16-17 साल की उम्र में जब लड़के सबसे स्मार्ट दिखना चाहते हैं, उस वक्त आर्दश सिंह का वजन 120 किलो था। स्मार्ट दिखना तो दूर सही फिटिंग के कपड़े भी नहीं खरीद पाते थे। दोस्तों, रिश्तेदारों ने मजाक उड़ाया। वजन इतना ज्यादा था कि आदर्श को वेट लॉस की शुरुआत करने की हिम्मत नहीं होती थी।
पहले आदर्श से छुप-छुपकर वजन घटाने की कोशिश की। लेकिन उससे खास फायदा नहीं हुआ। तब तक उन्हें ये नहीं मालूम था कि वेट लॉस के लिए घर का बना नॉर्मल खाना सबसे हेल्दी होता है। फिर उन्होंने एक्सपर्ट की मदद ली और पूरी लगन से वेट लॉस पर काम करना शुरू किया। लाइफस्टाइल और डाइट बदली, वर्कआउट का पैटर्न बदला। धीरे-धीरे वजन कम होने लगा। एक साल में आदर्श ने अपनी बॉडी को पूरी तरह बदल दिया। आप भी पढ़िए आदर्श सिंह की वेट लॉस जर्नी।
लाइफस्टाइल से बिगड़ी सेहत
हमारा घर ऐसी जगह पर था कि मैं बाहर खेलने नहीं जाता था। पांचवीं क्लास से मैं मोटा होने लगा। फिर जंक फूड खाने और वीडियो गेम खेलने की ऐसी लत लगी कि मैं तेजी से मोटा होने लगा। वजन बढ़कर 120 किलो हो गया। मैं कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं करता था। दिनभर ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना मेरी आदत बन चुकी थी।
मैं दिनभर खाता रहता था
जब मेरा वजन तेजी से बढ़ने लगा तो मैंने उसे कम करने की कोशिश नहीं की। मैं फूड में कम्फर्ट ढूंढने लगा। मैं सुबह देर से उठता था। घर का बना ब्रेकफास्ट नहीं खाता था। मैं अपना फेवरेट पिज्जा, पास्ता, कोल्ड ड्रिंक ऑर्डर करता था। उसके बाद हर दो घंटे में चिप्स, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक, नमकीन... कोई भी स्नैक्स खाता था। रात में 1-2 बजे तक वेब सीरीज देखते हुए मेरा खाने का सिलसिला जारी रहता था। मैं दिनभर में कितनी कैलोरी खाता था इसका कोई हिसाब नहीं था।
वीडियो गेम, वेब सीरीज ने बढ़ाया मोटापा
मैं घर से बाहर नहीं निकलता था। पढ़ाई के बाद जंक फूड खाना, वीडियो गेम खेलना और देर रात तक वेब सीरीज देखना, ये मेरी आदत बन चुकी थी। अगर कुछ चटपटा खाने के लिए नहीं है तो मुझे वेब सीरीज देखने की भी इच्छा नहीं होती थी। मुझे खाने से ही संतुष्टि मिलती थी। बोरियत दूर करने के लिए भी मैं कुछ न कुछ खाने लगता।
मैं सीढ़ियां चढ़ने से बचता था
मुझे अपना शरीर इतना भारी लगने लगा था कि स्कूल में स्पोर्ट्स खेलना तो दूर मैं घर की सीढ़ियां चढ़ने से भी बचता था। जब वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो इंसान कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने पर थकने लगता है। मैं सीढ़ियां चढ़ने, तेज चलने पर थकने लगता था। दिनभर घर में बैठा रहता था। मैं इतना आलसी हो गया था कि अगर कमरे में मेरे हाथ पहुंचने तक पानी की बोतल न रखी हो तो मैं उठकर पानी भी नहीं पीता था।
मोटे से मोटिवेशन तक
जब लोग मेरे मोटापे का मजाक उड़ाते तो मुझे बहुत बुरा लगता। लेकिन मैं किसी से कुछ कहता नहीं था। मैंने कई बार चुपके से वजन घटाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुआ। मैंने घर में जिम बनाया और वहां वर्कआउट करने लगा। लेकिन मुझे सही फूड और वर्कआउट की जानकारी नहीं थी इसलिए ज्यादा असर नहीं हो रहा था।
ट्रेनर ने दी सही सलाह
जब घर पर वर्कआउट करने से फायदा नहीं मिला तो मैंने जिम जॉइन किया। मेरे ट्रेनर ने मुझे सिखाया कि फिटनेस के लिए अनुशासन जरूरी है। डाइट और वर्कआउट दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने मुझे कार्डियो से ज्यादा स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर फोकस करने की सलाह दी। इससे बॉडी को सही शेप मिलता है। सही डाइट प्लान और वर्कआउट से मेरा वजन तेजी से घटने लगा।
वेट लॉस के लिए डिसिप्लिन जरूरी
वेट लॉस प्रोसेस इतना आसान नहीं था। मुझे जंक फूड खाने की इच्छा होती थी, लेकिन मैं खुद को रोक लेता था। जब मेरा बॉडी शेप बदलने लगा तो मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा। फिर मैंने अपनी फिटनेस और ग्रूमिंग पर ज्यादा फोकस करना शुरू किया। अपना ट्रांसफॉर्मेशन देखकर मैं खुद हैरान था। फिटनेस ने कॉन्फिडेंस बढ़ाया और मैं फिटनेस इन्फ्लुएंसर बन गया।
एक लाइन ने बदली मेरी जिंदगी
मैंने एक लाइन पढ़ी, “अगर आप जिम ज्वाइन करते हैं या कुछ नया शुरू करते हैं, तो आपको एक दिन में कोई फर्क नहीं दिखेगा। एक महीने में आपको बदलाव नजर आएगा। छह महीने में आपका परिवार और दोस्त इस बदलाव को महसूस करेंगे। और एक साल में पूरी दुनिया आपका बदला हुआ रूप देखेगी।” इस लाइन ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैं बस हर दिन कड़ी मेहनत करता रहा और अपनी मेहनत पर भरोसा करता रहा। एक साल में मेरी जिंदगी बदल गई।
एक साल पहले जो लोग मुझे भैंसा, हाथी, गुब्बारा कहते थे आज वो मुझसे प्रेरणा लेते हैं। मेरा ये मानना है कि अगर आपको सही मायने में किसी को जवाब देना है तो खुद पर काम करो। आपकी कामयाबी ही आपका सही जवाब होती है। आज मैं फिटनेस इन्फ्लुएंसर के रूप में जाना जाता हूं। फिटनेस ने मुझे नई पहचान दी है।
पहले आदर्श से छुप-छुपकर वजन घटाने की कोशिश की। लेकिन उससे खास फायदा नहीं हुआ। तब तक उन्हें ये नहीं मालूम था कि वेट लॉस के लिए घर का बना नॉर्मल खाना सबसे हेल्दी होता है। फिर उन्होंने एक्सपर्ट की मदद ली और पूरी लगन से वेट लॉस पर काम करना शुरू किया। लाइफस्टाइल और डाइट बदली, वर्कआउट का पैटर्न बदला। धीरे-धीरे वजन कम होने लगा। एक साल में आदर्श ने अपनी बॉडी को पूरी तरह बदल दिया। आप भी पढ़िए आदर्श सिंह की वेट लॉस जर्नी।
लाइफस्टाइल से बिगड़ी सेहत
हमारा घर ऐसी जगह पर था कि मैं बाहर खेलने नहीं जाता था। पांचवीं क्लास से मैं मोटा होने लगा। फिर जंक फूड खाने और वीडियो गेम खेलने की ऐसी लत लगी कि मैं तेजी से मोटा होने लगा। वजन बढ़कर 120 किलो हो गया। मैं कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं करता था। दिनभर ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना मेरी आदत बन चुकी थी।
मैं दिनभर खाता रहता था
जब मेरा वजन तेजी से बढ़ने लगा तो मैंने उसे कम करने की कोशिश नहीं की। मैं फूड में कम्फर्ट ढूंढने लगा। मैं सुबह देर से उठता था। घर का बना ब्रेकफास्ट नहीं खाता था। मैं अपना फेवरेट पिज्जा, पास्ता, कोल्ड ड्रिंक ऑर्डर करता था। उसके बाद हर दो घंटे में चिप्स, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक, नमकीन... कोई भी स्नैक्स खाता था। रात में 1-2 बजे तक वेब सीरीज देखते हुए मेरा खाने का सिलसिला जारी रहता था। मैं दिनभर में कितनी कैलोरी खाता था इसका कोई हिसाब नहीं था।
वीडियो गेम, वेब सीरीज ने बढ़ाया मोटापा
मैं घर से बाहर नहीं निकलता था। पढ़ाई के बाद जंक फूड खाना, वीडियो गेम खेलना और देर रात तक वेब सीरीज देखना, ये मेरी आदत बन चुकी थी। अगर कुछ चटपटा खाने के लिए नहीं है तो मुझे वेब सीरीज देखने की भी इच्छा नहीं होती थी। मुझे खाने से ही संतुष्टि मिलती थी। बोरियत दूर करने के लिए भी मैं कुछ न कुछ खाने लगता।
मैं सीढ़ियां चढ़ने से बचता था
मुझे अपना शरीर इतना भारी लगने लगा था कि स्कूल में स्पोर्ट्स खेलना तो दूर मैं घर की सीढ़ियां चढ़ने से भी बचता था। जब वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो इंसान कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने पर थकने लगता है। मैं सीढ़ियां चढ़ने, तेज चलने पर थकने लगता था। दिनभर घर में बैठा रहता था। मैं इतना आलसी हो गया था कि अगर कमरे में मेरे हाथ पहुंचने तक पानी की बोतल न रखी हो तो मैं उठकर पानी भी नहीं पीता था।
मोटे से मोटिवेशन तक
जब लोग मेरे मोटापे का मजाक उड़ाते तो मुझे बहुत बुरा लगता। लेकिन मैं किसी से कुछ कहता नहीं था। मैंने कई बार चुपके से वजन घटाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुआ। मैंने घर में जिम बनाया और वहां वर्कआउट करने लगा। लेकिन मुझे सही फूड और वर्कआउट की जानकारी नहीं थी इसलिए ज्यादा असर नहीं हो रहा था।
ट्रेनर ने दी सही सलाह
जब घर पर वर्कआउट करने से फायदा नहीं मिला तो मैंने जिम जॉइन किया। मेरे ट्रेनर ने मुझे सिखाया कि फिटनेस के लिए अनुशासन जरूरी है। डाइट और वर्कआउट दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने मुझे कार्डियो से ज्यादा स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर फोकस करने की सलाह दी। इससे बॉडी को सही शेप मिलता है। सही डाइट प्लान और वर्कआउट से मेरा वजन तेजी से घटने लगा।
वेट लॉस के लिए डिसिप्लिन जरूरी
वेट लॉस प्रोसेस इतना आसान नहीं था। मुझे जंक फूड खाने की इच्छा होती थी, लेकिन मैं खुद को रोक लेता था। जब मेरा बॉडी शेप बदलने लगा तो मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा। फिर मैंने अपनी फिटनेस और ग्रूमिंग पर ज्यादा फोकस करना शुरू किया। अपना ट्रांसफॉर्मेशन देखकर मैं खुद हैरान था। फिटनेस ने कॉन्फिडेंस बढ़ाया और मैं फिटनेस इन्फ्लुएंसर बन गया।
एक लाइन ने बदली मेरी जिंदगी
मैंने एक लाइन पढ़ी, “अगर आप जिम ज्वाइन करते हैं या कुछ नया शुरू करते हैं, तो आपको एक दिन में कोई फर्क नहीं दिखेगा। एक महीने में आपको बदलाव नजर आएगा। छह महीने में आपका परिवार और दोस्त इस बदलाव को महसूस करेंगे। और एक साल में पूरी दुनिया आपका बदला हुआ रूप देखेगी।” इस लाइन ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैं बस हर दिन कड़ी मेहनत करता रहा और अपनी मेहनत पर भरोसा करता रहा। एक साल में मेरी जिंदगी बदल गई।
एक साल पहले जो लोग मुझे भैंसा, हाथी, गुब्बारा कहते थे आज वो मुझसे प्रेरणा लेते हैं। मेरा ये मानना है कि अगर आपको सही मायने में किसी को जवाब देना है तो खुद पर काम करो। आपकी कामयाबी ही आपका सही जवाब होती है। आज मैं फिटनेस इन्फ्लुएंसर के रूप में जाना जाता हूं। फिटनेस ने मुझे नई पहचान दी है।
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