मुंबई : चेंबूर स्थित सेंट एंथोनी गर्ल्स हाई स्कूल ने पिछले हफ़्ते कुछ छात्राओं को हाथों में मेहँदी लगाने के कारण कक्षाओं में आने से रोक दिया। छात्राओं के अभिभावकों ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई अत्यधिक भेदभावपूर्ण है। उनकी शिकायत के बाद, उत्तरी क्षेत्र शिक्षा निरीक्षक कार्यालय के अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए स्कूल का दौरा किया। उत्तरी क्षेत्र शिक्षा निरीक्षक मुश्ताक शेख ने कहा कि जब हमें अभिभावकों से शिकायत मिली, तो हमारे अधिकारियों ने दोनों पक्षों से मुलाकात की। बच्चों ने अपनी कक्षाएं फिर से शुरू कर दी हैं और स्कूल को एक नोटिस भेजकर घटना की पूरी जानकारी मांगी गई है।
मुश्ताक शेख के अनुसार, स्कूल प्रबंधन ने किसी भी भेदभाव से इनकार किया। स्कूल ने कहा कि छात्राओं को अनुशासन और समय की पाबंदी जैसे असंबंधित मुद्दों पर कक्षा में प्रवेश करने से रोका गया था, न कि मेहंदी लगाने के लिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या स्कूल धार्मिक या सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, शेख ने कहा कि स्कूलों को बच्चों को उचित सीमा के भीतर किसी भी धार्मिक वस्तु को हटाने या उससे दूर रहने के लिए कहने का अधिकार नहीं है। शिक्षा विभाग ने स्कूल को अपना जवाब देने के लिए एक महीने का समय दिया है, जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
स्कूल की सफाई
स्कूल के लिखित जवाब में कहा गया है कि किसी भी छात्र के साथ अनुचित व्यवहार नहीं किया गया। स्कूल ने कहा कि कुछ छात्रों को अस्थायी रूप से हॉल में प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया था क्योंकि उन्होंने स्कूल के कुछ नियमों का पालन नहीं किया था। इनमें छुट्टी के नोट न लाना, अपना पहचान पत्र भूल जाना, पूरी यूनिफॉर्म न पहनना या बीमार होने के बाद चिकित्सा प्रमाण पत्र जमा न करना शामिल था। स्कूल ने बताया कि हॉल में प्रतीक्षा कर रहे छात्रों में कुछ ऐसे भी थे जिनके हाथों में मेहंदी लगी थी। प्रतीक्षा के दौरान, शिक्षक और कर्मचारी हॉल में छात्रों की देखभाल करते रहे।
पैरंट्स का दावाहालांकि, अभिभावकों का आरोप है कि मेहंदी की वजह से उनके बच्चों को कक्षा में आने से अनुचित तरीके से रोका गया। कुछ अभिभावकों ने दावा किया कि उनकी बेटियों को शर्मिंदा किया गया और उन्हें कक्षाओं के बाहर काफी देर तक इंतज़ार कराया गया। उन्होंने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्कूल पहुंचे मनसे नेताअभिभावकों की शिकायत मिलने के बाद स्कूल का दौरा करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के महासचिव कर्ण दूनबले ने कहा कि मैं इस घटना का प्रत्यक्षदर्शी हूं। स्कूल प्रशासन ने लगभग 20 छात्रों को रोका था, और एक शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद ही स्कूल ने लिखित स्पष्टीकरण दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सभी बयानों और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
मुश्ताक शेख के अनुसार, स्कूल प्रबंधन ने किसी भी भेदभाव से इनकार किया। स्कूल ने कहा कि छात्राओं को अनुशासन और समय की पाबंदी जैसे असंबंधित मुद्दों पर कक्षा में प्रवेश करने से रोका गया था, न कि मेहंदी लगाने के लिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या स्कूल धार्मिक या सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, शेख ने कहा कि स्कूलों को बच्चों को उचित सीमा के भीतर किसी भी धार्मिक वस्तु को हटाने या उससे दूर रहने के लिए कहने का अधिकार नहीं है। शिक्षा विभाग ने स्कूल को अपना जवाब देने के लिए एक महीने का समय दिया है, जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
स्कूल की सफाई
स्कूल के लिखित जवाब में कहा गया है कि किसी भी छात्र के साथ अनुचित व्यवहार नहीं किया गया। स्कूल ने कहा कि कुछ छात्रों को अस्थायी रूप से हॉल में प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया था क्योंकि उन्होंने स्कूल के कुछ नियमों का पालन नहीं किया था। इनमें छुट्टी के नोट न लाना, अपना पहचान पत्र भूल जाना, पूरी यूनिफॉर्म न पहनना या बीमार होने के बाद चिकित्सा प्रमाण पत्र जमा न करना शामिल था। स्कूल ने बताया कि हॉल में प्रतीक्षा कर रहे छात्रों में कुछ ऐसे भी थे जिनके हाथों में मेहंदी लगी थी। प्रतीक्षा के दौरान, शिक्षक और कर्मचारी हॉल में छात्रों की देखभाल करते रहे।
पैरंट्स का दावाहालांकि, अभिभावकों का आरोप है कि मेहंदी की वजह से उनके बच्चों को कक्षा में आने से अनुचित तरीके से रोका गया। कुछ अभिभावकों ने दावा किया कि उनकी बेटियों को शर्मिंदा किया गया और उन्हें कक्षाओं के बाहर काफी देर तक इंतज़ार कराया गया। उन्होंने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्कूल पहुंचे मनसे नेताअभिभावकों की शिकायत मिलने के बाद स्कूल का दौरा करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के महासचिव कर्ण दूनबले ने कहा कि मैं इस घटना का प्रत्यक्षदर्शी हूं। स्कूल प्रशासन ने लगभग 20 छात्रों को रोका था, और एक शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद ही स्कूल ने लिखित स्पष्टीकरण दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सभी बयानों और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
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