमेशा एक गुरु की जरूरत होती है। क्योंकि गुरु नानक जी का कहना था कि सही जीवन जीना बहुत जरूरी होता है।
  • जीवन में यात्राएं पर जाना भी बहुत आवश्यक होता है। क्योंकि यात्राओं के द्वारा आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। जब आप अलग-अलग स्थानों पर घूमने जाते हैं तो वहां कई प्रकार की चीजें सीखने को मिलती हैं।
  • महिला और पुरुष सभी एक बराबर हैं। गुरु नानक देवजी ने कभी भी स्त्री और पुरुष में फर्क नहीं किया। कभी भी महिलाओं का अनादर नहीं करना चाहिए।
  • 'इक ओंकार' का नारा गुरु नानक देव जी ने दिया था। उनका कहना था कि सभी के ईश्वर एक हैं। ऐसे में हम सभी को एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
  • हमेशा खुश रहना सीखें। जीवन को सही और खुशहाल तरीके से जीने का एक मंत्र यह भी है कि हमेशा तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए। इससे आप जीवन में खुश रह सकते हैं।
  • जरूरतमंदों की सेवा के लिए तैयार रहें। किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति की सेवा या मदद करना बेहद पुण्य का कार्य होता है। एक-दूसरे की हमेशा मदद करते रहना चाहिए।
  • अपने मन को पवित्र और निर्मल बनाए रखने के लिए ईश्वर का नाम लेना चाहिए। सभी मनुष्यों को एक दूसरे से प्रेम, समानता, एकता और भाईचारा रखना चाहिए।
  • किसी भी मनुष्य को सर्वप्रथम अपनी बुराइयों और गलत आदतों पर काम करना चाहिए। साथ ही, जीवन में सही राह चुननी चाहिए।

लंगर प्रथा किसने और कैसे शुरू की थी
15वीं शताब्दी में लंगर प्रथा की शुरुआत हुई थी, जो गुरु नानक देवजी ने की थी। गुरु नानक देवजी जिस भी स्थान पर जाते थे वहां हमेशा जमीन पर बैठकर ही भोजन किया करते थे। साथ ही, उन्होंने अपने साथ बैठने वालों को लेकर कई भी ऊंच-नीच और जात-पात नहीं किया। इन सभी चीजों के साथ-साथ अंधविश्वास को भी समाप्त करने के लिए गुरु नानक देव जी सभी लोगों के साथ बैठकर भोजन किया करते थे। तभी से लंगर खाने की प्रथा शुरू हुई।

गुरु नानक देवजी ने जाति, धर्म और वर्ग के भेद को समाप्त करने के और लोगों के बीच भाईचारे, प्रेम व समानता को बढ़ावा देने के लिए लंगर की शुरुआत की थी। वहीं, तीसरे गुरु अमरदास जी ने लंगर की प्रथा को आगे बढ़ाया और भारत में हर जगह इसका प्रचार किया।
न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें