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वरदान मिला, लेकिन किस्मत फिर भी क्यों नहीं बदली, ज्योतिष के आलोक में अवसर की अनदेखी का परिणाम

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एक गरीब मनुष्य ने देवता से वर प्राप्त किया था, देवता संतुष्ट होकर बोले, 'तुम ये पासा लो, इस पासे को जिन किन्हीं तीन कामनाओं से तीन बार फेंकोगे, वे तीनों पूरी हो जाएंगी।’ वह आनंदोल्लासित हो घर जाकर अपनी स्त्री के साथ परामर्श करने लगा, ‘क्या वर मांगना चाहिए।’ स्त्री ने कहा, 'धन दौलत मांगो', लेकिन पति ने कहा, 'देखो हम दोनों की नाक चपटी है, उसे देखकर लोग हमारी बड़ी हंसी करते हैं, इसलिए पहली बार पासा फेंककर सुंदर नाक की प्रार्थना करनी चाहिए।'



स्त्री का मत वैसा नहीं था, दोनों में खूब तर्क हुआ, आखिर पति ने क्रोध में आकर यह कहकर पासा फेंक दिया, 'हमें सुंदर नाक मिले, सुंदर नाक मिले, सुंदर नाक मिले।' आश्चर्य! जैसे ही उसने पासा फेंका वैसे ही उसके शरीर में तीन नाकें उत्पन्न हो गईं। तब उसने देखा यह तो विपत्ति आ पड़ी। फिर उसने दूसरी बार पासा फेंककर कहा, 'नाक चली जाएं’, इस बार सभी नाकें चली गईं। साथ ही उसकी अपनी नाक भी चली गई।



अब शेष रहा एक वर, तब उसने सोचा यदि इस बार पासा फेंककर चपटी नाक के बदले में सुंदर नाक प्राप्त करें तो लोग अवश्य ही चपटी नाक के स्थान पर अच्छी नाक देखकर उसके बारे में पूछताछ करेंगे। फिर तो हमें सभी बातें बतानी पड़ेंगी। तब वे हमें मूर्ख समझकर हमारी और भी हंसी उड़ाएंगे। कहेंगे कि ये लोग ऐसे तीन वरों को प्राप्त करके भी अपनी अवस्था की उन्नति नहीं कर सके। यह सोचकर उसने पासा फेंककर अपनी पुरानी चपटी नाक ही मांग ली। तीन ऐसे दुर्लभ वरदान जिनसे जीवन की दिशा बदल सकती थी, गलत समय पर जल्दबाजी में गलत निर्णय लेने के कारण व्यर्थ हो गए।



सफलता सही समय पर किए गए उचित कर्मों का परिणाम हैः
अगर आप सही समय पर उचित कर्म नहीं करते हैं, जिसके कारण मिलने वाले लाभ से वंचित हो जाते हैं तो आप अपने ज्योतिषी से यह नहीं कह सकते हैं कि आपने ग्रह दशा देखकर बताया लेकिन लाभ नहीं हुआ। योग्यता के साथ समय को पहचानो, क्योंकि जब ग्रह साथ देते हैं और मनुष्य विवेकपूर्वक निर्णय लेता है, तभी सफलता मिलती है। जो समय की चाल को नहीं समझते, उनके लिए सौभाग्य भी व्यर्थ चला जाता है। समझ-बूझकर काम न करने वाले लोग अवसरों को अपने हाथ से यों ही गंवा देते हैं, उनका लाभ नहीं उठा पाते।

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