बीजिंग: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान की सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है। नई दिल्ली ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था। इस समझौते को रोके जाने से पाकिस्तान बिलबिला उठा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत बड़े नेता सिंधु के पानी को रोके जाने पर भारत को युद्ध की धमकी दे रहे हैं। वहीं, कई पाकिस्तानी एक्सपर्ट ये चेतावनी दे रहे हैं कि भारत के जवाब में अब चीन को भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती दिखाते ऐसी ही कार्रवाई कर सकता है। चीन बनाएगा पानी को हथियार?सीधे शब्दों में पाकिस्तानियों का कहना है कि जिस तरह भारत सिंधु नदी का पानी को पाकिस्तान के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, उसी तरह चीन भी ब्रह्मपुत्र के पानी को रोककर भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन क्या यह इतना आसान है और क्या क्या वास्तव में चीन ऐसा कर सकता है? आइए भारत और चीन के परिप्रेक्ष्य में पानी को हथियार बनाने की संभावनाओं की हकीकत को समझते हैं। ब्रह्मपुत्र पर भारत-चीन की स्थितिसुरक्षा विशेषज्ञ नितिन गोखले ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि जो लोग सोचते हैं कि सिंधु जल संधि को स्थगित रखने के लिए चीन भारत को सजा देगा, उन्हें इस पर विचार करना चाहिए। ब्रह्मपुत्र की स्थिति पर गोखले लिखते हैं कि 'यहां सिंधु जल संधि की तरह उल्लंघन करने के लिए कोई समझौता नहीं है।' यही नहीं, चीन ने पहले से ही हर उस चीज को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर लिया है, जो वह कर सकता है। वह इस तरह की मिसाल का इंतजार नहीं कर रहा है। भारत के लिए क्यों नहीं है खतरा?ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है, जिसे वहां यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। गोखले का कहना है कि तिब्बत से यारलुंग त्सांगपो केवल 30% पानी भारत लाती है। बाकी पानी भारत में मानसून से आता है। चीन ने पहले ही नदी पर बांध बना लिए हैं, इसलिए धीरे-धीरे यह भारत के लिए उतना नुकसानदेह नहीं हो सकता है।भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है लेकिन भारत पाकिस्तान की तरह चीन में आतंकवादी या चरमपंथी गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है। ऐसे में चीन के लिए पानी को हथियार बनाने की वजह नहीं बनती है। भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर पाकिस्तान की तरह समझौता नहीं है, लेकिन दोनों देशों ने एक तंत्र विकसित किया है, जिसके तहत एक दूसरे को नदी के प्रवाह को लेकर सूचना दी जाती है।
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