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Investment Tips: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कैसे पांच साल में ₹31 करोड़ का फंड बनाया, सीए से समझिए निवेश की रणनीति

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नई दिल्ली: आमदनी (Income) चाहे कितनी भी हो, लेकिन यदि उसका ढंग से मैनेजमेंट (Management) नहीं हो तो आपके पास कुछ भी रकम नहीं बचती है। लेकिन यदि समझदारीपूर्ण तरीके से निवेश किया जाए तो फिर आपकी रकम तेजी से बढ़ती है। सीए नितिन कौशिक ने एक्स (X) पर ऐसा ही एक पोस्ट किया है। उसने बताया है कि मुंबई के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने पांच साल में 8 करोड़ रुपये को 31 करोड़ रुपये में बदल दिया। आइए, जानते हैं कैसे ऐसा हुआ...

समय की कसौटी पर कसें
CA नितिन कौशिक ने एक बढ़िया बात बताई है। उन्होंने कहा है कि जो दौलत समय की कसौटी पर खरी उतरती है, उसका किस्मत से कोई लेना-देना नहीं होता। ऐसी दौलत धीरे-धीरे और चुपचाप बनती है। इसके लिए सोच-समझकर, अनुशासित तरीके से लगातार सही फैसले लेने पड़ते हैं। उन्होंने पांच साल पहले एक 38 साल के इंजीनियर के साथ काम करना शुरू किया था। तब इंजीनियर की कुल संपत्ति 8 करोड़ रुपये थी। अनुशासित और समझदारी भरे तरीके से काम करने पर, यह रकम बढ़कर 31 करोड़ रुपये हो गई। इस बदलाव के बारे में कौशिक ने कहा, "कोई शॉर्टकट नहीं। कोई रातोंरात ट्रेडिंग से जीत नहीं। बस डेटा, धैर्य और स्मार्ट वित्तीय फैसले।" कौशिक अपने ग्राहकों के लिए लंबी अवधि के, विश्वास पर आधारित इक्विटी पोर्टफोलियो (शेयरों का समूह) वाली वित्तीय रणनीति बनाते हैं और उस पर अमल करते हैं।


कैसे हुआ ऐसे
कौशिक और उनके क्लाइंट ने मिलकर स्मॉल (छोटी), मिड (मध्यम) और लार्ज-कैप (बड़ी) कंपनियों के शेयरों का एक ऐसा कलेक्शन बनाया जो दौलत बढ़ाता है। कुल इक्विटी निवेश को संतुलित रखने के लिए, 20 प्रतिशत हिस्सा जानबूझकर कुछ म्यूचुअल फंडों (जहां कई लोगों का पैसा मिलकर शेयर बाजार में लगाया जाता है) में लगाया गया। इस अनुशासित तरीके से काफी अच्छा मुनाफा हुआ। पांच सालों में हर साल औसतन 18.7 प्रतिशत का सीएजीआर (CAGR - चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) मिला। कौशिक के अनुसार, 'जब आप लगातार बने रहते हैं तो कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) चुपचाप अपना जादू दिखाती है।'


यहां भी निवेश किया
साल 2020 में, इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पोर्टफोलियो में धातुओं (जैसे सोना, चांदी) का हिस्सा सिर्फ 5 प्रतिशत था। लेकिन कौशिक ने इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया। उन्हें उम्मीद थी कि 2025 तक सोना और चांदी के भाव बढ़ेंगे। यह कदम फायदेमंद रहा और मिले मुनाफे ने बाजार के कुछ उतार-चढ़ावों से बचाव किया। जब उनका क्लाइंट 8.5 प्रतिशत ब्याज वाले लोन के सहारे 3.5 करोड़ रुपये का फ्लैट खरीदने वाला था, तब कौशिक ने उन्हें प्रीमियम प्लॉट (जमीन का टुकड़ा) खरीदने का सुझाव दिया। इस जमीन की कीमत 20 महीनों में 25 प्रतिशत बढ़ गई, जिससे क्लाइंट को 75 लाख रुपये का ब्याज बचा। कौशिक के मुताबिक, 'कभी-कभी मन की शांति पाना, कर्ज लेकर प्रॉपर्टी खरीदने से बेहतर होता है।'

टैक्स भी बचाए
क्लाइंट ने सिर्फ ईएलएसएस फंड (ELSS funds - टैक्स बचाने वाले इक्विटी फंड), कैपिटल गेन हार्वेस्टिंग (Capital gains harvesting - मुनाफे पर टैक्स बचाने की एक रणनीति) और अन्य निवेश संरचनाओं का इस्तेमाल करके चार सालों में 52 लाख रुपये से ज्यादा टैक्स बचाए। भले ही उनकी दौलत बढ़ी, लेकिन उनका क्लाइंट आज भी वही पुरानी सेडान कार चलाता है। कौशिक कहते हैं कि यह सोच 'ही करोड़ों को पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली दौलत में बदलती है।'



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